राज्य ब्यूरो, देहरादून। जिन विद्यालयों पर उत्तराखंड के भविष्य को तराशने का दारोमदार हैं, उनमें से बड़ी संख्या का अस्तित्व ही दांव पर लगा है। वजह है विद्यालय भवनों की जर्जर हालत। प्रदेश में सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के 1288 भवन जर्जर हालत में हैं। इनमें से सिर्फ 522 की मरम्मत या पुनर्निर्माण का काम शुरू हो पाया है। 766 विद्यालय भवनों की अब तक सुध तक नहीं ली गई। केंद्र से मदद मिलने के बाद ही इन विद्यालयों का पुनरोद्धार होगा।
राज्य में 1116 प्राथमिक और 172 माध्यमिक विद्यालय जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं। प्रदेश सरकार सीमित संसाधनों के चलते अपने बूते इन विद्यालयों की मरम्मत कराने में खुद को समर्थ नहीं पा रही है। हालांकि राज्य सेक्टर में विद्यालय भवनों की मरम्मत के लिए धनराशि दी तो जा रही है, लेकिन इससे हर वित्तीय वर्ष में कम संख्या में ही विद्यालयों की मरम्मत हो पा रही है। विद्यालयों की नैया बदहाली से पार लगाने के लिए केंद्रीय मदद पर निर्भरता ज्यादा है।
581 भवनों के लिए केंद्र से मदद का इंतजार
चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्राथमिक के 409 और माध्यमिक के 172 विद्यालयों को दुरुस्त करने के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता उपलब्ध होने का इंतजार किया जा रहा है। माध्यमिक विद्यालयों के लिए 84.96 करोड़ के प्रस्तावों को सरकार मंजूरी दे चुकी है। प्राथमिक के 268 विद्यालय भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए 27.41 करोड़ की धनराशि दी जा चुकी है। इसीतरह 254 माध्यमिक विद्यालयों के लिए 60.27 करोड़ दिए गए हैं। जिन विद्यालय भवनों के लिए धन दिया जा चुका हैं, उनमें भी खर्च की रफ्तार संतोषजनक नहीं है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि विभागीय अधिकारियों को विद्यालय भवनों के निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। जिन विद्यालय भवनों की हालत ज्यादा खराब है, उनकी मरम्मत प्राथमिकता से की जाएगी।
प्रदेश में जर्जर विद्यालय भवनों की जिलेवार स्थिति:
जिला, माध्यमिक, प्राथमिक
अल्मोड़ा, 22, 108
बागेश्वर, 07, 43
चमोली, 09, 79
चंपावत, 07, 49
देहरादून, 01, 120
हरिद्वार, 03, 48
नैनीताल, 16, 119
पौड़ी, 38, 133
पिथौरागढ़, 24, 128
रुद्रप्रयाग, 15, 44
टिहरी, 17, 156
ऊधमसिंहनगर, 06, 40
उत्तरकाशी, 07, 49
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