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शाह ने फूंका लहर को जीत की सुनामी बनाने का मंत्र

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह देवभूमि से चुनावी महासंग्राम की रणभेरी बजा गए। साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र भी दिया।

By Edited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 08:48 PM (IST)
शाह ने फूंका लहर को जीत की सुनामी बनाने का मंत्र
शाह ने फूंका लहर को जीत की सुनामी बनाने का मंत्र

देहरादून, विकास धूलिया। मिशन-2019 फतह करने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह देवभूमि से चुनावी महासंग्राम की रणभेरी बजा गए। शाह ने न केवल उत्तराखंड के पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा, अपितु उन्हें यह कह कर जीत का मंत्र भी दे गए कि इस बार देवभूमि से निकली लहर पूरे देश में फैलकर जीत की सुनामी में तब्दील होगी। बगैर दाग-धब्बे की केंद्र व राज्य सरकार के बूते छाती तानकर मतदाताओं तक पहुंच बना उन्हें पार्टी के पक्ष में मोड़ने की रणानीति अमल में लाने और जीत सुनिश्चित करने के लिए साठ फीसद से ज्यादा वोट हासिल करने का लक्ष्य भाजपा अध्यक्ष अपने कार्यकर्ताओं को दे गए।

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यूं तो उत्तराखंड में भाजपा हमेशा से मतदाताओं के बीच गहरी पैठ रखती आई है लेकिन पिछले पांच वर्षों के दौरान तो पार्टी यहां बिल्कुल अपराजेय स्थिति में है। हालांकि उत्तराखंड में लोकसभा की केवल पांच ही सीटें हैं, लेकिन इससे इसकी अहमियत कम नहीं हो जाती। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नमो लहर में राज्य की पांचों सीटों पर भाजपा का परचम फहराया था। 

इसके बाद वर्ष 2017 में संपन्न विधानसभा चुनाव में अपनी शानदार जीत के क्रम को भाजपा ने आगे बढ़ाया और 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज की। अब स्वाभाविक रूप से आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी का लक्ष्य अपने प्रदर्शन की पुनरावृत्ति का है। इस लिहाज से देखा जाए तो भाजपा अध्यक्ष पार्टी कार्यकर्ताओं में जीत का मंत्र फूंक कर उन्हें चुनावी समर में उतरने को तैयार कर गए। पिछले लोकसभा चुनाव में नमो लहर में जीत का परचम फहराने वाली भाजपा के समक्ष इस बार परिस्थितियां ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं। 

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के अलावा देशभर में विपक्षी दलों के महागठबंधन के कारण भाजपानीत एनडीए को देश के तमाम हिस्सों में अलग-अलग रणनीति अख्तियार करनी पड़ रही है। हालांकि उत्तराखंड में इस तरह की कोई चुनौती भाजपा के सामने नहीं है। यहां भाजपा और कांग्रेस ही अमूमन चुनाव में आमने-सामने होती हैं। इसके बावजूद भाजपा अध्यक्ष ने शनिवार को देहरादून में आयोजित त्रिशक्ति सम्मेलन में पार्टी कार्यकर्ताओं को जो संदेश दिया, वह पूरे देश के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक रहा। 

खासकर, जीत सुनिश्चित करने के लिए साठ फीसद वोटर को पार्टी के पक्ष में खड़ा करने का गुरुमंत्र। केंद्र व प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार जैसा कोई दाग-धब्बा न होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि साफ सुथरी छवि की पार्टी होने के कारण कार्यकर्ता बगैर किसी हिचक के मतदाताओं के सामने जाएं और उन्हें सरकारों की जन हितकारी योजनाओं की जानकारी दें। इसमें उन्होंने अटल आयुष्मान और उज्ज्वला समेत कई योजनाओं का जिक्र किया। साथ ही कहा कि पहले कार्यकर्ता अपने घरों पर पार्टी का झंडा लगाएं और फिर प्रत्येक मतदाता के घर पर, इससे उनका पार्टी से जुड़ाव बढ़ेगा। 

सैन्य बहुल राज्य होने के कारण उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण वन रैंक, वन पेंशन के मुद्दे पर उन्होंने इसे लागू करने को अपनी सरकार की उपलब्धि तो बताया ही, 'ओआरओपी' की नई परिभाषा 'ओनली राहुल, ओनली प्रियंका' गढ़ वह कार्यकर्ताओं की ताली बटोर कांग्रेस पर गहरा तंज कसने से भी नहीं चूके। पिछले दिनों तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार से सबक लेने की नसीहत भी पार्टी अध्यक्ष ने दी। गलतियां न दोहराने का भरोसा जताते हुए उन्होंने अपेक्षा की कि भाजपा के पक्ष में जो भीड़ जुटती है, वह मतों की शक्ल में भी तब्दील होनी चाहिए।

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