New Education Policy: केंद्र की नई शिक्षा नीति वैश्विक नेतृत्व की दिशा में बढ़ता कदम
New Education Policy उत्तराखंड के शिक्षाविदों का मानना है कि करीब 34 साल बाद नई शिक्षा नीति का मसौदा सामने आया है। जो शिक्षा के उत्थान में मील का पत्थर साबित होगा।
देहरादून, जेएनएन। New Education Policy लंबे मंथन के बाद बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई नई शिक्षा नीति को शिक्षाविदों ने देश के समग्र विकास के लिए उपयुक्त माना है। उत्तराखंड के शिक्षाविदों का मानना है कि करीब 34 साल बाद नई शिक्षा नीति का मसौदा सामने आया है। जो शिक्षा के उत्थान में मील का पत्थर साबित होगा। शिक्षाविदों ने अपनी राय इस प्रकार रखी।
प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल (कुलपति एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि) का कहना है कि नई शिक्षा नीति देश को चहुंमुखी तरक्की के पथ पर अग्रसर करने वाली है। शिक्षा जगत को इससे सफल बनने के प्रयास आज से ही शुरू करने होंगे। नई शिक्षा नीति में राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान का गठन कर अमेरिका की तर्ज पर देश में शोध कार्य को प्राथमिकता दी गई है। मेरा मानना है कि देशभर में एक ही नियामक आयोग के गठन से सभी प्रकार के शिक्षा संस्थानों को संबद्धता से लेकर मान्यता के लिए नहीं जूझना पड़ेगा। इसे सफल बनाने में राज्यों की अहम भूमिका रहेगी।
प्रो. नरेंद्र एस चौधरी (कुलपति उत्तराखंड तकनीकी विवि) का कहना है कि पास और फेल के अनुमान की जगह छात्रों के समग्र विकास एवं जीवनमूल्य केंद्रित शिक्षा इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल भावना है। नई शिक्षा नीति में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस व मशीन लर्निग जैसे तकनीकों को अधिमान दिया गया है, जिससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मुझे विश्वास है कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करके हमने आगामी दशकों में भारतवर्ष को विश्वगुरु के गौरव स्थान पर पुन: विराजित कराने की नींव रखी है।
डॉ. पीपी ध्यानी कुलपति (श्रीदेव सुमन विवि) का कहना है कि मेरा मानना है कि नई शिक्षा नीति से हमारे धरोहर की गुरुकुल पद्धति से लेकर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को समेटने तैयार की गई है। इसमें नवाचार व अनुसंधान को विशेष वरियता की गई है। नई शिक्षा नीति 21वीं सदी की समग्र आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम दिखाई दे रही है। साथ ही देश की युवा शक्ति को विश्व स्तरीय पेशेवर बनाने की दिशा में भी बेहतर कदम है। नई शिक्षा नीति में देश, समाज, अर्थव्यवस्था व दुनिया में महत्वपूर्ण बदलाव के सार हैं।
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प्रो. ओपीएस नेगी (कुलपति उत्तराखंड मुक्त विवि) का कहना है कि नई शिक्षा नीति में गुणवत्ता, नवाचार और अनुसंधान को स्तंभ माना गया है। जिन पर भारत को वैश्विक ज्ञान प्रणाली में अपना स्थान बनाना है। पहली बार देश में नवाचार व अनुसंधान को विश्वस्तरीय स्पर्धा के योग्य तैयार किया जाएगा। मुक्त और दूरस्थ शिक्षा का राष्ट्रव्यापी विस्तार किया जाएगा। ऑनलाइन और डिजिटल कोर्स को बड़े पैमाने में बढ़ावा दिया जाएगा।