गांवों तक पहुंच बना ग्रामीणों को बनाया जाएगा AI दक्ष, पाठ्यक्रम में शामिल करने का भी है लक्ष्य
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग अब गांवों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रशिक्षण देगा, जिसका लक्ष्य 2030 तक 70% ग्रामीणों को डिजिटल साक्षर बनाना है। प्रदेश के स्कूलों और कॉलेजों में एआई पाठ्यक्रम शुरू होंगे। पर्यटन, शहरी विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में एआई के उपयोग पर जोर दिया गया है। हिंदी, गढ़वाली और कुमाऊंनी में भी कंटेंट तैयार किया जाएगा।

सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने एआइ ड्राफ्ट पालिसी की लागू। जागरण
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग अब गांव-गांव तक पहुंच कर ग्रामीणों को आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (एआइ) में दक्ष बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगा। विभाग का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2030 तक 70 प्रतिशत ग्रामीणों को डिजिटल साक्षर बनाने का है। इसके साथ ही प्रदेश में सभी स्कूलों व कालेजों में भी एआइ आधारित पाठ्यक्रमों को लागू करना है। इसके लिए विभाग ने एआइ नीति का प्रस्तावित खाका जारी कर दिया है। एआइ टू आल के लक्ष्य के साथ प्रस्तावित इस नीति को और मजबूत बनाने के लिए आमजन से भी सुझाव भी आमंत्रित किए गए हैं।
बुधवार को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में एआइ नीति का खाका लांच किया गया। इस नीति में पर्यटन, शहरी विकास, शासन, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जलवायु परिवर्तन में एआइ के इस्तेमाल में जोर दिया गया है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों तक एआइ के कार्य पहुंचाने को विश्वसनीय संचार संपर्क, सुलभ आवागमन, सुरक्षित डाटा सिस्टम और स्वच्छ ऊर्जा पर जोर दिया गया है।
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प्रदेश में अभी 78 प्रतिशत व्यक्ति इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। वर्ष 2030 तक इसे शत प्रतिशत व्यक्तियों का पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही डिजिटल साक्षरता दर 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 37 प्रतिशत और 2047 तक 90 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।
नीति में निकट भविष्य में हिंदी के साथ ही गढ़वाल व कुमाऊंनी में भी कंटेंट जनरेट करने का लक्ष्य रखा गया है। नीति में सरकारी कार्मिकों को भी एआइ के ज्ञान से शत प्रतिशत प्रशिक्षित करना प्रस्तावित किया गया है। साथ ही इसमें साइबर सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर भी जोर दिया गया है।

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