दीपावली पर दो घंटे जला सकेंगे पटाखे, इसको लेकर मुख्य सचिव लेंगे अधिकारियों की बैठक
पटाखों का धुआं जानलेवा साबित हो सकता है। इस स्थिति को देखते हुए एनजीटी ने वायु प्रदूषण के हिसाब से गंभीर स्थिति वाले शहरों में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध ...और पढ़ें

देहरादून, जेएनएन। कोरोना का संक्रमण श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। ऐसे में पटाखों का धुआं जानलेवा साबित हो सकता है। इस स्थिति को देखते हुए एनजीटी ने वायु प्रदूषण के हिसाब से गंभीर स्थिति वाले शहरों में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाया है, जबकि मध्यम व कम प्रदूषण वाले शहरों में पटाखे जलाने के लिए दो घंटे का समय तय किया गया है। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उत्तराखंड के प्रमुख शहरों को मध्यम श्रेणी मानते हुए दो घंटे का नियम लागू किए जाने की बात कही है। दो घंटे कितने बजे से कितने बजे तक होंगे, यह तय करने के लिए मंगलवार को मुख्य सचिव अधिकारियों की बैठक लेंगे।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि के मुताबिक, उत्तराखंड में देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर व हल्द्वानी में वायु प्रदूषण के स्तर का आकलन किया जाता है। इन्हीं शहरों में सर्वाधिक प्रदूषण भी है। हालांकि, यहां वायु प्रदूषण (पीएम-10) सामान्य तौर पर 101 से 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के बीच रहता है। इस लिहाज से राज्य के शहर मध्यम श्रेणी में आते हैं। एनजीटी के आदेश में यह भी कहा गया है कि कम प्रदूषण फैलाने वाले (ग्रीन पटाखे) पटाखों की बिक्री व जलाने की अनुमति दी जाएगी। जिन राज्यों में दो घंटे का समय तय नहीं किया गया, उनके लिए यह रात आठ से 10 बजे तक माना जाएगा। पटाखे जलाने के लिए मुख्य सचिव को जिलाधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने होंगे।
मध्यम श्रेणी के प्रदूषण के मानक
- पीएम-10, 101 से 250 के बीच
- पीएम-2.5, 61 से 90 के बीच
यहां आंकड़ा मिला तो पटाखों पर प्रतिबंध
- पीएम-10, 251 से 350
- पीएम-2.5, 91 से 120
दीपावली पर इस तरह पार होते मानक
- वर्ष, पीएम-10 का स्तर
- 2019, 166 से 385
- 2018, 249.50 से 337
- 2017, 218.12 से 333.69
- 2016, 296.80 से 422.02
- 2015, 240.00 से 369.90
- 2014, 166.17 से 273.44
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