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    Uttarakhand : डिजिटलीकरण की दिशा में बड़ा कदम, एक जनवरी से शुरू होगा भूलेख पोर्टल

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 12:03 PM (IST)

    उत्तराखंड में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राज्य में भूलेख पोर्टल 1 जनवरी से शुरू होगा। यह पोर्टल भूमि रिकॉर्ड को ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून: राज्य में भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने गुरुवार को सचिवालय में एनआईसी, आईटीडीए एवं राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर भूमि अभिलेखों से संबंधित विभिन्न साफ्टवेयर व पोर्टल की समीक्षा की।

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    मुख्य सचिव ने निर्देश देकर कहा कि भूमि अभिलेखों से जुड़े सभी पोर्टल शीघ्र शुरू किए जाएं।उन्होंने भूलेख पोर्टल को एक जनवरी से अनिवार्य रूप से शुरू करने के निर्देश दिए। कहा कि इससे आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। भूलेख पोर्टल से नागरिक अपनी भूमि का खसरा, खतौनी, नक्शा और स्वामित्व विवरण आनलाइन देख सकेंगे। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी। समय-पैसे की बचत होगी। सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

    उन्होंने निर्देश दिए कि दाखिल-खारिज का स्टेटस अपडेट होते ही संबंधित व्यक्ति को वाट्सएप और एसएमएस के माध्यम से तत्काल सूचना दी जाए। साथ ही, आरओआर (रिकार्ड आफ राइट्स) में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होते ही स्वतः सर्वर में रिकार्ड अपडेट हो जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि नागरिक अपनी भूमि अभिलेखों की प्रति आसानी से आनलाइन प्राप्त कर सकें।

    मुख्य सचिव ने आरसीएमएस (रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम) पोर्टल को भी 26 जनवरी 2026 तक शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राजस्व न्यायालयों को पूर्ण रूप से ई-कोर्ट प्रणाली से जोड़ा जाए, जिससे मामलों के निस्तारण में तेजी लाई जा सके।

    आरसीएमएस पोर्टल के माध्यम से राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों का आनलाइन पंजीकरण, सुनवाई की तिथि, आदेश एवं स्थिति की जानकारी डिजिटल रूप से उपलब्ध होगी। बैठक में सचिव डा. एसएन. पांडेय, राजस्व आयुक्त रंजना राजगुरु, जिलाधिकारी सविन बंसल सहित उपस्थित रहे।

    अब मामलों को लटका नहीं सकेंगे पटवारी-कानूनगो

    यह पोर्टल लागू होने से भूमि विवादों से जुड़े मामलों का निस्तारण तेज होगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, समय की बचत होगी और नागरिकों को बार-बार न्यायालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। पटवारी एवं कानूनगो स्तर पर सत्यापन की समय-सीमा निर्धारित कर साफ्टवेयर में समाहित की जाएगी, जिससे मामलों को अनावश्यक रूप से लंबित नहीं रखा जा सकेगा।

    आईटीडीए का सिस्टम और अधिक मजबूत हो

    मुख्य सचिव ने आईटीडीए को सिस्टम और अधिक मजबूत करने के निर्देश देते हुए कहा कि इसके संचालन के लिए आवश्यक हार्डवेयर और तकनीकी व्यवस्थाएं समय रहते सुनिश्चित की जाएं। साथ ही, हितधारकों एवं उपयोगकर्ताओं के लिए आवश्यक प्रशिक्षण की व्यवस्था भी अनिवार्य रूप से की जाएं।