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    IMA से पास आउट बांग्लादेशी अफसर ने भारत को बताया सच्चा दोस्‍त, बोले- 'यहां ट्रेनिंग लेना गर्व की बात'

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 02:24 PM (IST)

    देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से पास आउट होने के बाद एक बांग्लादेशी अफसर ने भारत को अपना सच्चा दोस्त बताया है. उन्होंने कहा कि आईएमए में ...और पढ़ें

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    पीपिंग सेरेमनी के दौरान बंग्लादेशी सैन्य अधिकारी सफिन अशरफ के कंधे पर सितारे सजाते भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी व उनकी धर्मपत्नी सुनीता द्विवेदी। जागरण

    विजय जोशी, देहरादून। भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होने वाले सैन्य अफसरों में मित्र राष्ट्रों के नौजवान भी शामिल रहे। इनमें बांग्लादेश के कैडेट मोहम्मद सफीन अशरफ खास रहे। प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट का सम्मान प्रदान किया गया।

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    सफीन ने आइएमए से सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर अंतिम पग भरा और कंधे पर सितारे सजते ही अफसर बनने का गौरव हासिल किया। यह पल उनके लिए ही नहीं, बल्कि भारत-बांग्लादेश सैन्य संबंधों के लिहाज से भी ऐतिहासिक रहा। पासिंग आउट परेड के बाद भावुक नजर आए सफीन अशरफ ने भारतीय सैन्य अकादमी को विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण अकादमी बताते हुए कहा कि यहां से प्रशिक्षण प्राप्त करना उनके जीवन का सबसे गौरवपूर्ण अनुभव है।

    मध्यम वर्गीय परिवार से नाता रखने वाले मोहम्मद सफीन अशरफ के पिता बांग्लादेश में साधारण नौकरी करते हैं। अब सफीन आइएमए से पास आउट होकर बांग्लादेश की सेना में बतौर अफसर अपनी सेवाएं देंगे। पीओपी के बाद उन्होंने कहा कि भारतीय सेना महान है और बांग्लादेश के लोग भी भारतीय सेना से प्रेरणा लेते हैं। भारत-बांग्लादेश संबंधों पर बोलते हुए सफीन ने कहा कि दोनों देश पुराने और भरोसेमंद मित्र रहे हैं और आगे भी मित्र राष्ट्र बने रहेंगे।

    उन्होंने स्वीकार किया कि राजनीतिक स्तर पर कुछ मुद्दे जरूर सामने आते रहे हैं, लेकिन आपसी रिश्तों की बुनियाद हमेशा मजबूत रही है। सफीन अशरफ ने कहा कि बांग्लादेश की प्रगति में भारत का सहयोग अहम रहा है और दोनों देशों के बीच निरंतर सहयोग बेहद जरूरी है। बांग्लादेश के आंतरिक हालात पर उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार किया, लेकिन भारत में सैन्य प्रशिक्षण पाने पर गर्व व्यक्त किया।

    आइएमए में मिले नेतृत्व विकास और रणनीतिक प्रशिक्षण को अपने करियर की बड़ी पूंजी बताते हुए उन्होंने कहा कि वह बांग्लादेश की सेना में एक जिम्मेदार और प्रभावी अधिकारी बनना चाहते हैं। साथ ही, अपने अधीनस्थ जवानों और अधिकारियों को भी भारतीय सैन्य अकादमी से मिले प्रशिक्षण अनुभव का लाभ देना उनका उद्देश्य रहेगा।

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