केदारनाथ: लिनचोली से मजबूत है भीमबली ट्रैक
भूविज्ञानी व उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि केदारनाथ का निर्माणाधीन भीमबली ट्रैक काफी मजबूत है।

देहरादून, [जेएनएन]: केदारनाथ का निर्माणाधीन भीमबली ट्रैक काफी मजबूत है। यहां की चट्टानें सख्त हैं, जो किसी भी आपदा को झेल सकती हैं। इस बात की पुष्टि भूविज्ञानी व उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने की। रविवार को उन्होंने लोक निर्माण विभाग की टीम के साथ ट्रैक का सर्वे शुरू किया। पहले दिन 5.35 किलोमीटर सर्वे करने के बाद उन्होंने ट्रैक को हरी झंडी दे दी। हालांकि अभी गरुड़चट्टी तक सर्वे किया जाना शेष है।
यूसैक निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट के मुताबिक, केदारनाथ के लिए एक पैदल ट्रैक (गौरीकुंड से केदारनाथ वाया लिनचोली) पहले से मौजूद है। उन्होंने बताया कि यहां सख्त चट्टानों का अभाव है, जिससे ट्रैक बड़ी आपदा को झेलने में सक्षम नजर नहीं आता है।
अब एक नया ट्रैक विकसित किया जा रहा है। फिलहाल इस रास्ते पर खच्चरों का आना-जाना है। यह ट्रैक गौरीकुंड से केदारनाथ तक वाया भीमबली होगा। डॉ. बिष्ट के अनुसार सरकार ने निर्देश दिए थे कि इस ट्रैक की भी मजबूती का सर्वे किया जाना जरूरी है। इसी क्रम में रविवार को सर्वे शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि यदि मौसम ठीक रहा तो सोमवार तक सर्वे पूरा कर दिया जाएगा। इससे पूर्व इस पूरे रूट की सेटेलाइट मैपिंग कराकर एलाइनमेंट किया गया था।
दोनों की दूरी लगभग समान
लिनचोली व निर्माणाधीन भीमबली ट्रैक की दूरी समान रूप से करीब 17 किलोमीटर है। इस लिहाज से यात्रा पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, जबकि मजबूती के हिसाब से भीमबली ट्रैक अधिक बेहतर जरूर है।
वन-वे के रूप में प्रयोग संभव
यूसैक निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट का कहना है कि यात्रा के दौरान दोनों ट्रैक का प्रयोग पैदल यात्रियों के लिए कराया जा सकता है। इस तरह एक ट्रैक से यात्री केदारनाथ धाम के दर्शन करने जाएंगे और दूसरे से लौट सकेंगे। हालांकि, ट्रैक के वन-वे के रूप में प्रयोग के लिए अंतिम निर्णय सरकार व शासन को ही लेना है।

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