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अटल आयुष्मान फर्जीवाड़े में कुमाऊं के दो अस्पतालों पर गिरी गाज

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से जुड़े फर्जीवाड़े में कुमाऊं के दो अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है। इन अस्पतालों की सूचिबद्धता समाप्त करने के साथ ही जुर्माना भी लगाया गया।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 09:41 AM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 08:31 PM (IST)
अटल आयुष्मान फर्जीवाड़े में कुमाऊं के दो अस्पतालों पर गिरी गाज

देहरादून, जेएनएन। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से जुड़े फर्जीवाड़े में कुमाऊं के दो अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है। राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने जनपद ऊधमसिंह नगर के जसपुर मेट्रो हॉस्पिटल, जसपुर व सहोता सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल, काशीपुर की सूचीबद्धता समाप्त कर दी है। 

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साथ ही इन पर क्रमश: 4,17,300 रुपये व 1,63,550 रुपये का जुर्माना लगाया है। इसे सात दिन के भीतर राज्य स्वास्थ्य अभिकरण में जमा करना होगा। अन्यथा वसूली की कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज व आपराधिक षडयंत्र आदि के संबंध में अस्पतालों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की कार्रवाई अलग से की जा रही है। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के निदेशक-प्रशासन डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने इसके आदेश किए। 

जसपुर मेट्रो हॉस्पिटल 

जसपुर मेट्रो हॉस्पिटल में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत 26 मरीजों की सर्जरी/उपचार अस्पताल ने बिना प्री-ऑथराइजेशन कर दिया। मरीजों को डिस्चार्ज करने के बाद प्री-ऑथराइजेशन की पहल की गई। इसके अलावा 15 मरीजों को निश्शुल्क इलाज देने के बजाय अस्पताल ने उनसे पैसे लिए। जांच, दवा व सर्जरी के लिए उनसे अवैध रूप से शुल्क लिया गया। 

वहीं इनका क्लेम भी प्रस्तुत कर दिया। जांच में सामने आया कि सूचीबद्धता की तिथि से 16 अप्रैल 2019 तक अस्पताल में 67 मरीजों का इलाज किया गया। इसमें 41 मामले रेफरल के आधार पर नियोजित केस के रूप में भर्ती किए गए। इनमें 18 मरीजों को सीएचसी जसपुर से रेफरल स्लिप पर मेट्रो अस्पताल का नाम अंकित कर रेफर किया गया था। 

कई रेफरल स्लिप पर अस्पताल के चिकित्सकों के नाम तक अंकित किए गए थे। यही नहीं, दो मरीजों के मेट्रो अस्पताल में भर्ती होने के बाद सीएचसी जसपुर से रेफरल स्लिप प्राप्त की गई। 26 मरीजों को अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती होना दिखाया गया। वहीं, अभिलेखों के परीक्षण पर पता लगा कि ये केस इमरजेंसी के नहीं थी, बल्कि रेफरल से बचने के लिए इन्हें इमरजेंसी केस दिखाया गया। 

अस्पताल द्वारा प्रस्तुत 67 मामलों में पैथोलॉजी रिपोर्ट पर किसी भी डॉक्टर के हस्ताक्षर नहीं हैं। समस्त जांच चिकित्सालय में इन-हाउस करवाई गई हैं। वहीं, पित्ताशय में सूजन व पथरी के एक मामले में मरीज की डिस्चार्ज स्लिप व ऑपरेशन नोट्स में भर्ती की तिथि अलग-अलग अंकित की गई थी। 

सहोता मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल

काशीपुर के सहोता सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में कुल नौ चिकित्सक हैं, जिनमें डॉ. नवप्रीत कौर (स्त्री रोग विशेषज्ञ) भी शामिल हैं। जबकि डॉ. कौर एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय काशीपुर में संविदा पर भी काम करती हैं। सहोता हॉस्पिटल ने गत 17 अप्रैल तक कुल 93 मामलों का क्लेम प्रस्तुत किया था।

इनमें से नौ मामले सिजेरियन प्रसव, 21 नवजात शिशुओं से संबंधित, 35 डायलिएसिस और सात मामले मोतियाबिंद के थे। सिजेरियन प्रसव के नौ मामले एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय से सहोता अस्पताल रेफर किए गए। इन सभी मरीजों को डॉ. कौर ने ही रेफर किया। जांच में पता चला कि यह अस्पताल डॉ. कौर के पति डॉ. रवि सहोता का है। 

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पता चला कि इन्हें जानबूझकर कोई न कोई बहाना बनाकर मरीज इस अस्पताल में रेफर किया गया। इनमें से छह नवजात बच्चों को इसी अस्पताल में अनावश्यक रूप से निक्कू वार्ड में रखा गया और योजना के अंतर्गत इनका क्लेम लिया गया।

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