केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ठुकराया उत्तराखंड पुलिस का प्रस्ताव, मालखाना तैयार करने की योजना पर लगा विराम
उत्तराखंड पुलिस का मालखानों को हाईटेक बनाने का प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ठुकरा दिया है। मंत्रालय ने सीसीटीएनएस में ई-मालखाना एप बनाने का आदेश दिया है जिसमें मालखानों का रिकॉर्ड रखा जाएगा और क्यूआर कोड जारी होंगे। मंत्रालय का कहना है कि नए कानूनों से मुकदमों का शीघ्र निपटारा होगा इसलिए हाईटेक मालखानों पर खर्च करना उचित नहीं है।

सोबन सिंह गुसांई, देहरादून। भारतीय न्याय संहिता के तहत मालखानों को हाईटेक बनाने की उत्तराखंड पुलिस की योजना को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ठुकरा दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से आदेश जारी किए गए हैं कि अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) में ई-मालखाना एप तैयार किया जाए, जिसमें सभी मालखानों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। मालखानों को क्यूआर कोड जारी किया जाएगा।
मालखानों से माल गायब होने और साक्ष्य खराब होने की शिकायतें मिलती रहती हैं। इसी को देखते हुए मुंबई की तर्ज पर उत्तराखंड पुलिस की ओर से प्रदेश के थानों व कोर्ट में बने मालखानों को हाईटेक बनाने का प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय गृह मंत्रालय भेजा गया। इसके लिए देहरादून जिले को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया।
योजना थी कि मुंबई के एडवांस्ड मैनेजमेंट सेंटर की व्यवस्था और डिजाइन का अध्ययन कराने के बाद जिले के थानों में मालखाना नहीं होगा, बल्कि प्रदेश के जिलेवार एक ही मालखाना बनाया जाएगा जोकि एक वेयरहाउस की तरह होगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रस्ताव खारिज करते हुए टिप्पणी की कि अदालतों में लंबित मुकदमों के शीध्र निस्तारण के लिए भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 लागू किए गए हैं। मुकदमों में तत्काल सुनवाई होगी तो मालखानों में अधिक देर तक माल नहीं रखना पड़ेगा।
इसलिए हाईटेक मालखानों पर करोड़ों रुपये खर्च करने का कोई औचित्य नहीं बनता। इसके बदले एक एप तैयार की जाए, जिससे आनलाइन मालखानों की स्थिति के बारे में पता चलता रहे।
अंग्रेजों के समय से चली आ रही है यह व्यवस्था
किसी आपराधिक घटना के बाद मौके से बहुत से साक्ष्य पुलिस को एकत्र करने पड़ते हैं। यदि हत्या हुई है तो हत्या किस हथियार या वस्तु के प्रहार से की गई है, उसे साक्ष्य के रूप में पुलिस को मालखाने में रखना पड़ता है। सालों साल चलने वाले मुकदमों में इनको सुरक्षित रखना काफी मुश्किल होता है।
अभी तक अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही व्यवस्था के तहत एक मालखाना थाने में बना होता है जबकि एक सदर मालखाना होता है जोकि कोर्ट परिसर में बनाया जाता है। इसमें ट्रायल पर चल रहे मुकदमों से संबंधित माल को रखा जाता है और इसका प्रबंधन मैन्युअल ही किया जाता है।
पुलिस विभाग की ओर से मालखानों को हाईटेक बनाने के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंजूरी नहीं दी। अब सीसीटीएनएस में ई-मालखाना एप तैयार किया जा रहा है, जिसमें सभी मालखानों का रिकॉर्ड ऑनलाइन रहेगा। पुलिस मैनुअल ढंग से मालखानों में पड़े माल की स्थिति का पता लगाती थी, लेकिन अब ऑनलाइन भी इसे चेक कर सकते हैं। इसके लिए एक क्यूआर कोड जारी होगा कि माल कब दाखिल हुआ और केस में कौन-कौन सा माल रखा गया। -नीलेश आनंद भरणे, आइजी, अपराध एवं कानून व्यवस्था।
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