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Arhar Cultivation : इस मानसून में बेहतरीन मुनाफा देगी पूसा अरहर-16, कई गुना ज्यादा पैदावार के लिए जानें बुवाई का सही तरीका

Arhar Cultivation मानसून में पूसा अरहर-16 की खेती की जाती है। यह अक्‍सर घरों में प्रयुक्‍त होने वाली दाल है जो पोषक अनाज है। यह दाल एक प्रमुख नकदी फसल भी है। ध्यान रखें कि खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी की जांच और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार ही करें।

By Nirmala BohraEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 10:12 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 10:12 AM (IST)
Arhar Cultivation : इस मानसून में बेहतरीन मुनाफा देगी पूसा अरहर-16, कई गुना ज्यादा पैदावार के लिए जानें बुवाई का सही तरीका
Arhar Cultivation : अरहर दाल खरीफ सीजन प्रमुख दलहनी फसलों में भी शामिल है।

टीम जागरण, देहरादून : Arhar Cultivation : विशेषज्ञों के मुताबिक परंपरागत किस्मों के मुकाबले पूसा अरहर-16 से कई गुना ज्‍यादा पैदावार मिलती है। यह एक मजबूत किस्म की दाल है। मानसून में इसकी खेती की जाती है। अरहर दाल खरीफ सीजन प्रमुख दलहनी फसलों में भी शामिल है। यह अक्‍सर घरों में प्रयुक्‍त होने वाली दाल है जो पोषक अनाज है। इतना ही नहीं यह दाल एक प्रमुख नकदी फसल भी है।

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भारत में अरहर की अच्छी पैदावार और जल्दी पकने वाली किस्मों में पूसा अरहर-16 काफी लोकप्रिय है। लेकिन अरहर की खेती के लिए किसान उन्नत किस्मों का प्रयोग करते हैं, लेकिन बीजोपचार का काम भी करना जरूरी है, ताकी फसल को कीड़े और बीमारियों से दूर रखा जा सके। अरहर के अच्छे उत्पादन के लिये दोमट या बलुई मिट्टी बेहतर रहती है। ध्यान रखें कि खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी की जांच और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार ही करें।

पूसा अरहर की खास बातें:

  • आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इसे विकसित किया है। 
  • पूसा अरहर-16 अरहर की देसी किस्म है।
  • यह सिर्फ 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

ऐसे करें बुवाई:

  • बुवाई से पहले 2.5 ग्राम थीरम तथा ग्राम कार्बेण्डाजिम से प्रति किलो अरहर के बीजों का उपचार कर लें
  • बेहतर उत्पादन के लिये एक हेक्टेयर खेत में 10-15 किग्रा नाइट्रोजन, 40-50 किग्रा फास्फोरस तथा 20 किग्रा सल्फर का मिश्रण डालें
  • जुलाई के प्रथम सप्ताह तक इसकी बुवाई का काम निपटा लें
  • पूसा अरहर की खेती के बाद मिट्टी और ज्‍यादा उपजाऊ हो जाती है
  • मेड़ों पर अरहर की बुवाई करें, इससे अधिक जल भराव व फफूंदी रोगों की रोकथाम में मदद मिलती है
  • राइजोबियम कल्चर से बीजोपचार करने के बाद फफूंदी रोगों से बचाव होता है
  • पूसा अरहर-16 की बुवाई के लिये लाइनों के बीच 30 सेमी की दूरी रखें
  • पौधों के बीच में 10 सेमी की दूरी रखकर बुवाई करें
  • पूसा अरहर-16 से एक हेक्टेयर खेत में तीन लाख से ज्यादा पौधे मिलते हैं
  • 120 दिन बाद पूसा अरहर-16 की कटाई करके रबी सीजन की फसलें आसानी से लगाई जा सकती है

डिस्‍क्‍लेमर : यहां सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है। किसी भी तरह की जानकारी अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।


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