Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ड्रग माफिया के गठजोड़ पर चोट करेगी एडीटीएफ, पढ़िए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 15 Feb 2019 02:40 PM (IST)

    ड्रग माफिया के गठजोड़ पर एंटी ड्रग टास्क फोर्स (एडीटीएफ) चोट करने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए एसटीएफ की मदद से फोर्स ड्रग की आपूर्ति करने वाले माफिया को राडार पर ले रही है।

    ड्रग माफिया के गठजोड़ पर चोट करेगी एडीटीएफ, पढ़िए पूरी खबर

    देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में धड़ल्ले से चल रहे ड्रग माफिया के गठजोड़ पर एंटी ड्रग टास्क फोर्स (एडीटीएफ) चोट करने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए एसटीएफ की मदद से फोर्स ड्रग की आपूर्ति करने वाले माफिया को राडार पर ले रही है। सिर्फ छह माह के भीतर फोर्स ने 31 मुकदमे दर्ज कर 34 अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की है। साथ ही स्कूलों से लेकर समाज के विभिन्न वर्गों के बीच जाकर मौत का सामान बेचने वालों से सतर्क रहने को जागरूक भी किया जा रहा है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड को ड्रग माफिया सॉफ्ट टारगेट मान रहे हैं। यही कारण है कि यहां राजधानी से लेकर पहाड़ी जिलों तक ड्रग की आपूर्ति के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हर साल करीब सात से 10 करोड़ का नशा पुलिस और दूसरी एजेंसियां यहां पकड़ चुकी हैं। ड्रग माफिया के इस खेल से निपटने को पुलिस ने भी सख्ती से पेश आने की ठानी है। यही कारण है कि 18 अगस्त 2018 को एसटीएफ के अधीन एंटी ड्रग टास्क फोर्स का गठन किया गया। एडीटीएफ जनपद स्तर पर गठित ड्रग सेल से समन्वय बनाकर काम कर रही है। ताकि ड्रग माफिया के तंत्र को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। जन जागरूकता के माध्यम से भी एडीटीएफ भी इस मुहिम को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रही है। खासकर ड्रग कारोबार चलाने और इसके लत में आने वालों पर भी नजर रखी जा रही है।

    मिलकर लड़ें ड्रग के खिलाफ 

    रिधिम अग्रवाल (डीआइजी एसटीएफ) का कहना है कि ड्रग्स के खिलाफ हम सबको मिलकर लडऩा होगा। समाज में यह हंसते-खेलते परिवार की बर्बादी का कारण बन रहा है। खासकर स्कूली बच्चों और युवाओं को नशे से दूर रखना हमारी जिम्मेदारी है। स्कूलों, कॉलेजों व अन्य स्थानों पर नशा उन्मूलन को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाना होगा। हमारी टीम का कार्य प्रत्येक जनपद स्तर पर आने वाले स्कूलों, कॉलेजों, उच्च शिक्षण संस्थानों, मेडिकल कॉलेजों, मादक पदार्थ के उन्मूलन कार्य में जुटे संगठनों के साथ काम कर रही है। ताकि ड्रग के धंधे में कोई भी माफिया बच न पाए। युवा पीढ़ी नशा कारोबारियों के गिरफ्त में आसानी से आती है। ऐसे में युवाओं को नशे के दुष्परिणाम के बारे में जागरूक करना होगा। युवाओं के बीच हम शे नो टू ड्रग्स यस टू लाइफ, सेव यूअर फेमली संदेश के साथ काम कर रहे हैं।

    यहां दें सूचना

    नशा बेचने, नशे के कारोबार में लिप्त, नशे का सेवन करने आदि की कोई सूचना यदि मिलती तो हमें हेल्प लाइन नंबर 0135-2656202 पर सूचना दें। सूचना देने वाले का नाम, पता आदि जानकारी गोपनीय रखी जाएगी। 

    छह माह में ये हुई कार्रवाई 

    वर्ष------मुकदमे---गिरफ्तारी------बरामद नशा

    2018------21------23------------45 किलोग्राम 

    2019------11------11------------3.70 किलोग्राम   

    मुखबिर तंत्र फेल, माफिया कर रहे खेल 

    ड्रग माफिया के खिलाफ पुलिस पहले सक्रिय मुखबिर तंत्र की बल पर कार्रवाई करती थी। मगर, अब पुलिस का मुखबिर तंत्र पूरी तरह से फेल हो गया है। यही कारण है कि ड्रग माफिया धड़ल्ले से ड्रग के धंधे को स्कूल, कॉलेज से लेकर नशे की लत में आए युवाओं के बीच तक फैला रहा है। इसके पीछे स्थानीय पुलिस की लापरवाही भी कम नहीं है। पुलिस के जवान से लेकर अफसर इस दिशा में स्वयं ही सुस्त है। ऐसे में मुखबिर भी धीरे-धीरे पुलिस से दूरियां बनाने लगे। पहले अपराधियों की धरपकड़ में पुलिस मुखबिर तंत्र को मजबूत हथियार के रूप में प्रयोग करती थी। किन्तु अब मुखबिर तंत्र पर ध्यान न देने का ही परिणाम है कि ड्रग माफिया भी पुलिस की पकड़ से दूर है। यही कारण है कि पुलिस की लंबी चौड़ी फौज के बावजूद एसटीएफ के अधीन अलग से एंटी ड्रग टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

    नशे की वजह से परिवार में हो रही कलह

    दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे 'डायल अगेंस्ट ड्रग्स' अभियान के तहत यूनिवर्सल एकेडमी में जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर न्यूरो सर्जन डॉ. सोना कौशल ने छात्र-छात्राओं को नशे के दुष्प्रभाव बताए। बताया कि नशे से बच्चे तनाव में आते हैं और गलत निर्णय लेने लगते हैं। करीब 90 फीसद से ज्यादा परिवारों में ङ्क्षहसा का कारण नशा सामने आ रहा है। 

    गुरुवार को टर्नर रोड स्थित यूनिवर्सल एकेडमी में आयोजित कार्यशाला में न्यूरो सर्जन डॉ. सोना कौशल ने कहा कि बच्चों में नशा प्रवृत्ति अधिक पनप रही है। बच्चों को गुमराह करना बेहद आसान होता है। नशे से इंसान की सोचने-समझने की क्षमता खत्म होने लगती है। इसी वजह से देखा जाता है कि नशे से ग्र्रसित लोग ही आत्महत्या करते हैं। कहा, नशे से इंसान की संवेदनाएं भी मरने लगती हैं और उसका परिवार के साथ भावनात्मक लगाव नहीं रहता। यही वजह है कि नशे की लत में मनुष्य परिवार के सदस्यों के साथ ङ्क्षहसापूर्ण व्यवहार करता है। डॉ. कौशल ने छात्रों को जागरूक करते हुए कहा कि नशा मीठा जहर होता है। इससे दूर रहना चाहिए।

    रश्मि सिंह (प्रिंसिपल, यूनिवर्सल एकेडमी) का कहना है कि दैनिक जागरण की ओर से नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाना सराहनीय है। आज युवा पीढ़ी में नशे की प्रवृत्ति बड़ी समस्या बन चुका है। इसलिए इस तरह के जागरूकता अभियान बेहद आवश्यक हैं।

    यह भी पढ़ें: शौक में नशा, लत लगी तो बन गए तस्कर, पढ़िए पूरी खबर

    यह भी पढ़ें: शिक्षण संस्‍थानों के हॉस्‍टलों में परोसा जा रहा है हर तरह का नशा

    comedy show banner
    comedy show banner