शिक्षकों की नियुक्ति को समकक्ष विषय शामिल करने का सुझाव
लोक सेवा आयोग ने उच शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा में असिस्टेंट प्रोफेसर और लेक्चरर के पदों पर नियुक्ति के लिए समकक्ष विषयों को भी शामिल करने का सुझाव दिया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: लोक सेवा आयोग ने उच्च शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा में असिस्टेंट प्रोफेसर और लेक्चरर के पदों पर नियुक्ति के लिए समकक्ष विषयों को भी शामिल करने का सुझाव दिया है। आयोग का कहना है कि इससे न केवल समकक्ष विषय में पढ़ाई करने वाले युवाओं को इन पदों पर आवेदन करने का मौका मिलेगा बल्कि नियुक्तियों को लेकर चलने वाले कोर्ट केस से भी राहत मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ समय पहले प्रदेश के विभिन्न महकमों में रिक्त चल रहे पदों में शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और इनमें आ रही परेशानियों को लेकर एक बैठक की थी। इस बैठक में लोक सेवा आयोग ने सरकार को विभिन्न संस्तुतियां की। आयोग का मानना था कि समय के साथ सेवा नियमावलियों में बदलाव किया जाना चाहिए। इनमें से एक संस्तुति शिक्षा विभाग को लेकर भी की गई। दरअसल, इस समय विभिन्न कॉलेजों में कई नए विषय शामिल किए गए हैं। ये विषय अभी तक चले आ रहे मूल विषयों के ही समकक्ष हैं। उदाहरण के तौर पर गणित (मैथ्स) की बात करें तो इस समय विभिन्न कॉलेजों में एप्लाइड मैथ्स और मैथेमेटिकल साइंस जैसे विषय पढ़ाए जा रहे हैं। ऐसे ही जूलॉजी के स्थान पर एडवांस जूलॉजी जैसे विषय शामिल किए गए है। ज्योतिष में फलित ज्योतिष, विधि में नव न्याय व साहित्य में साहित्यम जैसे विषयों में छात्र स्नातक अथवा परास्नातक स्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं, जब कॉलेज और इंटर कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर अथवा लेक्चरर आदि के पदों की भर्ती होती है तो विभाग भर्ती के लिए सेवा नियमावली आयोग को भेजता है। इन सेवा नियमावली में अभी भी मैथ्स, जूलॉजी अथवा ज्योतिष आदि विषयों के सापेक्ष भर्ती करता है, जबकि छात्र इनके समकक्ष विषय में स्नातक की परीक्षा पास कर चुका होता है। नियमावली में समकक्ष विषय का जिक्र न होने के कारण आयोग ऐसे छात्रों के आवेदन अस्वीकार कर देता है। इस कारण कई बार ये मामले कोर्ट में भी गए हैं। आयोग ने उस बैठक में इन्हीं प्रकरणों का हवाला देते हुए संबंधित सेवा नियमावली में संशोधन पर जोर दिया है।
अधिकारियों ने बैठक में इस बात को स्वीकार भी किया है। जानकारों की मानें तो लेक्चरर पदों पर तो इस तरह का संशोधन संभव है। मसलन इन विषयों के साथ समकक्ष शब्द लिखने से आयोग अन्य आवेदकों को भी परीक्षा में शामिल कर सकेगा। फिलहाल, आयोग के सुझाव पर शासन में अभी मंथन चल रहा है।
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