Move to Jagran APP

बिल्डर ने फर्जी साइन से बदला फ्लैट, बैंक ने थमाया लोन Dehradun News

एक बिल्डर ने ने आंध्रा बैंक (विलय के बाद यूनियन बैंक) की रुड़की शाखा के साथ मिलकर पहले तो निवेशक को बिना बताए उसका फ्लैट बदल दिया फिर बैंक ने लोन की एकमुश्त राशि बिल्डर को थमा दी।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 09:59 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 09:59 AM (IST)
बिल्डर ने फर्जी साइन से बदला फ्लैट, बैंक ने थमाया लोन Dehradun News

देहरादून, सुमन सेमवाल। उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में अपनी तरह का एक पहला मामला सामने आया है। इस प्रकरण में ईशान इंफ्राइस्टेट इंडिया प्रा.लि. ने आंध्रा बैंक (विलय के बाद यूनियन बैंक) की रुड़की शाखा के साथ मिलकर पहले तो निवेशक को बिना बताए उसका फ्लैट बदल दिया और फिर बैंक ने लोन की एकमुश्त राशि बिल्डर को ही थमा दी। इस बात का पता फ्लैट बुक कराने वाले व्यक्ति को तब पता चला, जब बैंक ने उनका एकाउंट एनपीए में डालकर नोटिस जारी करने शुरू कर दिए।

loksabha election banner

यह फ्लैट तुषार जैन नाम के व्यक्ति ने ईशान इंफ्राइस्टेट की ईशान इंपीरियल कोर्ट परियोजना में 19 अप्रैल 2014 को बुक कराया था। फ्लैट संख्या 301 की लागत करीब 54 लाख रुपये के सापेक्ष उन्होंने आठ लाख रुपये भी अदा किए। रेरा में दर्ज शिकायत के मुताबिक, बिल्डर चंदन श्रीवास्तव ने तुषार को आंध्रा बैंक से ऋण लेने की सलाह दी। ताकि वह उन्हें परियोजना पूरी होने की अवधि 36 माह तक किसी तरह की ईएमआइ व ब्याज के झंझट से मुक्त कर सकें। 

तय किया गया कि 41.75 लाख रुपये का ऋण लिया जाएगा। बिल्डर ने बैंक के साथ मिलीभगत कर एग्रीमेंट (25 अप्रैल 2014) के चार दिन के भीतर ही पूरी राशि अपने खाते में डलवा दी, जबकि ऋण स्वीकृत का कोई प्रमाण पत्र निवेशक तुषार जैन को नहीं दिया गया। दूसरी तरफ कहा गया कि 36 माह तक बिल्डर ही किश्त अदा करेंगे। 

इस बीच बिना किसी आवेदन के तुषार जैन के फ्लैट बी-301 को बदलकर बी-21 कर दिया गया। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार के समक्ष सुनवाई में यह बात सामने आई कि बिल्डर ने तुषार के फर्जी हस्ताक्षर कर फ्लैट बदलने की सहमति का दस्तावेज तैयार कर दिया। रेरा ने फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (देहरादून) से हस्ताक्षरों की जांच कराई। पता चला कि एग्रीमेंट व बाद में किए गए हस्ताक्षर पूरी तरह भिन्न हैं। 

इस बीच बिल्डर ने ऋण की कुछ किश्तें तुषार जैन के खाते में जमा कराई और फिर किश्त जमा कराना बंद कर दिया। 41.75 लाख रुपये ऋण की राशि ब्याज समेत 77 लाख को पार कर गई। प्रकरण के तमाम पहलुओं की पड़ताल करने के बाद रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने पाया कि इस मामले में बिल्डर व बैंक के तत्कालीन प्रबंधक ने मिलीभगत कर निवेशक को क्षति पहुंचाने का काम किया है। तत्कालीन शाखा प्रबंधक पर कार्रवाई की संस्तुति विभिन्न उच्च स्तर पर भेज दी गई।

वहीं, बिल्डर चंदन श्रीवास्तव को आदेश दिया कि वह 45 दिन के भीतर ऋण की राशि ब्याज समेत जमा कराएं और निवेशक के आठ लाख रुपये को 9.55 फीसद वर्षिक ब्याज के साथ अदा करना सुनिश्चित करें। भुगतान न करने की स्थिति में बिल्डर के खिलाफ भू-राजस्व के एरियर की भांति वसूली करने के आदेश भी दिए गए।

यह भी पढ़ें: देहरादून में शोरूम मालिक पिता और पुत्र पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज

आवासीय परियोजना अपूर्ण

रेरा में सुनवाई के दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि ईशान इंफ्राइस्टेट की परियोजना को अभी कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया है। स्वीकृत नक्शे से इतर निर्माण करने पर इसे सील भी कर दिया गया था। कंपाउंडिंग मैप दाखिल करने व भारी-भरकम शुल्क अदा करने के बाद इसकी सील खोली गई।

यह भी पढ़ें: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और बीएलओ से ठगी की कोशिश, शातिरों ने मांगी बैंक डीटेल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.