देश की पहली रेजीमेंट है ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स
उत्तराखंड एक्स-सर्विस लीग की ओर से ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें पूर्व सैनिकों ने रण किस्से याद किए। इस दौरान सांस्कृतिक आयोजनों से कलाकारों ने खूब समा बांधा।
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड एक्स-सर्विस लीग की ओर से ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स वार्षिक सम्मेलन का आयोजन हुआ। वक्ताओं ने कहा कि ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स देश की सबसे पुरानी रेजीमेंट हैं। ब्रिगेड के सैनिकों ने अनेकों युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही नहीं, यह एक मात्र रेजीमेंट है जिसका नाम जाति या क्षेत्र के आधार पर नहीं है। भारतीयता ही इसकी पहचान है। इस दौरान युद्धों में हिस्सा लेने वाले वाले पूर्व सैनिकों, आश्रित एवं वीर नारियों का सम्मान भी किया गया।
रविवार को गोर्खाली सुधार सभा में आयोजित सम्मेलन की शुरुआत ब्रिगेड के गीत से की गई। मुख्य अतिथि मेजर जनरल (सेनि.) सीबी गुप्ता ने रेजीमेंट के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका गठन फील्ड मार्शल केएम केरियप्पा ने इंग्लैंड की रॉयल्स गार्ड्स की तर्ज पर किया था। पहले इस रेजीमेंट के सैनिक राष्ट्रपति के अंगरक्षक के रूप में भी सेवा देते थे। बाद में इसका सेना में विलय कर दिया गया। विशिष्ट अतिथि ब्रिगेडियर (सेनि.) जीएस बाथ ने रेजीमेंट के 80 वर्ष के सफर पर प्रकाश डाला। सम्मेलन में कोटद्वार, पौड़ी, चमोली, उत्तरकाशी व कुमाऊं के विभिन्न हिस्सों से पूर्व सैनिक पहुंचे थे। इस अवसर पर कैप्टन (सेनि.) पूरण सिंह छेत्री, कर्नल (सेनि.) दीपक बख्शी, सुनील, बीआर राणा, सुरेंद्र शर्मा, कैप्टन (सेनि.) आलम सिंह समेत कई अन्य उपस्थित रहे।
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सांस्कृतिक विविधता के बिखरे रंग आयोजन की खास बात रही कि एक संस्कृति तक सीमित न रहते हुए कलाकारों ने गढ़वाली, कुमाऊंनी, पंजाबी, मराठी समेत कई अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।
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पुराने किस्सों से ताजा हुई यादें
ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स के पूर्व सैनिक लंबे समय बाद एक-दूसरे से मिल रहे थे। इस दौरान पूर्व सैनिक आपस में 1962, 1971 समेत कई अन्य युद्धों एंवं महत्वपूर्ण अभियानों से जुड़े रोचक किस्सों का जिक्र भी करने लगे। इससे उनकी दशकों पुरानी यादें ताजा हुई।
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