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उत्तराखंड में मंत्रिमंडल के विस्तार पर भाजपा आलाकमान का ब्रेक

मंत्रिमंडल में रिक्त तीन स्थानों पर ताजपोशी की उम्मीदें संजोए भाजपा विधायकों को झटका लगना तय है। पार्टी आलाकमान ने मंत्रिमंडल विस्तार को गैर जरूरी बताते हुए इसे टाल दिया है

By Edited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 10:41 AM (IST)
उत्तराखंड में मंत्रिमंडल के विस्तार पर भाजपा आलाकमान का ब्रेक
उत्तराखंड में मंत्रिमंडल के विस्तार पर भाजपा आलाकमान का ब्रेक

देहरादून, विकास धूलिया। मंत्रिमंडल में रिक्त तीन स्थानों पर ताजपोशी की उम्मीदें संजोए भाजपा विधायकों को झटका लगना तय है। पार्टी आलाकमान ने फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार को गैर जरूरी बताते हुए इसे भविष्य के लिए टाल दिया है। पिछले ढाई साल से मंत्री पद पाने के लिए कतार में खड़े विधायकों का इंतजार इससे अब और लंबा होने जा रहा है। 

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उत्तराखंड में 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक मंत्रिमंडल का आकार अधिकतम 12 सदस्यीय ही हो सकता है। मार्च 2017 में भारी जीत के साथ सत्ता में पहुंची भाजपा ने त्रिवेंद सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। उस वक्त उन्होंने नौ अन्य मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण की। यानी शुरुआत में मंत्रिमंडल का आकार 10 सदस्यीय रहा। 

तब माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री जल्द मंत्रिमंडल में रिक्त दो स्थानों को भर देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और दो साल से ज्यादा वक्त गुजर गया। गत जून में वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत का असामयिक निधन हो गया। इससे मंत्रिमंडल में खाली स्थानों की संख्या तीन हो गई। तब एक बार फिर सियासी गलियारों में जोरशोर से मंत्रिमंडल विस्तार की बात चली। 

दरअसल, कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के पास वित्त, पेयजल, आबकारी और संसदीय कार्य जैसे अहम मंत्रालय थे और इस स्थिति में किसी वरिष्ठ विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना जरूरी लग रहा था। इस दौरान स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि वह जल्द मंत्रिमंडल में कुछ नए मंत्रियों को शामिल करने जा रहे हैं, लेकिन अब इस बात को भी तीन महीने से ज्यादा समय गुजर गया है। 

इस बीच पिछले महीने उत्तर प्रदेश में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया, तो उत्तराखंड में भी इस तरह के कयासों को बल मिला। दरअसल, मंत्रिमंडल में रिक्त तीन स्थानों के लिए भाजपा में विधायकों की कतार काफी लंबी है। इनमें पांच विधायक तो ऐसे हैं, जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा दो या दो से ज्यादा बार के विधायकों की संख्या 20 से ज्यादा है। 

इस स्थिति में इनमें से किन तीन विधायकों को मौका दिया जाए, यह मुख्यमंत्री के लिए खासा चुनौतीपूर्ण फैसला है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से नई दिल्ली में भेंट की। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस दौरान मुख्यमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष के समक्ष मंत्रिमंडल विस्तार पर अपनी बात रखी। 

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सूत्रों ने बताया कि तब मुख्यमंत्री को कुछ समय इंतजार करने को कहा गया। सूत्रों का कहना है कि अब पार्टी आलाकमान ने मंत्रिमंडल विस्तार के मसले को भविष्य के लिए टालने के संकेत दे दिए हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार कब तक होगा, तय नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार बेहतर कार्य कर रही है और जब जरूरत होगी तो इस संबंध में पार्टी नेतृत्व निर्णय लेगा।

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