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    उत्‍तराखंड की सौ करोड़ की देनदारी माफी से केंद्र का इन्कार

    By Gaurav KalaEdited By:
    Updated: Mon, 28 Nov 2016 07:00 AM (IST)

    उत्तराखंड सरकार की ओर से अर्धसैनिक बलों की प्रदेश में तैनाती में लिए जाने वाले शुल्क के 113 करोड़ रुपये माफ करने से केंद्र सरकार ने इन्कार कर दिया है।

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: केंद्र ने उत्तराखंड सरकार की ओर से अर्धसैनिक बलों की प्रदेश में तैनाती व सेटेलाइट सुविधा के एवज में लिए जाने वाले शुल्क के 113 करोड़ रुपये माफ करने से इन्कार कर दिया है। चुनाव पूर्व केंद्र के इस कदम से सरकार को खासा झटका लगा है लेकिन फिर भी उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव में इससे अर्धसैनिक बलों के मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी।

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    प्रदेश में होने वाले हर बड़े आयोजन मसलन चुनाव, कुंभ मेले व कांवड़ मेले आदि के दौरान कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रखने के लिए केंद्र से अर्धसैनिक बलों की मांग की जाती है। प्रदेश की मांग को देखते हुए केंद्र उपलब्ध बल के आधार पर प्रदेश को अद्र्धसैनिक बलों की टुकड़ियां उपलब्ध कराता है।

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    इनकी अवधि कुछ दिनों से लेकर कुछ माह तक की होती है। केंद्र सरकार केंद्रीय बलों की उत्तराखंड में दी गई सेवाओं के मद्देनजर उन पर होने वाले खर्च का ब्यौरा बनाकर प्रदेश को भेजता है। चूंकि विभिन्न मौकों पर केंद्र के निर्देश पर प्रदेश की पुलिस को भी विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है तो प्रदेश सरकार भी इसका खर्च जोड़ते हुए केंद्र को भेजता है। हालांकि, यह अर्धसैनिक बलों पर होने वाले खर्च के मुकाबले खासा कम होता है। इसे केंद्र को दिए जाने वाले शुल्क से घटा दिया जाता है। इसके अलावा केंद्र की ओर से विशेष संचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रेम चार्जेज भी लिए जाते हैं।

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    इसके चलते केंद्र को दी जाने वाले शुल्क की राशि लगातार बढ़ती ही जा रही है। बीते वर्ष तक यह राशि सौ करोड़ तक पहुंच गई थी, जो इस वर्ष 113 करोड़ हो गई है। प्रदेश सरकार ने कुछ माह पूर्व नीति आयोग के गठन के बाद प्रदेश को होने वाले नुकसान के दृष्टिगत केंद्र को पत्र लिखकर इस शुल्क को माफ करने का अनुरोध किया था। अब केंद्र ने इसका जवाब भेज दिया है।

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    सूत्रों की मानें तो केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए पत्र में इस शुल्क को माफ करने से इन्कार कर दिया गया है। हालांकि, सूत्रों का यह भी कहना है कि केंद्र हर वर्ष इसके लिए पत्र भेजता है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि केंद्र प्रदेश को देने वाली सुविधाओं पर रोक लगाता है। माना जा रहा है कि यदि यह राशि और बढ़ी तो केंद्र पुलिस आधुनिकीकरण और सुरक्षा के नाम पर दी जाने वाली मदों में से इसकी कटौती कर सकता है।

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