मांगों के समर्थन में सचिवालय पर गरजीं आशा कार्यकर्त्री, सरकार पर बोला हमला
आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित करने मानदेय बढ़ोत्तरी समेत 12 सूत्रीय मागों को लेकर प्रदेशभर की आशा कार्यकर्त्री सचिवालय पर गरजीं।
देहरादून, जेएनएन। आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित करने, मानदेय बढ़ोत्तरी समेत 12 सूत्रीय मागों को लेकर प्रदेशभर की आशा कार्यकर्त्री सचिवालय पर गरजीं। जहां उन्होंने सरकार पर जमकर हमला बोला। यह आरोप लगाया कि उनसे काम 30 दिन का लिया जाता है, जबकि भुगतान 20 दिन के आधार पर किया जा रहा है।
प्रदेशभर की आशा कार्यकर्त्री सचिवालय कूच के लिए परेड मैदान में एकत्र हुईं। जहां से भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले वह जुलूस की शक्ल में सचिवालय की ओर बढ़ीं। पुलिस ने उन्हें सुभाष रोड पर ही बेरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इस पर पुलिस व आशाओं के बीच नोकझोंक भी हुई। वह सड़क पर ही धरने पर बैठ गईं।
उन्होंने कहा कि जल्द उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया तो वह आदोलन तेज करेंगी। आशा स्वास्थ्य कार्यकर्त्री संगठन की प्रदेश महामंत्री ललितेश विश्वकर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 सितंबर 2018 को वीडियो काफ्रेंसिंग के जरिये आशाओं से बात की थी। उन्होंने आशाओं के इंसेंटिव को दो गुना करने का एलान किया था। जब इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय का पत्र जारी हुआ तो केवल रुटीन प्रकृति के अंतर्गत संचालित पांच प्रकार की गतिविधियों/कार्यो के लिए मिलने वाली एक हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर दो हजार रुपये किया गया था।
वहीं, शेष गतिविधि एवं कार्यो के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि को यथावत रखा गया। इससे आशाएं हताश हैं। सचिवालय कूच में प्रदेश अध्यक्ष संजीव विश्नोई, आरती थापा, गंगा गुप्ता, रचना भट्ट, आरती, कमला रावत, अमिता चौहान, सरस्वती रावत, आशा नौटियाल, रुकमणी डबराल समेत कई आशा कार्यकर्त्री मौजूद रहीं।
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प्रमुख मांगें
- आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित करें। पांच हजार रुपये प्रतिवर्ष की प्रोत्साहन राशि समेत अन्य अवशेषों का भुगतान किया जाए।
-न्यूनतम 18 हजार रुपये मानदेय हो। आशाओं को ईपीएफ व ईएसआई के दायरे में लाकर पेंशन का भुगतान करें।
-कार्य के दौरान दुर्घटना या मृत्यु हो जाने पर पांच लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
-रिटायरमेंट बेनिफिट के रूप में एक मुश्त पांच लाख रुपये दिए जाएं। -योग्यताधारी आशा कार्यकर्ताओं को एएनएम के पद पर पदोन्नति मिले। -चिकित्सालय में विश्रामस्थल, वर्ष में दो बार गणवेश व यात्रा भत्ते का भुगतान किया जाए।
-प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन के लाभार्थी की अधिकतम आयु 60 वर्ष की जाए।
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