उत्तराखंड में 12 से 17 वर्ष के किशोरों में घर से भागने के मामले बढ़े, सामने आई ये दो वजह
उत्तराखंड में 12 से 17 वर्ष के किशोरों के घर से भागने के मामलों में वृद्धि हुई है। पुलिस जांच में पता चला है कि परीक्षा का तनाव, डांट का डर और प्रेम संबंध जैसे कारण इसके पीछे हैं। किशोरों को सुरक्षित घर वापस लाने के लिए पुलिस प्रयासरत है।

प्रत्येक माह की 10 तारीख तक फार्म-46 की रिपोर्ट आयोग को भेजी जाए. Concept Photo
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड बाल अधिकारी संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा. गीता खन्ना ने प्रदेश में 12 से 17 वर्ष के किशोरों के घर से भागने की घटनाओं में बढ़ोतरी पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस समस्या का मुख्य कारण इंटरनेट मीडिया और आनलाइन गेमिंग की लत बताया।
डा. खन्ना ने सभी जनपदों को निर्देश दिया कि वे प्रत्येक माह की 10 तारीख तक फार्म-46 की रिपोर्ट तैयार कर डीपीओ के माध्यम से आयोग को भेजें। इसके साथ ही, महिला कल्याण विभाग और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की मासिक संयुक्त बैठक आयोजित करने और मेलों में बाल कल्याण समिति का स्टाल लगाकर योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने का भी निर्देश दिया गया।
मंगलवार को नंदा की चौकी स्थित आइसीडीएस सभागार में बाल कल्याण से संबंधित संस्थाओं की समितियों, किशोर न्याय बोर्ड और चाइल्ड हेल्पलाइन की समीक्षा बैठक में डा. खन्ना ने यह जानकारी दी। उन्होंने सभी डीपीओ बाल कल्याण समिति को छह सीयूजी नंबर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
अनाथ और पीड़ित बच्चों को कौशल विकास योजनाओं से जोड़ा जाए और एकल माताओं को राज्य योजनाओं का लाभ दिया जाए। पोक्सो पीड़ितों को समय पर सहायता राशि और मामलों के निस्तारण के बाद काउंसलिंग जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
बैठक में सचिव डा. शिव कुमार बरनवाल ने कहा कि सभी प्रमुख स्थलों पर जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए। इस दौरान प्रदेशभर से अधिकारी आनलाइन जुड़े रहे। पोक्सो मामलों में मुकदमों की बढ़ती संख्या पर भी चर्चा की गई, जिसमें उधमसिंह नगर में बालक की आंख फोड़ने के प्रकरण पर बाल कल्याण समिति की ओर से त्वरित कार्रवाई न करने पर नाराजगी व्यक्त की गई।
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