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    सस्ते आवास पर ठिठक रहे बिल्डरों के कदम

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    Updated: Mon, 12 Feb 2018 11:40 AM (IST)

    प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2022 तक सभी लोगों को आवास मुहैया कराने की राह आसान नजर नहीं आ रही है।

    सस्ते आवास पर ठिठक रहे बिल्डरों के कदम

    जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2022 तक सभी लोगों को आवास मुहैया कराने की राह आसान नजर नहीं आ रही है। योजना में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) को ही 15 हजार आवास बनाने का लक्ष्य मिला है और अब तक करीब आठ हजार लाभार्थियों की सूची भी एमडीडीए को भेजी जा चुकी है।

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    जबकि एमडीडीए दो हजार से भी कम आवास निर्माण पर स्थिति साफ कर पाया है। इस निर्माण में भी करीब आधी भागीदारी एमडीडीए की रहेगी और निजी बिल्डरों की बात करें तो महज एक बिल्डर ही आगे आया है। अन्य किसी बिल्डर से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण का प्रस्ताव एमडीडीए को नहीं मिल पाया है। यह तस्वीर तब है, जब प्रधानमंत्री आवास योजना में बिल्डरों को लुभाने के लिए सरकार ने नई आवास नीति में विशेष प्रावधान किए हैं।

    यदि कोई बिल्डर कृषि भूमि पर योजना के मुताबिक ईडब्ल्यूएस या एलआइजी आवास तैयार करता है तो लैंड यूज बदलने के लिए उसे सरकार को कोई शुल्क नहीं देना होगा। जबकि, लैंड यूज बदलने का शुल्क ही सर्किल रेट का 100 फीसद तक बैठ जाता है। इसके अलावा आवास निर्माण करने पर संबंधित बिल्डर से एमडीडीए किसी तरह का डेवलपमेंट चार्ज भी नहीं लेगा।

    एमडीडीए के सस्ते आवास पर एक नजर

    ट्रांसपोर्ट नगर फेज-दो

    ईडब्ल्यूएस, 224

    एलआइजी, 144

    तरला आमवाला

    ईडब्ल्यूएस, 240

    एलआइजी, 80

    धौलास की डीपीआर केंद्र को भेजी

    एमडीडीए ने धौलास में 240 आवास ईडब्ल्यूएस व 168 आवास एमएमआइजी (मध्यम आय वर्ग से कुछ कम दर वाले) बनाने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण योजना को स्वीकृति प्राप्त करने के लिए डीपीआर केंद्र सरकार को भेजी गई है।

    बिल्डर ने दिया 868 आवास का प्रस्ताव

    एमडीडीए के अधिशासी अभियंता संजीव जैन के अनुसार, सहस्रधारा रोड स्थित एक बिल्डर ने उलारा योजना के तहत 868 एलआइजी आवास बनाने का प्रस्ताव एमडीडीए को दिया है।

    नियम बने, अब आएगी तेजी

    सचिव आवास अमित नेगी के मुताबिक, हाल ही में आवास नीति के नियम तैयार किए गए हैं और इन्हें स्वीकृति के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा। अब तक नियम लागू न होने से बिल्डरों में कई तरह का संशय है। बिल्डरों को अभी स्पष्ट भी नहीं किया जा सका है कि किस तरह उनके आवास को प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ लिंक किया जाएगा या ऋण की योजना कैसे लागू होगी। आगामी कैबिनेट की बैठक में नियमों को स्वीकृति मिल जाने के बाद सस्ते आवास पर जमा धुंध स्वत: ही छंट जाएगी।