भारत का पहला कंजरवेशन रिजर्व विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार, देहरादून से महज 38 किमी दूर
उत्तराखंड के पहले रामसर साइट आसन वेटलैंड में विदेशी पक्षियों के स्वागत की तैयारी शुरू हो गई है। चकराता वन प्रभाग वेटलैंड की सफाई करवा रहा है ताकि प्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण बन सके। हर साल यहाँ साइबेरिया जैसे ठंडे देशों से पक्षी आते हैं। पलास फिश ईगल पिछले 60 वर्षों से यहाँ अपना घोंसला बना रहा है जिसे देखने कई पर्यटक आते हैं।

राजेश पंवार, जागरण विकासनगर। यमुना और आसन नदियों के संगम पर स्थित देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व एवं उत्तराखंड की पहली रामसर साइट आसन वेटलैंड में दुर्लभ विदेशी पक्षियों के स्वागत की तैयारी शुरू हो गई है। इनके प्रवास के लिए चकराता वन प्रभाग ने वेटलैंड में झाड़ियों की कटाई-छंटाई करा दी है।
वर्तमान में बर्ड वाच टावर की साफ-सफाई कराई जा रही है। मड टापू भी ठीक कराए जा रहे हैं। मड टापू से प्रवासी परिंदों के लिए अनुकूल वातावरण बनता है और पक्षी प्रेमियों को परिंदों के दीदार व उन्हें कैमरे में कैद करने में सहूलियत होती है।
देहरादून शहर से 38 किमी दूर विकासनगर स्थित आसन वेटलैंड में हर वर्ष अक्टूबर के पहले सप्ताह में साइबेरिया जैसे ठंडे देशों से प्रवासी परिंदों का आगमन शुरू होता है। ये परिंदे मार्च तक यहां रहते हैं और गर्मी की दस्तक के साथ ही अपने मूल स्थान को लौटने लगते हैं।
इन छह महीनों में आसन वेटलैंड रंग-विरंगे पक्षियों के मधुर कलरव से गुलजार रहता है। प्रतिदिन पक्षी प्रेमियों के साथ पक्षियों के पर्यावास व जीवनशैली से रूबरू होने के लिए विज्ञानियों का जमावड़ा भी यहां लगा रहता है। देशी-विदेशी परिंदों को एक साथ देखना काफी आकर्षक होता है।
पक्षी विशेषज्ञ एवं आसन रेंज के वन दारोगा प्रदीप सक्सेना के अनुसार, यहां सबसे पहले प्रवास पर रुडी शेलडक (सुर्खाब) आते हैं, जो सोने से दमकते पंखों के कारण पक्षी प्रेमियों व पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। प्रवासी परिंदों के आगमन को देखते हुए चकराता वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी वैभव कुमार सिंह वेटलैंड का दौरा कर चुके हैं। उनके निर्देश पर यहां उगी झाड़ियां साफ करा दी गई हैं। पुराने मड टापू ठीक कराए जा रहे हैं।
2005 में हुई थी स्थापना
444.40 हेक्टेयर में फैले आसन वेटलैंड की स्थापना वर्ष 2005 में की गई। इस कंजरवेशन रिजर्व के अंदर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए सीमांकित मार्ग हैं। यहां ईको-हट्स भी हैं। आसन के जलाशय में वर्षभर पानी मौजूद रहता है। यहां का सुंदर वातावरण, खूबसूरत वनस्पतियां व पक्षी मन मोह लेते हैं। विदेशी परिंदों का आगमन गढ़वाल मंडल विकास निगम के साथ आसन वेटलैंड की आय भी बढ़ा रहा है।
ये परिंदे आते हैं प्रवास पर
आसन वेटलैंड में वूली नेक्टड, पेंटेड स्टार्क, रुडी शेलडक, रेड कैप्ट आइबीज, पलास फिश ईगल, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, ग्रे लेग गूज, गैडवाल, इरोशियन विजन, मैलार्ड, कामन पोचार्ड, टफ्ड डक, पर्पल स्वेप हेन, कामन मोरहेन, कामन कूट, ब्लैक विंग्ड स्किल्ड, रीवर लोपविंग, ब्लैक हेडेड गल, इरोशियन मार्क हेरियर, लिटिल ग्रेब, डारटर, लिटिल कोरमोरेंट, लिटिल ईग्रेट, ग्रेट ईग्रेट, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, कामन किंगफिशर, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, पाइज्ड किंगफिशर आदि प्रजाति के परिंदे प्रवास पर रहते हैं।
60 वर्ष से आ रहा पलाश फिश ईगल
पिछले 60 वर्ष से पलास फिश ईगल का जोड़ा यहां हर सर्दी में अपना घोंसला बनाता आ रहा है। यह पक्षी सेमल के पेड़ पर आशियाना बनाकर रहता है। मानवीय दखल बिल्कुल पसंद नहीं होने के कारण यह पेड़ के सबसे ऊंचे हिस्से में आशियाना बनाकर प्रवास की अवधि गुजारता है।
इसकी मछली पकड़ने की कला काफी आकर्षक होती है। वन दारोगा प्रदीप सक्सेना बताते हैं कि सफेद सिर व पूंछ पर सफेद पट्टी होने के कारण आसानी से पहचाने जाने वाले पलाश फिश ईगल को देखने के लिए हर वर्ष पक्षी प्रेमी बड़ी तादाद में यहां आते हैं।
आसन वेटलैंड में कब, कितने परिंदे आए
- वर्ष-प्रजाति-परिंदे
- 2025-171-5,225
- 2024-141-5,230
- 2023-42-4,642
- 2022-49-5,680
- 2021-55-4,497
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