Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सूरज की किरणों को 40% तक बाधित कर रहे एरोसोल, इसका हाई लेवल धरती के लिए घातक; मैदानी शहरों में बढ़ी चिंता

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 12:35 PM (IST)

    एरोसोल सूर्य की किरणों को 40% तक बाधित कर रहे हैं, जो पृथ्वी के लिए एक गंभीर खतरा है। इसका उच्च स्तर जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है। वैज्ञानिक इस स्थिति से चिंतित हैं और एरोसोल के स्तर को कम करने के उपायों पर विचार कर रहे हैं।

    Hero Image

    ब्लैक कार्बन और अन्य प्रदूषण कणों के रूप में एरोसोल की मौजूदगी उत्तराखंड के मैदानी शहरों में बढ़ा रही चिंता

    सुमन सेमवाल, देहरादून। ब्लैक कार्बन और अन्य प्रदूषण कणों की वातावरण में उपस्थिति यह तय करती है कि सूरज की किरणें कितनी मात्रा में धरती तक पहुंचेगी। एरोसोल की अधिकता हवा की खराब गुणवत्ता की तरफ तो इशारे करती ही है, साथ ही यह सूरज की रोशनी को भी बाधित करती हैं। इस लिहाज से उत्तराखंड की हवा की स्थिति की बात की जाए तो रुद्रपुर और हरिद्वार क्षेत्र में एरोसोल की उच्च उपस्थिति पाई गई है। वहीं, मुनस्यारी में एरोसोल की निम्न उपस्थिति खुले आसमान की कहानी बयां करती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने पहली बार उत्तराखंड के आबादी क्षेत्रों में एरोसोल की उपस्थिति पर अध्ययन शुरू किया है। संस्थान के वरिष्ठ शोधार्थी अभिषेक ठाकुर के अनुसार सेटेलाइट के माध्यम से एरोसोल के आंकड़े प्राप्त किए जा रहे हैं। जो बताते हैं कि रुद्रपुर के 100 किलोमीटर के दायरे में एरोसोल की मात्रा सर्वाधिक औसतन 0.8 पाई गई है।

    वहीं, इसका न्यूनतम स्तर इसी दायरे में मुनस्यारी क्षेत्र में 0.14 पाया गया है। अध्ययन में दूसरी तरफ हरिद्वार क्षेत्र को भी शामिल किया गया। वहां इसका घनत्व 0.6 पाया गया। इसके अलावा अन्य पर्वतीय क्षेत्र के रूप में टिहरी में एरोसोल 0.33 पाया गया। वरिष्ठ शोधार्थी अभिषेक ठाकुर के मुताबिक उत्तराखंड के कुल सात क्षेत्रों में यह अध्ययन किया जा रहा है। जिनके आंकड़ों का विश्लेषण अभी बाकी है।

    एरोसोल की स्थिति और उसका प्रभाव

    - 0.1 एक स्तर बताता है कि सूर्य की किरणें 95 प्रतिशत तक धरती पर पहुंच रही हैं। वायुमंडल सिर्फ 05 प्रतिशत रोशनी रोक सकता है।
    - 0.3 के स्तर में हल्का प्रदूषण माना जाता है और सूर्य की रोशनी में 10 से 15 प्रतिशत की कमी आती है।
    - 0.5 को मध्यम प्रदूषण के दायरे में रखा जाता है और इस स्थिति में सूरज की रोशनी 20 से 25 प्रतिशत तक बाधित होती है।
    - 0.8 और इसके आसपास एरोसोल की उपस्थिति खराब हवा का सूचक है और सूरज की रोशनी 30 से 40 प्रतिशत तक बाधित होती है।
    - एरोसोल के 01 के आंकड़े पर पहुंचने को गंभीर स्तर माना जाता है और यह 50 प्रतिशत तक रोशनी को बाधित करता है।
    - 1.5 से 2.0 का स्तर अत्यधिक प्रदूषण का सूचक है, इस स्तर में सूरज की रोशनी 60 से 70 प्रतिशत तक बाधित हो जाती है।

    एरोसोल का उच्च स्तर इसलिए भी घातक

    - तापमान का संतुलन बिगड़ता है
    -धरती की सतह की गर्मी कम हो जाती है
    - सौर ऊर्जा उत्पादन कम हो जाता है
    - पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल असर पड़ता है
    - दृश्यता और वायु गुणवत्ता दोनों निम्न स्तर पर पहुंचते हैं