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अतिक्रमण को लेकर पसोपेश में सरकार, नए अधिकारियों को जिम्मेदारी

हाईकोर्ट के निर्देश पर देहरादून में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान के मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका खाई राज्य सरकार पसोपेश में है। विरोध में विधायकों का दबाव बढ़ रहा है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 11:36 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 08:50 PM (IST)
अतिक्रमण को लेकर पसोपेश में सरकार, नए अधिकारियों को जिम्मेदारी
अतिक्रमण को लेकर पसोपेश में सरकार, नए अधिकारियों को जिम्मेदारी

देहरादून, [जेएनएन]: हाईकोर्ट के निर्देश पर देहरादून में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान के मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका खाई राज्य सरकार पसोपेश में है। विधायकों के दबाव को देखते हुए सरकार अब बीच का रास्ता निकालने की जुगत में जुटी है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से हुई मुलाकात के बाद शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने विधानसभा स्थित कार्यालय में हुई बैठक में विधायकों और अधिकारियों से बदली परिस्थितियों के मद्देनजर आगे की रणनीति पर मंथन किया। 

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हालांकि, यह किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। बैठक में शामिल रहे तीन विधायकों ने इस बात पर जोर दिया कि अब हाइकोर्ट में गंभीरता से पैरवी की जाए और तब तक अभियान को स्थगित रखा जाए। वहीं, माना जा रहा कि विधायकों की नाराजगी को देखते हुए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के दिल्ली दौरे के दौरान इस बारे में भी जानकारी ले सकता है।

सरकार को उम्मीद थी कि आपदा के दृष्टिगत उसे सुप्रीम कोर्ट से अतिक्रमण मामले में राहत मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को हाईकोर्ट में जाने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक इसकी जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहरी विकास मंत्री से मंत्रणा की और आगे की रणनीति पर मंथन करने को कहा। 

इसी कड़ी में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने देर शाम विधानसभा स्थित कार्यालय में बुलाई बैठक में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से जानकारी ली।

सूत्रों के मुताबिक बात सामने आई कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आपदा से जुड़ा मसला रखा ही नहीं गया। इसी बिंदु के मद्देनजर सरकार को राहत मिलने की उम्मीद थी। 

बताते हैं कि इस पर बैठक में मौजूद विधायकों हरबंस कपूर, उमेश शर्मा काऊ व गणेश जोशी ने गहरी नाराजगी जाहिर की। तीनों विधायकों की ओर से एकमत कहा गया कि आपदा के लिहाज से इस मामले में हाईकोर्ट में प्रभावी ढंग से पैरवी की जाए और तब तक नोटिस व तोड़फोड़ की कार्रवाई स्थगित रखी जाए। 

हालांकि, बदली स्थिति में आगे की रणनीति के संबंध में भी मंथन हुआ, लेकिन कोई ठोस निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका। बैठक में शहरी विकास सचिव आरके सुधांशु व डीएम देहरादून एसए मुरुगेशन भी मौजूद थे। 

सूत्रों के मुताबिक देर रात शहरी विकास मंत्री ने फिर मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया। बताया गया कि अब बीच का ऐसा रास्ता निकालने की जुगत की जा रही है, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।

डेढ़ घंटे तक बैठे रहे विधायक कपूर

अतिक्रमण मसले को लेकर शहरी विकास मंत्री की अध्यक्षता में विधानसभा में बैठक खत्म होने के बाद भी वरिष्ठ विधायक हरबंस कपूर करीब डेढ़ घंटे तक वहीं बैठे रहे। इससे वहां अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई। बाद में बैठक में मौजूद रहे दो अन्य विधायकों उमेश शर्मा व गणेश जोशी ने उन्हें किसी तरह मनाने में कामयाबी पाई।

गहनता से चल रहा मंथन 

काबीना मंत्री एवं शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अध्ययन करने के बाद इस प्रकरण में आगे कदम उठाए जाएंगे। इसे लेकर गहनता से मंथन चल रहा है।

प्रेमनगर में कभी हो सकती है ध्वस्तीकरण कार्रवाई

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद प्रेमनगर बाजार के अतिक्रमण हटाने पर प्रशासन फिर पीछे हट गया है। यहां पर बुधवार को भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई टाल दी गई है। जनप्रतिनिधियों के दबाव को देखते हुए अब प्रशासन प्रेमनगर बाजार से अतिक्रमण हटाने के लिए गोपनीय कार्रवाई करने की रणनीति बना रहा है। 

डीएम एसए मुरूगेशन ने कहा कि व्यापारियों को शिफ्टिंग का पर्याप्त मौका मिल गया है। कभी भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो सकती है। 

वहीं, प्रेमनगर बाजार के अतिक्रमण पर विधायकों ने विरोध जारी रखा। विधायकों ने पुनर्वास और राहत दिए जाने के बाद ही अभियान शुरू करने का दबाव बनाया। इसी दबाव के चलते प्रशासन ने प्रेमनगर बाजार में बुधवार को चलने वाली कार्रवाई को फिर टाल दिया है। 

जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने कहा कि फिलहाल कार्रवाई रोक दी है। इस मामले में विधायकों के अलावा क्षेत्रीय लोगों ने उनसे मुलाकात की थी। लोगों को स्पष्ट रूप से कह दिया गया है कि अतिक्रमण में आए घर व दुकान से अपना सामान शिफ्ट कर लें। क्योंकि कभी भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा सकती है। डीएम ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए प्रेमनगर से हर हाल में अतिक्रमण हटाया जाएगा। 

सर्वे के अफसरों के साथ फिर विवाद 

ईसी रोड पर सर्वे ऑफ इंडिया की कॉलोनी की दीवार पर फिर प्रशासन की जेसीबी चली। करीब 50 मीटर से ज्यादा चहारदीवारी को ध्वस्त किया गया। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की सूचना मिलते ही निदेशक डॉ एसके सिंह स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट मनुज गोयल के समक्ष ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर नाराजगी जताई। 

उन्होंने कहा कि जब पहले से डीएम और एमडीडीए से समय मांगा गया है तो  ध्वस्तीकरण की कार्रवाई गलत है। उन्होंने कहा कि सर्वे में महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे हुए हैं। चहारदीवारी तोड़ने से सुरक्षा व्यवस्था कमजोर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में हाईकोर्ट जाएंगे। 

गलत निशान लगने से लाखों का नुकसान 

आराघर से सर्वे चौक के बीच प्रशासन की टीम ने कई बार सीमांकन की सीमा बदल दी। करीब दो से तीन मीटर तक लोगों के घरों पर अतिक्रमण के लाल निशान लगने पर लोगों ने स्वयं घर तोड़ दिए। मगर, एक सप्ताह बाद फिर सीमांकन हुआ तो लोग अपनी जगह पर सही पाए गए।

प्रभावित लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने मकान तोड़ने में लाखों रुपये खर्च कर दिए। इस गलत सर्वे के लिए कौन जिम्मेदार है। लेकिन इस मामले में अधिकारी बोलने से तैयार नहीं है। प्रभावित इस मामले में कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। 

यहां चलेगा अभियान 

-ईसी रोड से आराघर चौक के बीच 

-सहस्रधारा क्रॉसिंग से आइटी पार्क के बीच। 

-नेशविला रोड से कालीदास रोड। 

-कैनाल रोड से दिलाराम चौक के बीच 

-चार जोन में जारी रहेगा सीमांकन का कार्य। 

प्रभावितों का पुनर्वास जरूरी 

कैंट विधायक हरबंस कपूर के मुताबिक अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत प्रेमनगर बाजार का सौ फीसद ध्वस्तीकरण हो रहा है। ऐसे में यहां के लोगों का पुनर्वास किया जाना जरूरी है। सरकार के समक्ष अपनी बात रख दी है। लोगों को पूर्व में हुई कार्रवाई की तर्ज पर पुनर्वास की सुविधा मिलनी चाहिए। 

हाईकोर्ट से समक्ष रखना होगा पक्ष 

मसूरी विधायक गणेश जोशी के मुताबिक प्रेमनगर में पट्टे और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के दो अलग-अलग मामले हैं। सरकार को इन मामलों को लेकर हाईकोर्ट के समक्ष रखना होगा। बिना पुनर्वास के यह समस्या नहीं सुलझेगी। 

बर्बाद हो जाएंगे लोग 

रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के मुताबिक घर और व्यवसाय ध्वस्त होने के बाद लोग बर्बाद हो जाएंगे। सरकार से पुनर्वास को लेकर प्रस्ताव दिया गया है। एक तरफा कार्रवाई का विरोध किया जाएगा। 

ईसी रोड और सहस्रधारा में 257 अतिक्रमण ध्वस्त

अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत टास्क फोर्स ने सबसे ज्यादा 257 छोटे-बड़े अतिक्रमण ध्वस्त किए। इस दौरान चार जोन में चली सीमांकन की कार्रवाई में 149 नए अतिक्रमण चिह्नित किए गए। सबसे ज्यादा अतिक्रमण ईसी रोड पर हटाए गए। 

राजधानी में सड़क, फुटपाथ, नाली और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। टास्क फोर्स ने सर्वे चौक से आराघर चौक के बीच सर्वे ऑफ इंडिया, सीजेएम, हिलग्रीन स्कूल, अमृतसर आइ क्लिनिक, सिटी हार्ट अस्पताल, डीएवी हॉस्टल समेत कई बड़े प्रतिष्ठानों की बाउंड्रीवाल ध्वस्त की। 

इसी तरह दूसरी टीम ने सहस्रधारा क्रॉसिंग से आइटी पार्क की तरफ कार्रवाई करते हुए तिरुपति वेडिंग प्वाइंट के पास, नालापानी चौक, टाइम्स स्क्वायर मॉल के आसपास सड़क तक फैले अतिक्रमण को ध्वस्त किया। यहां बड़ी संख्या में लोगों ने सड़क तक दोनों तरफ पक्का निर्माण और टाइल्स बिछाई गई थीं। 

यहां 30 से ज्यादा लोगों ने नोटिस मिलने के बाद स्वयं अतिक्रमण हटाने का अनुरोध किया है। तीसरी कार्रवाई नेशविला रोड पर चली। यहां पहले हुई कार्रवाई में छूटे अतिक्रमण हटाए गए। साथ ही अतिक्रमण का मलबा हटाने का कार्य यहां जारी रहा। 

एसडीएम मसूरी मीनाक्षी पटवाल ने कहा कि ईसी रोड पर भी कई लोगों ने स्वयं अतिक्रमण हटाने का समय मांगा है। तय समय पर अतिक्रमण न हटाया तो जेसीबी से दोबारा ध्वस्त किया जाएगा। 

अब हीलिंग टच अस्पताल पर विवाद 

अतिक्रमण की जद और बिना पार्किंग के संचालित हो रहे प्राइवेट नर्सिंग होम पर विवाद जारी हैं। सहस्रधारा रोड पर हीलिंग टच अस्पताल के अतिक्रमण पर भी विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। यहां संचालक ने विरोध किया तो टाक्स फोर्स में शामिल एसडीएम सदर प्रत्यूष सिंह ने दोबारा सीमांकन कराने के निर्देश दिए। मगर सीमांकन सही पाया गया। अब अस्पताल ने स्वयं अतिक्रमण हटाने का समय मांगा है। 

दून स्कूल का अतिक्रमण हटेगा

हाईकोर्ट से दून स्कूल को राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने इस मामले में दोबारा सीमांकन कराने के निर्देश दिए थे। प्रशासन ने सीमांकन कराया तो पहले जैसी स्थिति सामने आई। इस पर दून स्कूल ने सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन से समय मांगा गया। प्रशासन ने दून स्कूल को पत्र भेजते हुए अतिक्रमण स्वयं हटाने को कहा है। सिटी मजिस्ट्रेट मनुज गोयल ने कहा कि इसी सप्ताह दून स्कूल का अतिक्रमण भी ध्वस्त किया जाएगा। 

अतिक्रमण हटाने को लगाए पांच सीनियर अफसर

हाईकोर्ट के आदेश पर की जा रही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में तेजी लाने के लिए शासन ने पांच सीनियर पीसीएस अफसर तैनात कर दिए हैं। बुधवार को इन अफसरों को जोनवार टास्क फोर्स के साथ जिम्मेदारी बांटी जाएगी। इससे अभियान में और तेजी आएगी। 

राजधानी में सड़क, फुटपाथ, नाली और सरकारी जमीनों पर हुए अतिक्रमण को हाईकोर्ट के आदेश पर हटाया जा रहा है। 27 जुलाई तक शहर के सार्वजनिक मार्गों से पूरा अतिक्रमण हटाया जाना है। दस दिन के भीतर शेष अतिक्रमण हटाने की चुनौती है। इसके बाद शासन हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। 

ऐसे में अभियान में तेजी लाने के लिए अफसरों की जरूरत महसूस हो रही थी। इसके लिए शासन ने मंगलवार को सीनियर पीसीएस अधिकारी एवं सचिव दून घाटी विकास प्राधिकरण एसएल सेमवाल, जीएमवीएन के जीएम बीएल राणा, अधिशासी निदेशक चीनी मिल मनमोहन सिंह रावत, उपायुक्त राजस्व विप्रा त्रिवेदी, महाप्रबंधक सिडकुल झरना कमठान को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जिम्मेदारी दी है। 

अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि उक्त अधिकारी हाईकोर्ट के आदेश पर चलने वाले अतिक्रमण हटाओ अभियान की कार्रवाई के साथ अपनी मूल तैनाती का कार्य देखते रहेंगे। उन्होंने बताया कि जल्द इन वरिष्ठ अधिकारियों को जोनवार जिम्मेदारी बांटी जाएगी। ताकि अभियान में तेजी आ सके। 

अवैध बस्तियों में हाउस टैक्स पर रोक

दून में हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण हटाने के क्रम में अवैध मलिन बस्तियों में वसूले जा रहे नगर निगम के हाउस टैक्स पर रोक लग गई है। दरअसल, इसी साल से निगम ने बस्तियों से हाउस टैक्स की वसूली शुरू की थी, लेकिन अब इन्हें हटाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में मंगलवार से निगम के हाउस टैक्स अनुभाग ने बस्तियों के करीब 11 हजार अवैध भवनों पर टैक्स पर रोक लगा दी है। वैध भवनों से टैक्स पहले की तरह लिया जाएगा। 

लंबी कसरत के बाद मलिन बस्तीवासियों को हाउस टैक्स में 45 फीसद की छूट देने के फैसले के साथ अप्रैल से वसूली शुरू की गई थी। बस्तियों में टैक्स के फार्म भी बांटे गए। इसके दायरे में 129 बस्तियों के करीब 40 हजार घर आ रहे थे। इसी दौरान हाईकोर्ट ने नदी किनारे बने अवैध भवन व अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए। 

इन्हें हटाने के लिए तीन माह का समय दिया है, लिहाजा सरकार पहले मुख्य मार्गों से कब्जे हटा रही। बस्तियों के पुनर्वास की तैयारियां चल रहीं, लेकिन लोग विरोध करने लगे हैं कि वे नगर निगम में हाउस टैक्स भर रहे। इसलिए, उनके भवन वैध हैं। 

चूंकि, टैक्स की तकनीकी अड़चन अतिक्रमण के विरुद्ध चल रही कार्रवाई में आड़े आ सकती है। इसलिए निगम प्रशासन ने फिलहाल अवैध भवनों से टैक्स वसूली बंद कर दी है। इसी क्रम में निगम ने करीब 11 हजार भवन के मालिकों को भवन खाली करने का नोटिस भी भेजा है। नगर आयुक्त विजय जोगदंडे ने बताया कि जिन अवैध भवन को नोटिस भेजा गया है, वहां से फिलहाल टैक्स की वसूली नहीं की जाएगी। 

निगम बनने पर बंद हुआ था टैक्स

पूर्व में जब निगम नगर पालिका था तो उस समय वर्ष 1992 में मलिन बस्तियों पर हाउस टैक्स लगाया गया था। विनोद चमोली उस समय हाउस टैक्स असेसमेंट कमेटी के अध्यक्ष थे। तब मलिन बस्तियों में घरों की संख्या 20 हजार के करीब थी। वर्ष 1998 में पलिका से नगर निगम बना तो यह कार्रवाई बंद पड़ गई। इसका कारण था कि पालिका में रेंटल वैल्यू के आधार पर टैक्स वसूला जाता था जबकि निगम बनने पर कारपेट एरिया का नियम लागू हो गया। 

इसके चलते मलिन बस्तियों समेत अन्य क्षेत्रों में भी कर में संशोधन नहीं हो पाया। जबकि पांच साल के अंतराल में संशोधन आवश्यक होता है। वर्ष 2013 में चमोली ने हाउस टैक्स में संशोधन किया, मगर मलिन बस्तियों का हाउस स्थगित ही रहा था। 

अतिक्रमण पर नागरिकों को पूरी सुनवाई का मिले मौका

राज्य विधि आयोग सरकार को अतिक्रमण के मामले में नागरिकों को सुनवाई का पूरा मौका देने के पक्ष में है। आयोग ने इस मसले पर सरकार को सुझाव देने का भी निर्णय लिया है। इसके अलावा आयोग राज्य में अग्रिम जमानत की व्यवस्था को बहाल करने के लिए भी सिफारिश करेगा। 

विधानसभा में जस्टिस (सेनि) राजेश टंडन की अध्यक्षता में राज्य विधि आयोग की बैठक हुई। बैठक में अतिक्रमण को लेकर चलाए जा रहे अभियान को लेकर भी चर्चा हुई। निर्णय लिया गया कि अतिक्रमण को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का समादर करते हुए सरकार को यह सुझाव दिया जाए कि अतिक्रमण के मामले में नागरिकों को भी सुनवाई का पूरा मौका दिया जाए। 

इसके अलावा बैठक में अग्रिम जमानत पर भी चर्चा हुई। बताया गया कि देश में जब आपातकाल लगा था तब अग्रिम जमानत के प्रावधान पर रोक लगाई गई थी। उत्तराखंड में यह व्यवस्था अभी तक लागू है। नागरिकों के हित को ध्यान में रखने के साथ ही विधिक कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए इस पर लगी रोक को हटाए जाने की आवश्यकता है। 

बैठक में गौ रक्षा से संबंधित कानून में संशोधन करने के साथ ही गाय व अन्य आवारा पशुओं के लिए शेल्टर होम विकसित करने का सुझाव सरकार को देने का निर्णय लिया गया। इस दौरान नागरिकों की समस्याओं को देखते हुए राजस्व न्यायालयों के वादों को सिविल न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में देने पर भी विचार किया गया। 

बैठक में प्रमुख सचिव विधायी एवं संसदीय कार्य मीना तिवारी, विशेष कार्याधिकारी आरपी पंत, बिग्रेडियर केजी बहल (सेनि) के अलावा नरेंद्र सिंह व केपी ढौंडियाल आदि मौजूद थे। 

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