उत्तराखंड में नए जिले न बनने पर सियासी बवाल
कैबिनेट बैठक में सरकार ने नए जिलों के स्थान पर इनके पुनर्गठन लिए एक हजार करोड़ रुपये का कॉरपस फंड बनाने का निर्णय लिया और जिले बनाने का मसला अगली सरकार पर छोड़ दिया।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड में नए जिलों के गठन के स्थान पर कैबिनेट द्वारा इसके लिए कॉरपस फंड बनाने के निर्णय पर मुहर लगाए जाने सियासत गरमा गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने इसे सरकार की ओर से जनता को बरगलाने वाला कदम करार दिया है।
उन्होंने कहा कि जब सरकार के पास फंड ही नहीं है तो कॉरपस फंड क्यों बनाया जा रहा है। सरकार के पास फंड है तो फिर जिलों के गठन से सरकार कदम क्यों पीछे खींच रही है। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कॉरपस फंड बनाने का स्वागत किया है लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी जानकारी के मुताबिक मंत्रिमंडल में सहमति न बनने के कारण जिलों का गठन नहीं हो पाया।
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कैबिनेट बैठक में सरकार ने नए जिलों के स्थान पर इनके पुनर्गठन लिए एक हजार करोड़ रुपये का कॉरपस फंड बनाने का निर्णय लिया और जिले बनाने का मसला अगली सरकार पर छोड़ दिया। सरकार के इस निर्णय पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। दरअसल, कांग्रेस संगठन खुद नए जिलों के पक्ष में था। यही कारण भी था कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कैबिनेट बैठक से पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत को पत्र लिखकर बैठक में नए जिलों की स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया। बैठक के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने जिलों के गठन न होने का ठीकरा मंत्रिमंडल पर ही फोड़ डाला।
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उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया कि इस पर मंत्रिमंडल में सहमति नहीं बन रही है। भारी दबाव के कारण मुख्यमंत्री यह कदम नहीं उठा पाए। हालांकि, उन्होंने जोड़ा कि वे नए जिलों के पुनर्गठन के लिए कॉरपस फंड बनाने का स्वागत करते हैं, कम से कम सरकार इस दिशा में आगे तो बढ़ी है। उन्होंने कहा कि आचार संहिता लगने से पहले वे एक बार फिर इस मामले में मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे।
वहीं, भाजपा ने इस मामले में सरकार को निशाने पर लिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि जिलों के गठन को लेकर भाजपा को पहले से ही आशंका थी। वह अब सही साबित हुई है। भाजपा लगातार सरकार से पिछली सरकार के दौरान चार जिलों के गठन के निर्णय को पुनर्जीवित करने का अनुरोध कर रही है।
सरकार ने ऐसा नहीं किया। सरकार लगातार जनता को गुमराह कर रही है। सच यह है कि राजधानी, जिले और झूठी घोषणाओं से लोगों को लगातार बेवकूफ बनाने का प्रयास सरकार कर रही है।
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