Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तो क्‍या Uniform Civil Code में नहीं है बच्‍चा गोद लेने का अधिकार? इस वजह से लगा अड़ंगा; पढ़ें खास रिपोर्ट

    Updated: Sat, 13 Jul 2024 11:28 AM (IST)

    Adoption in Uniform Civil Code परिवार से संबंधित कानून में से एक महत्वपूर्ण गोद लेने के कानून को उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता में स्थान नहीं मिला। प्रदेश सरकार ने विशेषज्ञ समिति को जिन विषयों को संदर्भित किया गया उनमें गोद लेना भी रहा है। समिति ने इस विषय पर मंथन किया। कानूनी समाधान और समाज में जागरुकता की कमी भी बड़ी बाधा के रूप में सामने आई है।

    Hero Image
    Adoption in Uniform Civil Code: बाल तस्करी ने लगाया समान नागरिक संहिता में गोद लेने के अधिकार पर अड़ंगा

    रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून। Adoption in Uniform Civil Code: परिवार से संबंधित कानून में से एक महत्वपूर्ण गोद लेने के कानून को उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता में स्थान नहीं मिला।

    समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति ने अपनी संस्तुतियों में इसे सम्मिलित नहीं किया। देश में बच्चे को गोद लेने की जटिल प्रक्रिया और इसमें लगने वाले लंबे समय के साथ ही बाल तस्करी या अवैध व्यापार की समस्या ने विशेषज्ञ समिति के हाथ जकड़ लिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोद लेने से संबंधित 30 से अधिक प्रविधान

    प्रदेश सरकार ने विशेषज्ञ समिति को जिन विषयों को संदर्भित किया गया, उनमें गोद लेना भी रहा है। समिति ने इस विषय पर मंथन किया। जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रन) एक्ट, 2015 का अध्ययन करते हुए पाया कि इस एक्ट में गोद लेने से संबंधित 30 से अधिक प्रविधान हैं। सभी प्रविधान महत्वपूर्ण हैं।

    इनमें लगभग सभी व्यवस्था एवं विकल्प का ध्यान रखा गया है। इसके साथ ही गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया बड़ी जटिल तो है ही, इसमें बच्चों की दिव्यांगता का जटिल विषय भी सम्मिलित है। इसे लेकर कानूनी समाधान और समाज के स्तर पर जागरुकता की कमी भी बड़ी बाधा के रूप में सामने आई है।

    समिति के सामने चाइल्ड ट्रेफिकिंग यानी बाल तस्करी या अवैध व्यापार का प्रश्न भी खड़ा हुआ। विशेषज्ञ समिति ने इसे अत्यंत गंभीर विषय माना। समिति के सदस्य रहे एवं नियमावली समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने ‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में माना कि बाल तस्करी के गंभीर विषय पर विभिन्न स्तर पर गंभीर मंथन करने की आवश्यकता है। बाल संरक्षण से संबंधित यह महत्वपूर्ण विषय सामाजिक चेतना एवं संवेदनाओं से भी जुड़ा है। इसी कारण समिति ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के आधार को विस्तार देने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया है।

    उत्तराखंड जनसांख्यिकीय परिवर्तन से जूझ रहा है। समान नागरिक संहिता को लेकर उठने वाले स्वरों के पीछे इस कारक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके बाद भी विशेषज्ञ समिति को जिन विषयों पर मंथन कर ड्राफ्ट तैयार करना था, उनमें यह विषय सम्मिलित नहीं किया गया। प्रदेश सरकार के स्तर पर ही इसकी आवश्यकता महसूस नहीं की गई।

    इस संबंध में पूछने पर विशेषज्ञ समिति के सदस्य शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि समान नागरिक संहिता के केंद्र में परिवार से संबंधित कानूनों को समान रूप से क्रियान्वित करना है। ऐसे में यह विषय विशेषज्ञ समिति से दूर रखा गया। समिति ने भी इसे समान नागरिक संहिता की सीमा के अंतर्गत नहीं माना। 

       

    समान नागरिक संहिता में  कब क्या हुआ

    • जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई विशेषज्ञ समिति का गठन-  27 मई, 2022
    • विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट-02 फरवरी  2024
    • विधानसभा में पारित हुआ समान नागरिक संंहिता विधेयक-07 फरवरी, 2024
    • विधेयक को राष्ट्रपति से स्वीकृति-11 मार्च, 2024
    • समान नागरिक संहिता अधिनियम की अधिसूचना-12 मार्च, 2024