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इस बोर्डिंग स्कूल की 'स्कीम' में फंसकर अब अभिभावक परेशान

देहरादून के माडूंवाला स्थित ल्यूसेंट पब्लिक स्कूल की स्कीम में फंसकर कर्इ अभिभावकों ने अपने बच्चों का वहां एडमशिन कर दिया, पर अब स्कूल की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 10 Apr 2018 04:16 PM (IST)Updated: Tue, 10 Apr 2018 09:47 PM (IST)
इस बोर्डिंग स्कूल की 'स्कीम' में फंसकर अब अभिभावक परेशान

देहरादून, [जेएनएन]: दून के एक प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल की 'स्कीम' में कई अभिभावक फंस गए हैं। उनके बच्चों को दाखिला यह कहकर दिया गया कि बस वन टाइम रकम उन्हें देनी है। यह पैसा भी बच्चे के दसवीं पास करने पर वापस कर दिया जाएगा। पर अब स्कूल ने अपनी खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर इस योजना से हाथ खड़े कर लिए हैं। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि कोई अभिभावक सालाना 60 हजार देता है, तो बच्चे को पढ़ा सकता है। अन्यथा वह बच्चे को वहां से निकाल लें। अभिभावकों की जमा रकम कब मिलेगी, इसका भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा। ऐसे में बिहार के करीब 30 अभिभावकों ने दून में डेरा डाल लिया है। वह स्कूल के खिलाफ कोर्ट जाने की भी तैयारी कर रहे हैं। 

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यह मामला माडूंवाला स्थित ल्यूसेंट पब्लिक स्कूल से जुड़ा है। करीब पांच साल पहले स्कूल ने एक योजना शुरू की। जिसमें कहा गया कि अभिभावक एक बार में पांच लाख या तीन किश्त में छह लाख जमा कराएं। इस वन टाइम इनवेस्टमेंट में उनके बच्चे को दसवीं तक पढ़ाया जाएगा। इतना ही नहीं यह रकम दसवीं पास करने पर वापस कर दी जाएगी। स्टेट टॉपर को दो लाख व बोर्ड टॉपर को पांच लाख अलग देने की बात कही गई। जिस पर कई अभिभावकों ने अपने बच्चों का दाखिला स्कूल में करा दिया। इनमें ज्यादातर बच्चे बिहार के हैं और स्कूल ने एक ऑफिस पटना में भी खोला हुआ है। 

अभिभावकों के अनुसार, मार्च मध्य में स्कूल प्रबंधन ने पटना में एक बैठक आयोजित की। जिसमें कहा गया कि वित्तीय हालात ठीक न होने के कारण वह यह स्कीम चला पाने में असमर्थ हैं। अभिभावक 60 हजार सालाना दें, तभी वह बच्चे को पढ़ा पाएंगे। जिस किसी ने मना किया उसके बच्चे को स्कूल से निकाल दिया गया। उस पर दाखिले के वक्त जमा रकम का अब तक कहीं अता पता नहीं है। 

टीसी ली तो होंगे डिफॉल्टर 

अभिभावकों का कहना है कि स्कूल उन्हें पैसा लौटाने में आनाकानी कर रहा है। अभिभावक एसपी मिश्रा ने बताया कि उन पर बच्चे की टीसी लेने का दबाव बनाया जा रहा है। जबकि दाखिले के वक्त जो अनुबंध किया गया, उसके मुताबिक खुद बच्चा निकालने पर वह डिफॉल्टर की श्रेणी में आ जाएंगे। 

पिछले साल पास बच्चे का भी नहीं मिला पैसा 

अभिभावकों ने स्कूल की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि स्कूल की नीयत पैसा लौटाने की नहीं है। बिहार के जनपद रोहताश निवासी अरविंद कुमार ने बताया कि उनके बेटे उज्ज्वल ने गत वर्ष दसवीं की है। लेकिन उनके द्वारा जमा रकम अब तक वापस नहीं मिली। इससे पूर्व के कई मामले हैं जहां स्कूल के दिए चेक बाउंस हुए हैं। 

सुरक्षा को लेकर भी सवाल 

अभिभावकों ने स्कूल पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बच्चों के मार्फत ही उन्हें फोन कराया गया। जिसमें कहा गया कि उन्हें निकाला जा रहा है। स्कूल ने बच्चों को कुछ पैसे देकर यहां से ट्रेन में बैठा दिया। 

स्कूल की उप प्रधानाचार्य रेणू ने बताया कि स्कूल आर्थिक कारणों से इस स्कीम का संचालन नहीं कर पा रहा है। पिछले सालों में महंगाई भी बहुत बढ़ गई है। ऐसे में अभिभावकों को विकल्प दिया गया। अधिकतर अभिभावक इसके लिए राजी भी हैं। बस कुछेक ही विरोध में हैं। पटना में हुई बैठक में इन्हें सालभर में पैसा लौटाने की बात कही गई थी। जिस पर उन्होंने सहमति भी दे दी थी। 

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