सिर्फ इंसान नहीं, जंगली जानवरों के लिए भी परेशानी का कारण बने स्ट्रीट डॉग, गड़बड़ाया दुर्लभ हिम तेंदुओं का मामला
देहरादून: आवारा कुत्ते शहरों के साथ वन्यजीवों के लिए भी खतरा बन रहे हैं। स्पीति घाटी में हिम तेंदुओं के शिकार में बाधा आ रही है, जिससे वे इंसानी बस्ति ...और पढ़ें

अध्ययन में चौंकाने वाला सच आया सामने. Concept Photo
सुमन सेमवाल, देहरादून। आवारा कुत्ते (स्ट्रीट डाग्स) न सिर्फ शहरों में मानव के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं, बल्कि पहली बार यह बात सामने आई है कि इनकी मौजूदगी वन्यजीवों के लिए भी संकट खड़े कर रही है। स्पीति घाटी जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधन पहले से सीमित हैं। ऐसे में हिम तेंदुआ जैसे शीर्ष शिकारियों को शिकार के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
शिकार का यह गणित भी अब आवारा कुत्तों की उपस्थिति से गड़बड़ाने लगा है। अब हम तेंदुए इंसानी बस्ती की तरफ भी रुख कर रहे हैं। आवारा कुत्तों ने न सिर्फ हिम तेंदुओं का आचार व्यवहार प्रभावित किया है, बल्कि दुर्लभ लाल लोमड़ी और भेड़ियों की प्रवृत्ति में भी असमान्य बदलाव देखने को मिला है। यह चौंकाने वाली जानकारी भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के ताजा अध्ययन सामने आई। जिसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल वाइल्डलाइफ बायोलाजी में प्रकाशित किया गया है।
डब्ल्यूआइआइ के वरिष्ठ विज्ञानी डा सल्वाडोर लिंगदोह के अनुसार आवारा कुत्ते आम नागरिकों, उनके मवेशियों और सेना के जवानों के साथ ही वन्यजीवों पर भी हमला कर रहे हैं। ऐसे में हिम तेंदुओं के समक्ष शिकार की कमी की चुनौती खड़ी हो रही है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि बेहद शर्मीले स्वभाव वाला हिम तेंदुआ अब इंसानी बस्ती के पास भी अधिक पाया जा रहा है। हिम तेंदुआ रात के समय अधिक सक्रिय नजर आ रहा है। इसकी वजह भी आवारा कुत्ते ही हैं। क्योंकि, दिन में कुत्ते अधिक सक्रिय रहते हैं।
हालांकि, दूसरी तरफ असमान्य रूप से लाल लोमड़ी की आवारा कुत्तों से नजदीकी बढ़ गई है। क्योंकि, उन्होंने आवारा कुत्तों का अनुसरण करते हुए इंसानों से मिलने वाले भोजन, फेंके गए कचरे और पशुओं के शवों पर अपनी निर्भरता बढ़ा ली। इसके अलावा आवारा कुत्तों के वन्यजीवों पर बढ़ते हमलों ने भेड़ियों और हिम तेंदुओं के बीच शिकार की प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है। क्योंकि, ये दोनों बड़े शिकारी जिन नीली भेड़, आइबेक्स और पशुधन को अपना शिकार मानते हैं, आवारा कुत्ते भी उन पर झपट रहे हैं। हालांकि, अभी भी दोनों एक दूसरे की मौजूदगी में इलाकों से दूरी बनाए रखते हैं। लेकिन, भोजन की कमी में इस दिशा में भी टकराव बढ़ सकता है।
6700 मीटर की ऊंचाई तक किया गया अध्ययन
भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा सल्वाडोर के अनुसार स्पीति घाटी (हिमाचल प्रदेश) में यह अध्ययन चंद्रताल, किब्बर, पिन घाटी, माने और ग्यू क्षेत्रों में 3600 से 6700 मीटर तक की ऊंचाई पर किया गया। अध्ययन के लिए 205 कैमर ट्रैप लगाए गए और कुल 8119 कैमरा-दिवस के परिणाम के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया। आकलन के लिए सर्दी और गर्मी दोनों मौसम के परिणाम देखे गए।
इतनी बार के अवलोकन से निकला निष्कर्ष
- 770 बार लाल लोमड़ी
- 220 बार कुत्ते
- 161 बार हिम तेंदुआ
- 79 बार हिमालयी भेड़िया
आवारा कुत्ते अब सहायक नहीं, बल्कि संरक्षण के लिए गंभीर चुनौती
विज्ञानियों के अनुसार आवारा कुत्ते अब वन्यजीवों के लिए शिकार में प्रतिस्पर्धा पैदा कर रहे हैं और उनसे बीमारियों का फैलाव के साथ ही संकरण (हाइब्रीडाइजेशन) का खतरा भी बढ़ गया है। जो प्राकृतिक व्यवहार में एक बड़ी बाधा बन सकता है। विज्ञानियों के सुझाया कि आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण, कचरा प्रबंधन में सुधार और संवेदनशील इलाकों में मानव गतिविधि सीमित कर स्थिति को काबू में किया जा सकता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।