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दवा घोटाले की सीबीआइ जांच, कई अधिकारी और कर्मचारी आ सकते जांच के दायरे में

उत्‍तराखंड में दवा घोटाले की सीबीआइ जांच के आदेश हो गए हैं। जांच सही दिशा में हुई तो राज्य में एनएच-74 मुआवजा घोटाले से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी जांच के दायरे में आ सकते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 08:26 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 09:00 PM (IST)
दवा घोटाले की सीबीआइ जांच, कई अधिकारी और कर्मचारी आ सकते जांच के दायरे में

देहरादून, जेएनएन। (नेशनल रूरल हेल्थ मिशन) दवा घोटाले की सीबीआइ जांच के आदेश हो गए हैं। सीबीआइ ने जांच करने से पहले प्रकरण से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की जांच की शासन से अनुमति मांगी है। शासन की अनुमति मिलते ही इस प्रकरण में सीबीआई की कार्रवाई शुरू कर देगी। इधर, जांच सही दिशा में हुई तो राज्य में एनएच-74 मुआवजा घोटाले से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी जांच के दायरे में आ सकते हैं।

केंद्र सरकार ने 2006 में एनआरएचएम के तहत अस्पतालों में मुफ्त दवा वितरण की योजना शुरू की थी। इसके लिए करोड़ों की दवा खरीदी गई। मगर, अधिकारियों ने इन्हें स्टोर में एक्सपायर होने दिया। 2010 में रुड़की के एक नाले में करोड़ों रुपये की दवा पड़ी मिली। इसके अलावा कई जनपदों में भी इसी तरह से दवा को इधर-उधर ठिकाने लगाने की सूचना मिलती रही। प्रकरण गंभीर होने पर शासन स्तर पर इसकी जांच की सुगबुगाहट शुरू हुई, लेकिन घोटाले में छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारियों की गर्दन फंसने के डर से हर बार जांच को दबाया जाता रहा। यही कारण है कि नौ साल तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच 2014 में मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा तो आयोग ने भी सीबीआइ जांच की संस्तुति कर दी। तब से यह प्रकरण केंद्रीय सूचना आयोग और सीबीआइ के बीच अनुमति को लेकर विचाराधीन था। कुछ दिन पहले सीबीआइ मुख्यालय ने जांच की अधिसूचना जारी की। यह पत्र सीबीआइ की दून शाखा को मिल गया है।

शासन से मांगी सूची

जांच की अधिसूचना जारी होने के साथ सीबीआइ ने जांच के लिए शासन को भी पत्र भेजा है। इस पत्र में तत्कालीन स्टोर कीपर, सीएमओ, सीएमएस, एसीएमओ और प्रकरण से सीधा नाता रखने वाले अधिकारियों की सूची मांगी है। शासन से यह सूची मिलते ही विवेचना शुरू हो जाएगी।

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जीरो टॉलरेंस की परीक्षा

जीरो टॉलरेंस की सरकार के लिए यह प्रकरण किसी परीक्षा से कम नहीं होगा। नौ साल तक जिस घोटाले को अधिकारियों ने दबाए रखा, उस पर सीबीआइ जांच शुरू होना सरकार का निर्णय महत्वपूर्ण माना जाएगा। इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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