सीडीएस बिपिन रावत को अपने ननिहाल उत्तरकाशी से था खास लगाव
सीडीएस बिपिन रावत की मौत की खबर से सीमांत जनपद उत्तरकाशी में शोक की लहर है। घटना की सूचना के बाद सीडीएस बिपिन रावत के ननिहाल थाती गांव में गमगीन माहौल है। सीडीएस बिपिन रावत का उत्तरकाशी से काफी लगाव था। उनसे यहां के निवासियों की भी भावनाएं जुड़ी थी।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत की मौत की खबर से सीमांत जनपद उत्तरकाशी में शोक की लहर है। घटना की सूचना के बाद सीडीएस बिपिन रावत के ननिहाल (ममकोट) थाती गांव में गमगीन माहौल है। सीडीएस बिपिन रावत का उत्तरकाशी से काफी लगाव था। उनसे यहां के निवासियों की भी भावनाएं जुड़ी थी।
सीडीएस बिपिन रावत का ननिहाल (ममकोट) थाती गांव उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर है। जहां उनकी बचपन की यादें जुड़ी थी। थल सेना प्रमुख रहते हुए बिपिन रावत नवंबर 2018 और सितंबर 2019 में उत्तरकाशी आए थे। 6 नवंबर 2018 को उन्होंने गंगोत्री में पूजा अर्चना की थी तथा तीर्थ पुरोहित बहिखाता में अपना ननिहाल का उल्लेख किया था। जिसके बाद 19 सितंबर 2019 को बिपिन रावत गंगोत्री में अपनी पत्नी के साथ आए। 20 सितंबर को वह अपने ननिहाल थाती गांव में पहुंचे थे।
तब ग्रामीणों ने भव्य रूप से उनका स्वागत किया था। उस दौरान वह थाती गांव में अपने नाना के पैतृक भवन पंचपुरा में भी गए तथा गांव के हर ग्रामीण से मिले। तब बिपिन रावत ने बताया था कि वह बचपन में अपनी मां सुशीला देवी के साथ कई बार ननिहाल आए थे। जिसके बाद वह 2004 में अपने मामा ठाकुर बीरेंद्रपाल सिंह परमार के साथ थाती गांव आए। जिसके बाद 2019 में उन्हें ननिहाल आने का मौका मिला है। इस घटना की सूचना सुनकर बिपिन रावत के अपने ममेरे भाई नरेंद्र सिंह परमार काफी दुखी हुए हैं।
नरेंद्र सिंह परमार ने बताया कि वह अपने पांव का उपचार कराने के लिए हिमालय अस्पताल जौलीग्रांट आए हैं। यहीं उन्हें इस घटना की सूचना मिली है। जबकि थाती गांव में नरेंद्र सिंह परमार की पत्नी संगीता देवी, उनके बेटे परमेंद्र परमार, शैलेंद्र परमार, प्रमोद परमार भी इस घटना की सूचना के मिलते ही काफी व्यथित दिखे। शैलेंद्र परमार ने बताया कि सीडीएस बिपिन रावत से थाती गांव के ग्रामीणों की भावनाएं जुड़ी हुई थी। जिससे पूरे गांव में गमगीन माहौल है।
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