यूटीयू में लापरवाही का एक और मामला, गोपनीय कार्यों में लगाए बाल मजदूर
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में घोर लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। विवि की परीक्षा आंसर सीट की कोडिंग जैसे गोपनीय कार्यों को बाल मजूदरों से करवाया रहा है।
देहरादून, जेएनएन। विवादों से घिरे उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में घोर लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। विवि की परीक्षा आंसर सीट की कोडिंग जैसे गोपनीय कार्यों को बाल मजूदरों से करवाया रहा है। जबकि बाल मजदूरी कानूनन अपराध है। इसके लिए विवि प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। बताया जा रहा कि यूटीयू में परीक्षा के बाद कोडिंग और अन्य गोपनीय कार्यों के लिए इन बाल मजदूरों को विवि के शीर्ष अधिकारी ही लेकर आए हैं। अंदरखाने विवि का स्टाफ भी इसे लेकर आक्रोश है।
पिछले कुछ समय से विवि व संगठक महाविद्यालयों में परीक्षा, स्टोर, पुस्तकालय, क्रीड़ा व वाणिज्य जैसे अहम विभागों में प्रशिक्षित अनुभवी कर्मचारियों को जबरन हटाकर उसके स्थान पर कम शिक्षित एवं बाल मजदूरों को कथित रूप से रखा जा रहा है। विवि पहले ही पीएचडी से लेकर शिक्षकों की भर्ती को लेकर चर्चा में बना हुआ है। सेमेस्टर परीक्षाओं के दौरान करीब आधा दर्जन पेपरों में आउट आफ सिलेबस से लेकर एक ही तरह के 90 फीसद सवाल दो अलग-अलग प्रश्न पत्रों में पूछे जाने को लेकर विवि की फजीहत हो चुकी है। परीक्षा में लगातार हो रही गलती को विवि के कुलपति डॉ.एनएस चौधरी भी स्वीकार कर चुके हैं।
उधर, विवि की कुलसचिव डॉ. अनीता रावत ने संपर्क करने पर बताया कि मीडिया के माध्यम से उन्हें भी जानकारी मिली है। मामला गंभीर है, इसे कुलपति के संज्ञान में लाया जा रहा है ताकि संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
उधर, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि मामला गंभीर है। यूटीयू के कुलपति को नोटिस जारी कर 18 जुलाई को दोपहर 12.30 बजे आयोग के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि विवि को गुरुवार को भेजे नोटिस में नाबालिगों से परीक्षा आंसर शीट की कोडिंग जैसे गोपनीय कार्यों में बाल मजूदरी करवाये जाने का हवाला दिया गया है। उन्होंने इसके लिए विवि के कुलपति, कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक को जिम्मेदार ठहराया है।
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