हरीश रावत (Harish Rawat)
Harish Rawat Profile हरीश रावत (Harish Rawat) उत्तराखंड (Uttarakhand) के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। वह उन कद्दावर नेताओं में शुमार हैं जो लाख कठिनाइयों के बाद भी केंद्र के कैबिनेट मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर काबिज हुए। हरीश रावत (Harish Rawat) तीन बार उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनका राजनीतिक करियर में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।

देहरादून, जागरण डिजिटल डेस्क। हरीश रावत (Harish Rawat) उत्तराखंड (Uttarakhand) की राजनीति का वो नाम है जो अपने आप में भी अपनी साख को दर्शाता है। उत्तराखंड (Uttarakhand) में कांग्रेस (Congress) का सबसे अहम, सबसे खास और सबसे वरिष्ठ चेहरा हैं हरीश रावत (Harish Rawat)। हरीश रावत कांग्रेस के लिए जितने अहम हैं उतने ही उत्तराखंड (Uttarakhand) की राजनीति के लिए भी। हरीश रावत उत्तराखंड के उन कद्दावर नेताओं में शुमार हैं, जो लाख कठिनाईयों के बाद भी केंद्र के कैबिनेट मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर काबिज हुए।
उत्तराखंड की राजनीति बिना हरीश रावत के नहीं समझी जा सकती है। देवभूमि की राजनीति को जानना है तो हरीश रावत के जीवन परिचय से हमें रूबरू होना आवश्यक है। तो आईए जानते हैं जन्म से लेकर राजनीतिक करियर के मुकाम पर और फिर हार की पटखनी तक के हरीश रावत के सफर को..
तत्कालीन यूपी के अल्मोड़ा में हुआ था जन्म
उत्तराखंड के लाल हरीश रावत का जन्म अल्मोड़ा के मोहनरी गांव में हुआ था। अल्मोड़ा अब भले ही उत्तराखंड का भाग हो, लेकिन उस वक्त अल्मोड़ा उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। 27 अप्रैल 1948 को अल्मोड़ा के एक कुमाऊंनी राजपूत परिवार में हरीश रावत का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम राजेंद्र सिंह रावत और मां का नाम देवकी देवी था।
लखनऊ यूनिवर्सिटी से पूरी की शिक्षा
हरीश रावत की शिक्षा भी उत्तर प्रदेश में ही हुई। उनकी शुरुआती पढ़ाई गवर्नमेंट इंटर कॉलेज चौनलिया में हुई। इसके बाद हरीश रावत ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीए और 1978-1979 में एलएलबी की डिग्री ली। हरीश रावत ने वकालत की पढ़ाई की।
एक ही कॉलेज में पढ़ने वाली रेणुका रावत से की शादी
हरीश रावत ने अपने कॉलेज में ही साथ पढ़ने वाली रेणुका रावत से शादी की। रेणुका रावत ने भी लखनऊ यूनिवर्सिटी से ही लॉ की डिग्री ली थी। हरीश रावत के तीन बच्चे हैं। बेटे आनंद सिंह रावत भी राजनीति से जुड़े हैं, जबकि बेटी अनुपमा रावत आईटी सेक्टर से हैं और राजनीति में भी सक्रिय हैं। इसके अलावा आरती रावत भी इनकी बेटी हैं।
शून्य से शुरुआत करने वाले युवा ने जब दी मुरली मनोहर जोशी को शिकस्त
हरीश रावत ने वकालत तो की, लेकिन उनका मन राजनीति में जमने लगा। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सबसे छोटे स्तर से की। उन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया। हरीश रावत ने अपनी राजनीति की शुरुआत ब्लॉक स्तर से की। इसके बाद हरीश रावत युवा कांग्रेस के साथ जुड़ गए।
साल 1980 में उन्हें पहली बार बड़ी सफलता हाथ लगी जब वह अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के बड़े नेता मुरली मनोहर जोशी को हराकर संसद पहुंचे। हरीश रावत के लिए ये बहुत बड़ी जीत थी, क्योंकि मुरली मनोहर जोशी उस वक्त राजनीति के धुरंधर थे। कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर आए हरीश रावत को केंद्र में श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री बनाया गया।
इसके बाद 1984 में उन्होंने और भी बड़े अंतर से मुरली मनोहर जोशी को शिकस्त दी। हरीश रावत का सियासी करियर एक ओर बुलंदियों को छू रहा था, तो दूसरी ओर उत्तराखंड आंदोलन भी तेज हो गया। 1989 के लोकसभा चुनाव तक उत्तराखंड आंदोलन भी बड़ा रूप लेने लगा था। हालांकि इस चुनाव में भी हरीश रावत ने जीत दर्ज की और तीसरी बार लोकसभा पहुंचे।
1990 से 2014 तक ऐसा रहा हरीश रावत का राजनीतिक सफर
- 1990 में हरीश रावत संचार मंत्री और मार्च 1990 में राजभाषा कमेटी के सदस्य बने
- 1992 में उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद संभाला, 1997 तक वो इस पद पर बने रहे
- 1999 में हरीश रावत हाउस कमेटी के सदस्य बने
- 2001 में उन्हें उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया
- 2002 में वो राज्यसभा के लिए चुन लिए गए
- 2009 में वो एक बार फिर लेबर एंड इम्प्लॉयमेंट के राज्य मंत्री बने
- साल 2011 में उन्हें राज्य मंत्री, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्री के साथ संसदीय कार्य मंत्री का कार्यभार भी हरीश रावत को मिला
- 30 अक्टूबर 2012 से 31 जनवरी 2014 तक जल संसाधन मंत्रालय का नेतृत्व भी हरीश रावत ने किया
जब हरीश रावत को मिली उत्तराखंड की कमान
साल 2014 तक हरीश रावत उत्तराखंड का वो अहम चेहरा थे, जिनकी चर्चा केंद्र तक थी। कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में हरीश रावत का नाम सबसे ऊपर था। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी और साल 2012 के विधानसभा चुनावों में उनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे मजबूत था, लेकिन उनकी जगह विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया गया।
फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि एक साल के अंदर ही हरीश रावत सीएम की कुर्सी पर विराजमान थे। दरअसल जून 2013 में आई केदारनाथ आपदा से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामी के आरोपों के चलते बहुगुणा को सीएम पद से हटा दिया गया और हरीश रावत को सूबे की कमान सौंपी गई।
कभी पूरा नहीं कर सके अपना कार्यकाल
वैसे तो हरीश रावत ने उत्तराखंड की कमान तीन बार संभाली, लेकिन एक बार फिर वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। हर बार उन्हे पांच साल के कार्यकाल से पहले ही अपनी कुर्सी त्यागनी पड़ी है।
- सबसे पहले एक फरवरी 2014 को उत्तराखंड के सीएम बने , 27 मार्च 2016 को राष्ट्रपति शासन लग गया
- 1 अप्रैल 2016 को दोबारा सीएम बने , लेकिन एक दिन बाद फिर से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया
- 11 मई 2016 को फिर से उन्हें सीएम की कुर्सी मिली, 18 मार्च 2017 तक वो सीएम रहे
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
हरीश रावत की शुरुआती पढ़ाई गवर्नमेंट इंटर कॉलेज चौनलिया में हुई। इसके बाद हरीश रावत ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीए और 1978-1979 में एलएलबी की डिग्री ली।
हरीश रावत ने अपने कॉलेज में ही साथ पढ़ने वाली रेणुका रावत से शादी की।
हरीश रावत ने उत्तराखंड की कमान तीन बार संभाली, लेकिन एक बार फिर वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
हरीश रावत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता हैं।
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