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    उत्‍तराखंड में बीएड दाखिले अधर में: सितंबर में हो गया था एंट्रेंस, अभी तक नहीं हुईं काउंसलिंग

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 08:22 PM (IST)

    उत्तराखंड में बीएड कॉलेजों में दाखिले अटके हुए हैं। सितंबर में प्रवेश परीक्षा होने के बावजूद काउंसलिंग शुरू नहीं हो पाई है। इससे छात्रों का भविष्य अधर में है और वे चिंतित हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।

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    काउंसलिंग न होने के कारण लटके दाखिले। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में बीएड 2025-26 सत्र के दाखिले अधर में लटके हुए हैं। प्रवेश परीक्षा के करीब एक माह बाद भी काउंसलिंग शुरू नहीं हुई है। जिससे छात्र असमंजस में और उनका भविष्य संकट में है। निजी कालेज एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. सुनील अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि शासन और राज्य विश्वविद्यालयों के रवैए के कारण प्रवेश प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है।

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    डा. अग्रवाल ने बताया कि राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध कालेजों को एनसीटीई के नियमानुसार योग्य छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति दी गई थी। इसके बाद 28 जुलाई को शासन ने आदेश जारी किया, जिसमें वर्तमान सत्र के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया गया और परीक्षा का जिम्मा कुमाऊं विश्वविद्यालय को सौंपा गया। कुमाऊं विश्वविद्यालय ने 7 सितंबर तक प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन आमंत्रित किए।

    14 सितंबर को प्रवेश परीक्षा संपन्न हुई और 26 सितंबर को परिणाम घोषित किए गए। इसके बाद 27 सितंबर से काउंसलिंग शुरू करने की घोषणा हुई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। डा. अग्रवाल ने कहा कि प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों की काउंसलिंग का अब कोई औचित्य नहीं बचा है। उनका कहना है कि उत्तीर्ण छात्रों को सीधे उनके पसंद के कालेज में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए।

    उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, पहले प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों का प्रवेश किया जाना चाहिए, उसके बाद ही सीटें खाली रहने पर अन्य योग्य छात्रों को प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर समाप्त होने को है और अभी तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है, जिससे वर्तमान सत्र अधर में लटका है। इस कारण कई छात्र अन्य प्रदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं या किसी अन्य कोर्स में प्रवेश ले रहे हैं।

    डा अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि नियम छात्रों की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इस मामले में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने समर्थ पोर्टल का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रदेश में न तो सत्र का नियमितीकरण हो पाया और न एक प्रदेश, एक प्रवेश योजना सफल हो पाई। उन्होंने शासन और विश्वविद्यालय से जल्द काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करने और छात्रों के प्रवेश को सुनिश्चित करने की मांग की है।