देहरादून में बिल्डर बेखौफ, दिखाई सचिव की धौंस; उल्टे पैर लौटी निगम की टीम
देहरादून के सहस्रधारा रोड स्थित एटीएस कॉलोनी में बिल्डर द्वारा नगर निगम की भूमि पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। बिल्डर ने न केवल जमीन पर कब्जा किया बल्कि गलत तथ्य पेश कर नक्शे भी पास करा लिए। शिकायत मिलने पर पहुंची नगर निगम की टीम को बिल्डर ने धमकाकर लौटा दिया। एमडीडीए उपाध्यक्ष ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं।

सुमन सेमवाल, जागरण देहरादून। शहर में बिल्डर इतने बेखौफ हो गए हैं कि वह सरकारी अफसरों को भी कुछ नहीं समझ रहे हैं। यहां तक कि सरकारी भूमि पर बिना डरे धड़ल्ले से अवैध निर्माण किए जा रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला सहस्रवरा रोड स्थित एटीएस कालोनी का है, जहां विल्हर ने न सिर्फ नगर निगम की जमीन पर कब्जा कर लिया, बल्कि गलत तथ्य पेश कर भवनों के नक्शे तक पास करा लिए। कालोनी निवासियों की शिकायत पर जब शनिवार को नगर निगम की टीम अपनी जमीन नापने पहुंची तो बिल्डर ने उल्टा अधिकारियों को ही धमकाकर वैरंग लौटा दिया।
नगर निगम की निरीक्षक (भूमि) सुधा यादव दोपहर बाद लेखपाल और पुलिस कर्मी के साथ एटीएस कालोनी में निगम को भूमि की जांच पड़ताल के लिए पहुंची थीं। इससे पहले कि टीम अपना काम शुरू कर पाती, बिल्डर ने उनकी राह रोक लो।
ये तक कह दिया कि अब कौन सी जांच की जा रही है। इसकी फाइल तो पहले से चल रही है। फाइल शासन में सचिव के पास है। निगम की टीम ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन बिल्डर ने जमीन में प्रवेश नहीं करने दिया। लिहाजा, टीम सिर्फ जमीन पर निगाह मारकर बैरंग लौट आई।
एमडीडीए ने नक्शों की जांच शुरू की एटीएस कालोनी के निवासियों ने नगर निगम की भूमि पर कब्जा कर अवैध निर्माण के मामले में एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि बिल्डर यहां दी भवन का निर्माण कर रहा है।
एक निर्माण में रास्ता दिखया गया है, जबकि दूसरा निर्माण विना मार्ग के ही किया जा रहा है। नक्शा पास कराने के लिए फर्जी ढंग से मार्ग दर्शाया गया है। एमडीडीए उपाध्यक्ष ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए संबंधित अभियंताओं को पास कराए गए नक्शे और मौके की स्थिति के अनुसार जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है।
वर्ष 2023-24 में जमीन हस्तांतरण के 'खेल' से सामने आया प्रकरण
वर्ष 2023 से 2024 के बीच पहली बार एटीएस कालोनी में नगर निगम की बेशकीमती जमीन को खुर्दखुर्द करने का प्रकरण पहली बार सामने आया था।
तब बिल्डर की तरफ से नगर निगम की 3800 वर्गमीटर में से 1250 वर्गमीटर भूमि के हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया गया था। हालांकि, एटीएस कालोनी की भूमि के बदले जो जमीन नगर निगम को दी जानी थी, वहां ढांग है, साल के पेड़ हैं और बंजर स्थिति है।
उस जमीन का सकिल रेट करीब 26 से 45 हजार वर्गगज के बीच है। जबकि एटीएस कालोनी की भूमि 75 हजार रुपये प्रति वर्गगज की है। इस मामले में तहसील सदर और नगर निगम स्तर से भी कई चूक की गई थी। बिना सक्षम संस्तुति और तथ्यों के समाधान के बिना प्रस्ताव को शासन को भेज दिया गया था। फिलहाल, मामला विवाद के चलते लंबित है।
गोल्डन फारेस्ट की है भूमि
एसटीएस कालोनी की भूमि गोल्डन फारेस्ट की है। गोल्डन फारेस्ट की तमाम संपत्तियों की नीलामी की जानी है और यह प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में गतिमान है।
ऐसे में नगर निगम के स्वामित्व में पार्क आदि जैसे सार्वजनिक प्रयोग के लिए भूमि को अस्थायी रूप में निगम के सुपुर्द किया जाना समझ में आता है, लेकिन निजी बिल्डर को किस स्वीकृति के जमीन हस्तांतरित करने की तैयारी की जा रही थी, यह अपने आप में बड़ा है।
लिहाजा, अधिकारियों को एटीएस कालोनी में निगम भूमि के विवाद के समाधान के लिए त्वरित कदम उठाने होंगे।
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