आइआइटी रुड़की की पूर्व छात्रा ने विकसित किया ऐसा प्रोग्राम, जो अभद्र पोस्ट की करेगा पहचान
महिलाओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से आइआइटी रुड़की की एल्युमिनस (पूर्व छात्रा) रिची नायक ने एक एल्गोरिथ्म प्रोग्राम विकसित किया है।
रुड़की, जेएनएन। महिलाओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से मशीन लर्निंग एक्सपर्ट एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की की एल्युमिनस (पूर्व छात्रा) रिची नायक ने एक एल्गोरिथ्म प्रोग्राम विकसित किया है। यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर महिलाओं को लेकर की गई अभद्र पोस्ट की पहचान और रिपोर्ट करता है। सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए किए गए इस शोध में साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित के ज्ञान का उपयोग किया गया है।
आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि रिची नायक ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर हैं। रिची मशीन लर्निंग के अपने अनुभवों का इस्तेमाल सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए करना चाहती थीं। उन्होंने महसूस किया कि सोशल प्लेटफॉर्म पर की जा रही अभद्र टिप्पणी और अपमानजनक कंटेंट का पता लगाने से महिलाओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने अपने सहयोगी मोहम्मद अब्दुल बशर के साथ मिलकर एक एल्गोरिथ्म विकसित किया। इसे इस तरह ट्रेन किया है कि वह सोशल मीडिया पोस्ट के कंटेंट, कॉन्टेक्स्ट और इंटेंट को समझ सके।
प्रो. चतुर्वेदी ने बताया कि संस्थान की एल्युमिनस की ओर से सह-विकसित प्रौद्योगिकी का उपयोग सोशल मीडिया पर महिला उत्पीड़न संबंधी पोस्ट को चिह्नित करने के लिए किया जा सकता है। उम्मीद है कि इस तरह के संदिग्ध पोस्ट का पता लगाने से सोशल मीडिया और ऐसे प्लेटफॉर्म पर महिलाओं के प्रति व्यवहार में सुधारात्मक बदलाव आएगा।
गलत-सही ट्वीट के बीच अंतर करना भी सिखाया
प्रोफेसर रिची नायक का यह शोध विकिपीडिया जैसे डेटा सेट के साथ मॉडलों के प्रशिक्षण पर केंद्रित है। यूजर रिव्यू डेटा के माध्यम से इसे कुछ हद तक अपमानजनक भाषा से संबंधित ट्रेनिंग दी गई है। इसने ट्वीट के एक बड़े डेटा सेट पर भी मॉडल को ट्रेनिंग दी है। भाषा समझने की क्षमता से लैस करने के अलावा, शोधकर्ताओं ने इसे गलत और सही ट्वीट के बीच अंतर करना भी सिखाया है। उनका यह शोध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उत्पीड़न संबंधी कंटेंट का स्वचालित रूप से पता लगाने और उसे रिपोर्ट करने की दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है। अभी तक उत्पीड़न के संदिग्ध केस को यूजर की ओर से ही रिपोर्ट किया जाता है।