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Chakrata Hill Station: कभी मसूरी के पास इस हिल स्‍टेशन पर अंग्रेजों का रहता था बसेरा, अब बनेगा पर्यटन हब

Chakrata Hill Station राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप चकराता व कालसी के 40 गांवों के आंशिक भाग को सुनियोजित विकास के दायरे में लाकर ‘नवीन चकराता’ नाम की नई टाउनशिप विकसित की जाएगी। राज्य कैबिनेट के इस निर्णय के बाद मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण का भी विस्तार हो सकेगा।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghPublished: Thu, 01 Jun 2023 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 01 Jun 2023 08:50 AM (IST)
Chakrata Hill Station: कभी मसूरी के पास इस हिल स्‍टेशन पर अंग्रेजों का रहता था बसेरा, अब बनेगा पर्यटन हब
कभी मसूरी के पास इस हिल स्‍टेशन पर अंग्रेजों का रहता था बसेरा, अब बनेगा पर्यटन हब

देहरादून, सुमन सेमवाल। देहरादून में पर्यटकों की आमद की बात करें तो एकतरफा दबाव मसूरी क्षेत्र पर पड़ता नजर आता है। इस अतिरिक्त दबाव के चलते मसूरी की धारण क्षमता भी हांफने लगती है। सड़कों पर घंटों तक जाम में फंसने के बाद पर्यटकों की हालत भी पतली हो जाती है। इस दबाव को नवीन चकराता कम कर सकता है।

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राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप चकराता व कालसी के 40 गांवों के आंशिक भाग को सुनियोजित विकास के दायरे में लाकर ‘नवीन चकराता’ नाम की नई टाउनशिप विकसित की जाएगी। राज्य कैबिनेट के इस निर्णय के बाद मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) का भी विस्तार हो सकेगा। क्योंकि, पूर्व जब एमडीडीए का विस्तार दून घाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) व हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण (एचआरडीए) के ऋषिकेश क्षेत्र के विलय के रूप में किया गया था, तब चकराता, कालसी व त्यूणी के तमाम गांव छोड़ दिए गए थे।

एमडीडीए ने पूर्व में इन तीनों तहसील के 38 गांवों के विलय की तैयरी शुरू की थी, जबकि अब आवास विभाग ने नवीन चकराता की परिकल्पना के रूप में त्यूणी को छोड़कर चकराता व कालसी के 40 गांवों एमडीडीए का भाग बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी के मुताबिक, नवीन चकराता के रूप में न सिर्फ 40 गांवों में सुनियोजित विकास किया जाएगा, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी पूरे क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी। हालांकि, इस दिशा में आगे की कार्रवाई की तस्वीर कैबिनेट के निर्णय के मुताबिक शासनादेश जारी होने के बाद स्पष्ट हो पाएगी।

ये है जनप्रतिनिधियों का कहना

नवीन चकराता टाउनशिप को बसाने की योजना कई वर्षों से चल रही है। लेकिन धरातल पर इसके विकास का कोई रोड मैप नहीं मिला। भाजपा सरकार की कैबिनेट में लाए गए इस प्रस्ताव के धरातल पर उतरने से चकराता टाउनशिप के विकास का पता चलेगा। -नवप्रभात, पूर्व काबिना मंत्री कांग्रेस

नवीन चकराता टाउनशिप को धामी कैबिनेट से मंजूरी होने पर यह फैसला जौनसार के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। पर्यटन योजना फलीभूत होने पर इस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली साग सब्जी स्थानीय फल तथा यहां के व्यंजनों को भी बाजार मिलेगा। -जगमोहन सिंह चौहान, अध्यक्ष कृषि मंडी समिति चकराता

नवीन चकराता टाउनशिप के विकास को भाजपा सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मिलने के संबंध में फिलहाल मुझे कोई जानकारी नहीं है। पूरी जानकारी जुटाने के बाद ही मैं इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया दूंगा। -प्रीतम सिंह, विधायक चकराता

नवीन चकराता टाउनशिप बनने से क्षेत्र का विकास होगा। पर्यटकों की संख्या में इजाफा व सुविधा मिलेगी। लोकल ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा, स्थानीय उत्पाद भी बाजार में ही बिक जाएंगे। सरकार का यह सराहनीय फैसला है। -रामशरण नौटियाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष

गांवों का कुछ भाग किया जाएगा शामिल

मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक एसएम श्रीवास्तव के मुताबिक, नवीन चकराता में जो 40 गांव शामिल किए गए हैं, वह पूरे एमडीडीए के दायरे में नहीं आएंगे। गांवों का आंशिक भाग उपयुक्तता के आधार पर शामिल किया जाएगा।

200 से 2000 मीटर तक भाग होगा शामिल

नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के पूर्व के सर्वे के मुताबिक, नवीन चकराता क्षेत्र में मुख्य सड़क से 200 से 2000 मीटर तक के भाग को शामिल किया जाएगा।

ब्रिटिश सरकार ने बसाया था चकराता

ब्रिटिश सरकार ने 1866 में बसाया चकराता चकराता उत्तराखंड के उन चंद बेहद खूबसूरत क्षेत्रों में से है, जो अपनी नैसर्गिक सुंदरता के साथ ही अपनी लोक परंपराओं और संस्कृति के कारण भी देश-दुनिया को अपनी ओर खींचते हैं। जौनसार-बावर का प्रमुख नगर या कहें मुख्यालय चकराता ब्रिटिश काल में बसाया गया महत्वपूर्ण कैंट है।

समुद्र तल से 2118 मीटर की ऊंचाई पर यमुना और टोंस नदी के बीच चकराता 1866 में बसाया गया था। ब्रिटिश सरकार ने 1869 में इसे कैंट बोर्ड के अधीन किया। देहरादून जिला मुख्यालय से करीब 95 किलोमीटर दूर स्थित चकराता के आसपास घने जंगल और हिमाच्छादित पहाड़ियां इसके रूप को और भी निखारती हैं। महाभारत काल और पांडवों से जुड़े इस क्षेत्र की अनेक कथाएं लोक में प्रचलित हैं।

ये गांव आएंगे आंशिक रूप से दायरे में

तहसील कालसी सवाई, मसराड, मथ्यो, सिंगोर, रामपुर, गडोल, बाढ़ौ, मुंधान, लटोऊ, जैन्दोऊ, गांगरौ, डाबरा, आस्टा, चिटाड़, कुस्यौ, कचटा, लाच्छा, दुईना, सिला, बिसोई, मुंशीगांव, लोहारना, लोहारी, ठलीन, लूहन, खाड़ी, सिंगोटा, घिरोई, लखस्यार, कैनोटा, सावड़ा, लखवाड़।तहसील चकराता ठाणा, टुंगरा, चोरकुनावा, छटोऊ, बिरमोऊ, क्यावा, नगऊ, माख्टी।


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