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BAMS Fake Degrees: काली कमाई से जुटाई 90 करोड़ की संपत्ति, अगले साल अपना विश्वविद्यालय खोलना चाहता था इमलाख

BAMS Fake Degrees बीएएमएस की जाली डिग्रियां बेचने के प्रकरण में गिरोह का सरगना मुजफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर इमलाख करीब 90 करोड़ की संपत्ति का मालिक है। वह अगले साल (वर्ष 2024) विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी में था।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraPublished: Mon, 06 Feb 2023 09:30 AM (IST)Updated: Mon, 06 Feb 2023 09:30 AM (IST)
BAMS Fake Degrees: काली कमाई से जुटाई 90 करोड़ की संपत्ति, अगले साल अपना विश्वविद्यालय खोलना चाहता था इमलाख
BAMS Fake Degrees: मुजफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर इमलाख करीब 90 करोड़ की संपत्ति का मालिक है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: BAMS Fake Degrees: बीएएमएस की जाली डिग्रियां बेचने के प्रकरण में गिरोह का सरगना मुजफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर इमलाख करीब 90 करोड़ की संपत्ति का मालिक है।

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यह काली कमाई उसने जाली डिग्रियां बेचकर की। अपनी इस काली कमाई से वह अगले साल (वर्ष 2024) विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी में था, लेकिन इससे पहले ही वह गिरफ्तार हो गया। जिस कारण उसके सारे अरमान धरे के धरे रहे गए। आरोपित इमलाख ने यह जानकारी रिमांड के दौरान पुलिस को दी है।

कार्यालय में रखे सारे दस्तावेज जलाना चाहता था

आरोपित ने पुलिस को यह भी बताया कि जब गिरोह का पर्दाफाश हुआ तो वह अपने मुजफ्फरनगर स्थित बाबा ग्रुप आफ कालेज कार्यालय में रखे सारे दस्तावेज जलाना चाहता था, लेकिन पुलिस उसके पीछे पड़ गई थी। जिसके कारण उसे यह करने का मौका नहीं मिला।

रिमांड के दौरान दो दिन तक चली पूछताछ में इमलाख ने कई अहम राज उगले हैं। इसके आधार पर एसआइटी ने जांच आगे बढ़ाई है। जल्द ही अन्य झोलाछापों और भारतीय चिकित्सा परिषद के कुछ अन्य कर्मचारियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।

पूछताछ करने के बाद एसआइटी ने आरोपित को जेल भेज दिया है। दूसरी ओर एसआइटी आरोपित इमलाख के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में बढ़ोतरी करने जा रही है। इसके बाद विवेचना राजपत्रित अधिकारी को ट्रांसफर हो सकती है।

11 जनवरी को एसटीएफ ने किया था गिरोह का पर्दाफाश

उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बीएएमएस की जाली डिग्री बनवाकर दून में क्लीनिक चला रहे तीन आरोपितों को 11 जनवरी को गिरफ्तार किया था।

जांच में सामने आया कि झोलाछापों ने मुजफ्फरनगर स्थित बाबा ग्रुप आफ कालेज स्वामी दो भाइयों इमरान व इमलाख से छह से आठ लाख रुपये में जाली डिग्रियां तैयार कराई और भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में पंजीकरण करा लिया। इसके बाद दून के प्रेमनगर और रायपुर में क्लीनिक खोल दिए।

प्रारंभिक जांच में आयुर्वेदिक चिकित्सक बनकर क्लीनिक चला रहे 36 आरोपितों के संबंध में भारतीय चिकित्सा परिषद से सूचना मांगी गई तो ज्यादातर की डिग्री राजीव गांधी हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी कर्नाटक की पाई गई, जो कि पड़ताल में जाली निकलीं।

ये जाली डिग्रियां बाबा ग्रुप आफ कालेज मुजफ्फरनगर के स्वामी इमरान और इमलाख ने तैयार कराई थीं। इस मामले में अब तक गिरोह के सरगना इमलाख व उसके भाई इमरान समेत 11 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है।


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