Dehradun Disaster: छह दिन बाद मलबे से निकला अंकित का शव, गांव में छाया मातम
देहरादून के मंझाड़ा गांव में 15 सितंबर को आई आपदा में दबे 19 वर्षीय अंकित रावत का शव छह दिन बाद मिला। प्रशासन ने मलबा हटाने के बाद रेस्क्यू बंद कर दिया है। अंकित के शव के साथ कुछ जानवरों के शव भी मिले। एसडीएम सदर हरगिरी ने बताया कि प्रभावितों को भोजन आवास और मुआवजा दिया जा रहा है। मृतकों के परिजनों को सहायता राशि चेक दिए गए हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। मंझाड़ा गांव के लोग रविवार को उस समय गहरे सदमे में डूब गए जब छह दिन की लंबी जद्दोजहद के बाद 19 वर्षीय अंकित रावत का शव मलबे से बरामद हुआ। बीते 15 सितंबर को आई भीषण आपदा में अंकित अपने ही घर के मलबे में दब गया था।
परिवार और ग्रामीण लगातार उम्मीद लगाए बैठे थे कि वह किसी तरह बच जाएगा, लेकिन रविवार को जब शव मिला तो पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया। मंझाड़ा में मलबे में दबे दोनों शवों को निकालने के बाद प्रशासन ने रेस्क्यू बंद कर दिया है।
अंकित कुमार, मेहर सिंह का इकलौता बेटा था। पढ़ाई के साथ-साथ वह परिवार की जिम्मेदारी में भी हाथ बंटाता था। गांववालों का कहना है कि अंकित मेहनती और मिलनसार स्वभाव का था, उसकी मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। रेस्क्यू दल ने तीन पोकलैंड मशीन और एक जेसीबी की मदद से भारी मलबा हटाकर अंकित का शव निकाला।
इसी दौरान एक गाय, एक बकरी और एक भेड़ का शव भी बरामद हुआ। पहले तीन लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन प्रशासन ने स्पष्ट किया कि तीसरे व्यक्ति का शव दो दिन पूर्व ही केसरवाला क्षेत्र से बरामद हो चुका था। जबकि, शुक्रवार को यहां श्रमिक वीरेंद्र का शव भी बरामद हो चुका था। अब दोनों शव मिलने के बाद रेस्क्यू अभियान समाप्त कर दिया गया है।
अंकित की असमय मौत से गांव का हर चेहरा मायूस है। ग्रामीणों का कहना है कि इस आपदा ने केवल घर और खेत ही नहीं छीने, बल्कि उनकी आंखों का तारा भी छीन लिया। युवाओं ने कहा कि अंकित का जाना पूरे गांव की अपूरणीय क्षति है, जिसे कभी भरा नहीं जा सकेगा।
आपदा की रात से ही मंझाड़ा में डटे रहे एसडीएम
आपदा की रात से ही मंझाड़ा गांव में डटे एसडीएम सदर हरगिरी लगातार राहत और बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने बताया कि प्रभावितों की खाने-रहने की व्यवस्था के साथ-साथ मुआवजा वितरण का कार्य भी पूरा किया जा रहा है। मृतकों के परिजनों को सहायता राशि के चेक उपलब्ध कराए गए हैं। रेस्क्यू में तेजी लाने के लिए एसडीएम खुद मौके पर दिशा-निर्देश देते रहे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।