ABVP का 71वां राष्ट्रीय अधिवेशन, प्रस्ताव सत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर हुई बात
देहरादून में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रस्ताव सत्र आयोजित किया गया। पहले प्रस्ताव में वित्तीय आवंटन सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया। दूसरा प्रस्ताव बांग्लादेशी घुसपैठ पर केंद्रित था, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया। पूर्वोत्तर राज्यों ने म्यांमार सीमा से होने वाली घुसपैठ पर भी चिंता व्यक्त की और इसे नीतिगत स्तर पर संबोधित करने का सुझाव दिया।

दूसरा प्रस्ताव बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर केंद्रित रहा। प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, देहरादून। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन के तहत आज प्रस्ताव सत्र का आयोजन किया जा रहा है। इस सत्र की शुरुआत में पहला प्रस्ताव पर्याप्त वित्तीय आवंटन सुनिश्चित करते हुए एक समन्वित संरचना के अधीन लाने का रखा गया। प्रस्ताव पर संशोधकों ने अपने-अपने सुझाव प्रस्तुत किए। जिन्हें सम्मिलित करने के बाद प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया।
अधिवेशन के अंतिम दिन रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अभाविप के एक कर्मठ कार्यकर्ता को प्रो. यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार देने मुख्य सभागार पहुंच गए हैं। मुख्यमंत्री का अभाविप ने जोरदार स्वागत किया। अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.रघुराज किशोर तिवारी ने स्वागत किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन दिन चले अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन को ऐतिहासिक बताया कहा कि युवा शक्ति का यह विशाल मेला राष्ट्रीय एकता, अखंडता व राष्ट्र प्रथम की भावना का संदेश देता है। उन्होंने कहा, दुनिया का सबसे बड़ा छात्र संगठन अभाविप राष्ट्र निर्माण का अग्रदूत हैं।
वहीं प्रस्ताव सत्र के दौरान दूसरा प्रस्ताव बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर केंद्रित रहा। प्रस्ताव में कहा गया कि लगातार बढ़ती अवैध घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक संरचना और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है, जिस पर प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है।
सत्र में देशभर से आए प्रतिनिधियों ने इस पर अपने-अपने सुझाव रखे। इस दौरान पूर्वोत्तर राज्य की प्रतिनिधि ने म्यांमार सीमा को भी इसमें सम्मिलित करने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि पूर्वोत्तर राज्यों में म्यांमार सीमा से होने वाली आवाजाही भी जनसांख्यिकीय दबाव और सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे नीतिगत स्तर पर साथ-साथ संबोधित किया जाना चाहिए।

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