हर्षिल घाटी में चेहरों पर पसरी उदासी दूर करेगी सेब की लालिमा, ए-बी ग्रेड का सेब खरीद सकती है सरकार
उत्तराखंड सरकार ने आपदा से प्रभावित सेब किसानों को राहत देने की तैयारी की है। उत्तरकाशी जिले के हर्षिल घाटी के किसानों के लिए सरकार ए और बी ग्रेड के सेब की खरीद पर 51 रुपये प्रति किलो का समर्थन मूल्य देने पर विचार कर रही है। सेब उत्पादकों को मार्ग बाधित होने से फसल की बिक्री की चिंता है। सरकार का यह कदम किसानों को बड़ी राहत देगा।

केदार दत्त, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में सेब उत्पादन के मामले में अग्रणी उत्तरकाशी जिले की हर्षिल घाटी के आठ गांवों के 1091 सेब उत्पादकों के चेहरों पर उदासी पसरी है। ऐसा नहीं कि सेब का उत्पादन कम है। बागीचे लकदक हैं और अब सेब की तुड़ाई का समय भी करीब है, लेकिन आपदा के कारण मार्ग बाधित रहने से इसे बाजार तक पहुंचाने की चिंता में किसान घुले जा रहे हैं।
सरकार ने भी किसानों की इस चिंता को समझा है और अब उन्हें राहत देने की तैयारी है। इसी कड़ी में उद्यान विभाग ने ए व बी ग्रेड के सेब की सरकारी खरीद के लिए 51 रुपये प्रति किलोग्राम का विशेष आपदा राहत समर्थन मूल्य घोषित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। शासन में इस पर मंथन चल रहा है और इसे जल्द ही कैबिनेट के समक्ष लाया जाएगा।
हर्षिल घाटी में इस बार 22 सितंबर से सेब तुड़ान की तैयारी है, लेकिन सेब उत्पादकों की चिंता यह है कि मार्ग बाधित होने से खरीदार कम आएंगे। साथ ही झाला स्थित कोल्ड स्टोर में भंडारण की क्षमता मात्र 1200 मीट्रिक टन ही है। यद्यपि, सरकार ने सी ग्रेड के सेब का समर्थन मूल्य घोषित किया है, लेकिन ए व बी ग्रेड में ऐसा नहीं है।
इसे देखते हुए उत्तराखंड औद्यानिक परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा नरेंद्र यादव ने सेब उत्पादकों को राहत देने के लिए इस बार 51 रुपये प्रति किग्रा आपदा राहत समर्थन मूल्य निर्धारित करने का प्रस्ताव तैयार किया है। उद्यान निदेशक दीप्ति सिंह ने इसे शासन को भेजा है।
1200 रुपये प्रति कैरेट मिले दाम
सेब उत्पादकों की मांग है कि जिस तरह वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के समय जीएमवीएन व उद्यान विभाग ने सेब खरीद की थी, उसी तरह इस बार भी हो। साथ ही वे प्रति कैरेट 1200 रुपये का दाम चाहते हैं। एक कैरेट में 22 से 22 किलो सेब होता है।
इस बार ग्रेड वार अनुमानित उत्पादन
- ए व बी ग्रेड :- 2700 मीट्रिक टन
- सी ग्रेड :- 300 मीट्रिक टन
विशिष्ट गुणवत्ता के लिए है प्रसिद्ध
हर्षिल का सेब अपनी उच्च हिमालयी जलवायु के कारण विशिष्ट गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। करारापन, रस, गहरा आकर्षक रंग, संतुलित स्वाद यहां के सेब को विशिष्ट बनाता है।
यहां पहुंचता है हर्षिल का सेब
आजादपुर मंडी दिल्ली, कानपुर, चंडीगढ़, बनारस, कोलकाता, मुंबई।
हर्षिल घाटी में सेब उत्पादन (क्षेत्रफल हेक्टेयर में):
- गांव, किसान , क्षेत्रफल
- हर्षिल, 29, 101.8
- मुखवा, 190, 10.6
- धराली, 206, 143.3
- बगोरी, 105, 16.2
- पुराली, 102, 52.1
- झाला, 170, 60.4
- जसपुर, 109, 117.6
- सुक्की, 180, 126.2
हर्षिल घाटी में सेब उत्पादकों का सेब खराब न हो और इसकी बिक्री हो जाए, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। - डा एसएन पांडेय, सचिव उद्यान
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