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कोरोनेशन अस्पताल में डायलिसिस करा रहे बीपीएल मरीजों की बढ़ेंगी मुश्किलें

कोरोनेशन अस्पताल में पीपीपी मोड पर यह सुविधा मुहैया करा रही नेफ्रोप्लस कंपनी ने आगामी 26 फरवरी से बीपीएल मरीजों को डायलिसिस की सुविधा देने से हाथ खड़े कर दिए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 09:43 AM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 08:16 PM (IST)
कोरोनेशन अस्पताल में डायलिसिस करा रहे बीपीएल मरीजों की बढ़ेंगी मुश्किलें
कोरोनेशन अस्पताल में डायलिसिस करा रहे बीपीएल मरीजों की बढ़ेंगी मुश्किलें

देहरादून,  जेएनएन। कोरोनेशन अस्पताल में डायलिसिस करा रहे बीपीएल मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पीपीपी मोड पर यह सुविधा मुहैया करा रही नेफ्रोप्लस कंपनी ने आगामी 26 फरवरी से बीपीएल मरीजों को डायलिसिस की सुविधा देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इस विषय में कंपनी की ओर से बकायदा अस्पताल में नोटिस चस्पा कर दिया है। कंपनी के इस निर्णय से जहां डायलिसिस कराने वाले मरीजों की जिंदगी पर बड़ा संकट मंडरा सकता है, वहीं अस्पताल प्रबंधन के भी हाथ-पांव फूले हुए हैं। उधर, इससे आक्रोशित मरीजों व उनके तीमारदारों ने शनिवार को अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला का घेराव किया। डॉ. रमोला ने उन्हें भरोसा दिलाया कि इस मामले का जल्द समाधान निकाला जाएगा किसी मरीज को परेशानी नहीं होने दी जाएगी।

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विदित हो कि कोरोनेशन अस्पताल में डायलिसिस यूनिट का संचालन पीपीपी मोड पर किया जाता है। जिसका जिम्मा नेफ्रोप्लस कंपनी के पास है। इस यूनिट में बीपीएल श्रेणी के मरीजों को निश्शुल्क डायलिसिस का लाभ मिलता है। इसका भुगतान कंपनी को सरकार द्वारा किया जाता है। बता दें, वर्तमान में यहां 13 मशीनें हैं। जिनमें वर्तमान में अलग-अलग शिफ्ट में 140 मरीज डायलिसिस की सुविधा ले रहे हैं। लेकिन पिछले लंबे समय ने भुगतान नहीं होने से अब कंपनी ने बीपीएल श्रेणी के मरीजों को सुविधा देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कंपनी प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार द्वारा बीपीएल बिलों का भुगतान फरवरी 2018 से नहीं किया गया है। वर्तमान में करीब आठ करोड़ रुपये का बकाया है। यह भुगतान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से किया जाना है। स्वास्थ्य विभाग को कई बार पत्र लिखकर बकाया भुगतान करने के लिए कहा गया है, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया गया है।

डॉ. बीसी रमोला (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक कोरोनेशन अस्पताल) का कहना है कि फ्रोप्लस कंपनी की ओर से सूचना पट्ट पर नोटिस चस्पा किए जाने की शिकायत मरीजों ने की है। कंपनी द्वारा बिना पूर्व सूचना के इस तरह का नोटिस चस्पा किया जाना अनुचित है। बेहतर होता कि कंपनी प्रतिनिधि पहले इस बारे में उनसे वार्ता करते और इस समस्या का समाधान निकाला जाता। मैने कंपनी प्रतिनिधियों को बुलाकर उन्हें इस बारे में अवगत कराया है। जरूरत पड़ी तो संबंधित कंपनी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

युगल किशोर पंत (अपर सचिव स्वास्थ्य एवं मिशन निदेशक एनएचएम) का कहना है कि बीपीएल श्रेणी में शामिल अधिकांश मरीजों के गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। अब ऐसे मरीज अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में उपचार की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। इसमें डायलिसिस भी शामिल है। नेफ्रोप्लस कंपनी द्वारा बीपीएल श्रेणी के मरीजों के जो बिल भेजे गए हैं इनमें त्रुटियां हैं। बीपीएल श्रेणी के किसी भी मरीज का सही रिकार्ड बिल में अंकित नहीं किया गया है। बस मरीज का नाम और बीपीएल अंकित है। कंपनी इन बिलों को दुरस्त कर भेजती है तो भुगतान कर दिया जाएगा।’

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