थल, जल और नभ का डिजिटल पहरेदार बना एआई, कारनामे जान हैरान रह जाएंगे आप
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब धरती, जल और आकाश की सुरक्षा के लिए एक नए प्रहरी के रूप में उभरा है। देहरादून में उत्तराखंड एआई इम्पैक्ट समिट 2025 में एआई की क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया। एआई से संचालित ड्रोन सेटेलाइट इमेज से सटीक निशाना साध सकते हैं। यह तकनीक 3डी डिजिटल नक्शा बनाने और पक्षियों के टकराने की चेतावनी देने में भी सक्षम है। नदियों की सफाई के लिए एआई रोबोट भी विकसित किए गए हैं।

एआई सुरक्षा में किस तरह निभाएगा भूमिका, उत्तराखंड एआई इम्पैक्ट समिट में किया गया प्रदर्शन
अश्वनी त्रिपाठी, जागरण। धरती, जल और आकाश की रक्षा के लिए अब एक नया प्रहरी तैयार है, जो न तो थकता है और न सोता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई ) यह नया रक्षक है। सीमाओं पर निगरानी हो आकाश में उड़ान की सुरक्षा या नदियों के तट पर पहरेदारी, हर क्षेत्र में एआई सामर्थ्यवान हो रहा है। देहरादून में उत्तराखंड एआई इम्पैक्ट समिट 2025 में एआई की सीमाओं के बारे में जब बताया गया, तो मालूम चला कि एआई की क्षमताएं अनंत हैं। अब एआई सुरक्षा में कारगर भूमिका निभाने को तैयार है।
सेटेलाइट इमेज से निशाना साधेगा ड्रोन
सेटेलाइट ड्रोन को एआई से संचालित किया जाएगा। इस तकनीक का प्रदर्शन कार्यशाला में किया गया। यह बताया गया कि युद्ध के दौरान जीपीएस के काम नहीं करने से ड्रोन काम नहीं कर पाते। ऐसे में पहले से लोड सेटेलाइट इमेज की एआई के जरिए सीन मैपिंग कराई जाती है। इससे ड्रोन चयनित लक्ष्य के नजदीक पहुंच जाता है।
3डी डिजिटल नक्शा होगा तैयार
एआई आधारित सिंथेटिक अपार्चर राडार और मल्टी-सेंसर सैटेलाइट सिस्टम से किसी क्षेत्र का सटीक 3डी डिजिटल नक्शा (डीईएम) तैयार किया जा सकेगा, जिसकी त्रुटि सीमा पांच मीटर से भी कम होगी। इससे सीमा पार गतिविधियों, मिसाइल लक्ष्यों की पहचान आसान हो जाएगी। इस अत्याधुनिक तकनीक का प्रदर्शन देहरादून में किया गया
पक्षियों के टकराने का देगा अलर्ट
अब आसमान की सुरक्षा भी एआई से मजबूत होने जा रही है। एआई आधारित बर्ड हज़ार्ड मैनेजमेंट सिस्टम को ओम्निप्रज़ेंट स्टार्टअप के फाउंडर आकाश सिन्हा ने विकसित किया है, जो वायुयान और पक्षियों के बीच टकराव की संभावना को पहले ही पहचानकर चेतावनी देगा। यह सिस्टम पक्षियों की उड़ान की दिशा, मौसम और इलाके के पैटर्न का विश्लेषण कर रियल-टाइम अलर्ट जारी करेगा।
तैरता कचरा पहचानता क्लीनिंग रोबोट
नदियों और तीर्थ क्षेत्रों में स्वच्छता और सुरक्षा भी अब एआई आधारित रोबोट संभालेंगे। एआई नियंत्रित नदी सफाई रोबोट है, 12 घंटे तक लगातार काम कर सकता है और एक बार में 50 किलोग्राम तक कचरा उठाने में सक्षम है। इसे यमुना नदी पर सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा चुका है। यह जल में तैरते कचरे की पहचान कर स्वचालित रूप से उसे एकत्र करता है।
चंद्रयान मिशन के लिए नेविगेशन साफ्टवेयर
स्टार्टअप ओम्निप्रेज़ेंट ने इसरो के चंद्रयान-2 और 3 मिशन के लिए नेविगेशन साफ्टवेयर विकसित किया, जो 3डी स्टीरियो विज़न और डेटा परसेप्शन पर आधारित है। साथ ही यह स्टार्टअप रक्षा मंत्रालय के लिए स्वदेशी लार्ज लैंग्वेज माडल पर काम कर रहा है।
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