न्यूनतम बाजार मूल्य के आधार पर सरकारी भूमि का आवंटन
प्रदेश में सरकारी भूमि के अनाप-शनाप ढंग से होने वाले आवंटन पर अब लगाम लग कसेगी। सरकारी भूमि के आवंटन की प्रक्रिया में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाएगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में सरकारी भूमि के अनाप-शनाप ढंग से होने वाले आवंटन पर अब लगाम लग कसेगी। ग्राम समाज, सीलिंग समेत अन्य प्रकार की सरकारी भूमि के आवंटन की प्रक्रिया में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाएगी। इसके आवंटन के मद्देनजर कैबिनेट ने नई व्यवस्था को मंजूरी दे दी है। इसके तहत निजी संस्थाओं और व्यक्तियों को पारदर्शी व्यवस्था के तहत नीलामी के जरिये भूमि का आवंटन किया जाएगा।
सरकारी भूमि के आवंटन को लेकर अक्सर सवाल उठते आए हैं। कहीं चहेतों को भूमि को लीज पर दे दिया जाता है तो लीज की भूमि को बेचे जाने के मामले भी पूर्व में प्रकाश में आते रहे हैं। ये बातें भी सामने आती रही हैं कि विभिन्न योजनाओं के लिए विभागों व संस्थाओं को मार्ग सुलग कराने को आवंटित भूमि पर बने मार्ग का उपयोग अन्य लोगों को नहीं करने दिया जाता। जाहिर है कि ऐसे में सिस्टम की कार्यशैली पर भी सवाल उठते आए हैं।
इस सबको देखते हुए अब सरकार ने नई व्यवस्था दी है। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के अनुसार किसी व्यक्ति अथवा संस्था को सरकारी भूमि का आवंटन नीलामी के जरिए होगा और इसके आवंटन का अधिकार जिलाधिकारी को दिया गया है। भूमि आवंटन में न्यूनतम बाजार मूल्य लिया जाएगा। यदि कहीं किसी प्रकार का कोई विवाद अथवा अन्य कोई स्थिति आती है तो उसका शासन स्तर से निराकरण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सुख का अधिकार के अंतर्गत पर्यटन, पेयजल, संचार, स्वास्थ्य, उद्योग आदि के लिए यदि कहीं मार्ग की जरूरत होगी तो वहां इस प्रयोजन को भूमि का आवंटन होगा। इसके लिए वर्तमान के सर्किल रेट के आधार पर पैसा जमा करना होगा। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मार्ग सार्वजनिक उपयोग के लिए होगा। इसमें भी 12.5 एकड़ से अधिक की सीमा में होने वाला भूमि आवंटन शासन के अनुमोदन के बाद ही किया जाएगा।
लिपिकीय त्रुटि में सुधार
देहरादून के धौलास में अर्बन सीलिंग की एमडीडीए को हस्तांतरित की गई भूमि के भू-उपयोग परिवर्तन के संशोधन प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी हे। वहां भू उपयोग में वन एवं कृषि अंकित था। यह लिपिकीय त्रुटि थी। अब संशोधन के जरिये वन शब्द को विलोपित किया गया है।
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