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अटल आयुष्मान घोटाले में भगवानपुर के मेडिकल कालेज पर कार्रवाई

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से जुड़े फर्जीवाडे में भगवानपुर हरिद्वार के आरोग्यम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पर कार्रवाई की गई है। अस्पताल की सूचीबद्धता समाप्त कर दी गई।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 01:32 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 01:32 PM (IST)
अटल आयुष्मान घोटाले में भगवानपुर के मेडिकल कालेज पर कार्रवाई
अटल आयुष्मान घोटाले में भगवानपुर के मेडिकल कालेज पर कार्रवाई

देहरादून, जेएनएन। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से जुड़े फर्जीवाडे में भगवानपुर हरिद्वार के आरोग्यम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पर कार्रवाई की गई है। राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने अस्पताल की सूचीबद्धता समाप्त कर 2,18,600 रुपये का जुर्माना लगाया है। उक्त संस्थान ने खुद को मेडिकल कालेज दर्शाया था, जबकि वह एमसीआइ की वेबसाइट पर पंजीकृत ही नहीं है। धोखाधडी में अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की भी कार्रवाई की जा रही है।

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योजना के निदेशक-प्रशासन डा अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल में इलाज कराने वाले कुल 518 मरीजों में से 76 मरीजों का इलाज बिना अटल आयुष्मान सोसायटी की इजाजत के किया गया। योजना में इलाज से पहले अस्पतालों को पहले अनुमति लेनी होती है।

अस्पताल में तैनात आयुष्मान मित्र के कब्जे में 36 मरीजों के आयुष्मान कार्ड मिले। वहीं, अस्पताल में केवल 13 मरीज भर्ती थे। ऐसे में फर्जी क्लेम और इलाज दिखाने  के लिए कार्ड कब्जे में रखे गए थे। फर्जीवाडा ऐसा कि कुछ मरीजों को भर्ती होने के बाद रेफरल पर्ची दी गई। 

अस्पताल ने मेडिसिन के कई केस में अनावश्यक रूप से एनहान्समेंट लिया। अस्पताल ने सूचीबद्ध होने के समय जानकारी दी थी कि उनके पास एक जनरल सर्जन और एक निष्चेतक की टीम मौजूद है। यही टीम यहां पर सर्जरी करती है। 

जांच टीम ने जब अस्पताल में दस्तावेज जांचे तो पता चला कि चार फरवरी को अकेले डॉक्टर ने छह घंटे के भीतर चार और 18 फरवरी को आठ घंटे में आठ लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की। जो मुमकिन नहीं है। अस्पताल में कई सर्जरी नाक कान गले व हड्डी की भी हुई, लेकिन अस्पताल ने अपने यहां कोई ईएनटी या आर्थो सर्जन होने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी। 

अस्पताल में उपचारित 319 केस नियोजित थे। जिन्हें अलग-अलग स्वास्थ्य इकाईयों सीएचसी भगवानपुर, सीएचसी मंगलौर, सीएचसी इमलीखेडा व पीएचसी इमलीखेडा से बकायदा अस्पताल का नाम अंकित कर रेफर किया गया है। 

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डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल को अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया गया। उसके उत्तर असंतोषजनक पाए गए और तमाम आरोप सिद्ध हुए। इस पर ये कार्रवाई की गई है। सात दिन के भीतर अर्थदंड न भरने पर अस्पताल के खिलाफ वसूली की कार्रवाई की जाएगी।

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