भाजपा में नहीं चलेगा सिटिंग-गेटिंग फार्मूला, जिताऊ चेहरे पर खेलेगी दांव
अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने के लिए बेताब भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में जिताऊ चेहरों पर ही दांव खेलेगी। फीडबैक के आधार पर ही प्रत्याशी का चयन किया जाएगा।
देहरादून, विकास धूलिया। अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने के लिए बेताब भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में जिताऊ चेहरों पर ही दांव खेलेगी। भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलौत ने साफ कर दिया कि टिकट के दावेदारों के बारे में हासिल फीडबैक के आधार पर ही प्रत्याशी का चयन किया जाएगा।
गहलौत के इस बयान से प्रदेश भाजपा में भितरखाने हलचल नजर आने लगी है। खासकर, सूबे की पांच में से तीन संसदीय सीटों पर टिकट को लेकर घमासान तय है। उत्तराखंड में पिछले पांच वर्षो से भाजपा लगभग अजेय स्थिति में है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट हार गई थी। इसके बाद वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने भाजपा को सूबे की सत्ता से बेदखल कर दिया।
लगातार दो पराजय से सबक लेकर भाजपा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उतरी। अब इसे मोदी मैजिक का भी असर कह सकते हैं, लेकिन तब भाजपा ने पांचों सीटों पर मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की। पार्टी का यह प्रदर्शन वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जारी रहा।
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद पहली बार कोई पार्टी तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में आई। इस चुनाव में भाजपा को कुल 70 सीटों में से 57 पर जीत हासिल हुई। आगामी लोकसभा चुनाव में अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराना ही भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
इस वक्त भाजपा अपने चरम पर है और अगर वह एक भी सीट गंवाती है तो इसकी तुलना पार्टी के पिछले चुनावी प्रदर्शन से की जाएगी। यानी, भाजपा के पास लोकसभा चुनाव में नया कुछ हासिल करने को है नहीं। यही वजह है कि इस दफा पार्टी प्रत्याशी चयन में फूक-फूक कर कदम बढ़ा रही है। यहां तक कि पार्टी ने अब यह भी साफ कर दिया है कि सिटिंग सांसदों को फिर से टिकट दिए जाने की कोई गारंटी नहीं।
दरअसल, उत्तराखंड की पांच में से दो सीटों पौड़ी गढ़वाल और नैनीताल के मौजूदा सांसदों भुवन चंद्र खंडूड़ी व भगत सिंह कोश्यारी के बारे में माना जा रहा है कि वे इस दफा चुनाव नहीं लडे़ंगे। यही वजह है कि इन दो सीटों पर दावेदारों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके अलावा टिहरी और अल्मोड़ा सीटों को लेकर भी कई भाजपा नेताओं ने रुचि प्रदर्शित की है।
राजनैतिक हलकों में टिहरी संसदीय सीट से पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की दावेदारी तय मानी जा रही है तो अल्मोड़ा सुरक्षित सीट से प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री रेखा आर्य सार्वजनिक तौर पर अपनी दावेदारी पेश कर चुकी हैं। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने नैनीताल सीट पर दावा किया है, हालांकि उनका कहना है कि अगर वर्तमान सांसद कोश्यारी चुनाव नहीं लड़ते हैं तो ही वह दावेदारी पेश करेंगे।
ऐसी स्थिति में भाजपा नेतृत्व को प्रत्याशी तय करने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। यही वजह है कि पार्टी ने तय कर लिया है कि एकमात्र जिताऊ होना ही टिकट की गारंटी मानी जाएगी, यानी विनिंग-गेटिंग का फार्मूला ही अमल में लाया जाएगा।
महत्वपूर्ण बात यह कि इसके दायरे में पार्टी के पांचों मौजूदा सांसद भी होंगे। अगर हासिल फीडबैक में उनकी परफार्मेस से नेतृत्व संतुष्ट नहीं होता तो टिकट कट भी सकता है।
भाजपा टिकट के दावेदार
पौड़ी गढ़वाल: भुवन चंद्र खंडूड़ी, तीरथ सिंह रावत, कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल, वीरेंद्र जुयाल, शौर्य डोभाल।
टिहरी गढ़वाल: महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह, विजय बहुगुणा, मुन्ना सिंह चौहान, महावीर रांगड़।
हरिद्वार: डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, मदन कौशिक, नरेश बंसल। नैनीताल: भगत सिंह कोश्यारी, यशपाल आर्य, राजू भंडारी। अल्मोड़ा: अजय टम्टा, रेखा आर्य।
प्रत्याशी चयन को लेंगे फीडबैक
केंद्रीय मंत्री व भाजपा के लोकसभा चुनाव प्रदेश प्रभारी थावरचंद गहलौत के मुताबिक लोकसभा चुनाव में जिताऊ प्रत्याशियों को ही टिकट दिया जाएगा। प्रत्याशी चयन के लिए कार्यकर्ता व संगठन का फीडबैक लिया जाएगा। इसके अलावा सर्वे के माध्यम से मिला फीडबैक भी प्रत्याशी चयन का आधार होगा।
उन्होंने कहा कि पार्टी में प्रत्याशी चयन को लेकर उम्र की कोई सीमा तय नहीं की गई है। सिटिंग एमपी या कोई भी पार्टी नेता टिकट के लिए दावेदारी कर सकता है। लोकसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। भाजपा ने बीते तीन-चार महीनों से कार्ययोजना बनाकर चुनाव में जाने का निर्णय लिया है। भाजपा इस बार 2014 के चुनावों से अधिक सीट लाएगी और एनडीए केंद्र में सरकार बनाएगा।
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