इस तरह बच सकते हैं आप साइबर ठगी से, जानिए
साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राजधानी देहरादून में अबतक करीब सौ लोग साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं।
देहरादून, [हरीश कंडारी]: जिले में साइबर ठगी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। कभी बैंक अधिकारी बन एटीएम कार्ड खराब होने की बात कहकर तो कभी एटीएम को आधार से लिंक करने या किसी बात का लालच देकर साइबर ठग आसानी से उन ग्राहकों को अपना शिकार बना रहे हैं, जिन्हें बहुत ज्यादा जानकारी नहीं होती। पिछले छह माह में ही साइबर ठग दून में सौ से अधिक लोगों को शिकार बनाकर उनके लाखों रुपये का चूना लगा चुके हैं।
साइबर ठग चालाकी से कभी बैंक अधिकारी बन लोगों को एटीएम कार्ड बंद होने, आधार से लिंक करने, एलआइसी का लालच देकर गुप्त जानकारी हासिल करते हैं और कुछ देर बाद उनके खाते को खाली कर देते हैं।
साइबर ठगों का जाल किस कदर फैल चुका है इसका अंदाजा इसी वर्ष अब तक के एटीएम फ्रॉड के आंकड़ों से लगाया जा सकता है। जिले में अब तक सौ से अधिक लोग इस प्रकार की ठगी का शिकार हो चुके हैं। यह आंकड़े तो जिले के विभिन्न थानों व साइबर सेल के हैं। हकीकत में इनकी संख्या कई ज्यादा है। क्योंकि कई लोग तो ऐसे हैं जो शिकायत तक दर्ज ही नहीं कराते तो कई ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें ठगी का पता ही नहीं चलता।
समय से दें सूचना, तो बच सकता है पैसा
साइबर ठगी की घटनाओं पर रोक लगाने व ठगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए साइबर सेल की स्थापना की गई है। जो ऐसे मामलों की जांच करता है। ठगी की चार घंटे के अंदर सूचना दे दी जाए तो बैंक खाते से निकले रुपये को वापस कराया जा सकता है।
बैंक नहीं मांगती है कोई भी सूचना
साइबर ठगी के अधिकतर मामलों में एटीएम कार्ड बंद हो जाने या उसे बदले जाने की बात कहकर ही साइबर ठग एटीएम कार्ड से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर लेते हैं। बैंक अधिकारियों की माने तो बैंक अपने ग्राहक से बैंक से जुड़ी कोई भी जानकारी कभी नहीं मांगता। बैंक को अगर कभी ऐसी जरूरत भी पड़ती है तो वह ग्राहक को सीधे बैंक बुला लेता है। फोन पर कभी भी जानकारी नहीं ली जाती।
डीआइजी गढ़वाल पुष्पक ज्योति ने कहा कि एटीएम फ्रॉड से बचने का एक मात्र तरीका जागरूकता है। समय-समय पर पुलिस भी इस संबंध में लोगों को जागरूक करती है। कभी भी किसी को अपने एटीएम के बारे में जानकारी नहीं देनी चाहिए। बैंक भी कभी ग्राहकों से फोन पर जानकारी नहीं मांगता। ठगी का शिकार होने पर तुरंत पुलिस और साइबर सेल को सूचित करें।
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