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उत्तराखंड: बरसात से लैंटाना उन्मूलन कार्य पर फिरा पानी, लेकिन वन विभाग कर रहा ये दावा

उत्तराखंड के जंगलों को कुर्री यानी लैंटाना की झाड़ियों से मुक्त कराने का अभियान बरसात में ठंडा पड़ गया है। हालांकि वन विभाग की ओर से सितंबर के बाद तेजी से अभियान चलाने का दावा किया जा रहा है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 01:05 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 01:05 PM (IST)
उत्तराखंड: बरसात से लैंटाना उन्मूलन कार्य पर फिरा पानी, लेकिन वन विभाग कर रहा ये दावा
उत्तराखंड: बारिश से लैंटाना उन्मूलन कार्य पर फिरा पानी।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों को कुर्री यानी लैंटाना की झाड़ियों से मुक्त कराने का अभियान बरसात में ठंडा पड़ गया है। हालांकि, वन विभाग की ओर से सितंबर के बाद तेजी से अभियान चलाने का दावा किया जा रहा है। खासकर राजाजी और कार्बेट के मैदानों में यह अभियान प्राथमिकता के आधार पर चलाया जाएगा। लगातार हो रही बारिश के कारण फिलहाल कार्य जारी रखना संभव नहीं है।

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उत्तराखंड में लैंटाना उन्मूलन अभियान के तहत राज्य के जंगलों और गांवों के आसपास 11882.78 हेक्टेयर क्षेत्र से लैंटाना हटाने की कवायद शुरू की गई है। साथ ही यहां लैंटाना के स्थान पर घास के मैदान विकसित करने की योजना है। हालांकि, इस पर पिछले कई महीनों से तमाम विभागीय गतिविधियों के बावजूद अभियान गति नहीं पकड़ पाया। इसका एक वजह बारिश भी है।

लगातार हो रही बारिश के कारण लैंटाना के उन्मूलन का कार्य नहीं हो पा रहा है। इस दौरान पर्याप्त पानी मिलने से लैंटाना अधिक विकसित होने लगा है। अब वन विभाग सितंबर के बाद ही इसे गति दी जा सकेगी। लैंटाना उन्मूलन अभियान के तहत पांच हजार से अधिक ग्रामीणों को रोगजार भी मिल सकेगी। वन विभाग मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) राजीव भरतरी ने इस संबंध में सभी प्रभागीय वनाधिकारियों और संरक्षित क्षेत्र के निदेशकों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। दरअसल, लैंटाना अपने इर्द-गिर्द दूसरी वनस्पतियों को नहीं पनपने देती। इसका निरंतर फैलाव होता है।

जंगलों में इसके फैलाव के कारण खाद्य श्रृंखला पर असर पड़ा है तो गांवों के नजदीक जंगली जानवरों का खतरा बढ़ा है। इसके लिए प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) से चालू वित्तीय वर्ष के लिए 37 करोड़ की राशि अनुमोदित हुई है। कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत सभी संरक्षित क्षेत्रों में लैंटाना को हटाकर उसकी जगह चारागाह विकसित करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। लिहाजा, इसमें सही तकनीक का उपयोग आवश्यक है।

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