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    सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बेटियों को मिलेगी एक और आजादी, पढ़ि‍ए पूरी खबर

    एनडीए परीक्षा में महिला उम्मीदवारों को बैठने की सुप्रीम कोर्ट के फैसले का रक्षा विशेषज्ञों ने भी स्‍वागत किया है। उनका कहना है कि यह आदेश आया है तो भविष्य में इसके अच्छे ही परिणाम दिखेंगे। सेना की राह अब महिलाओं के लिए 12वीं कक्षा के बाद ही खुल जाएगी।

    By Sumit KumarEdited By: Updated: Thu, 19 Aug 2021 05:21 PM (IST)
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    सेवानिवृत्त विंग कमांडर अनुपमा जोशी ने कहा कि सेना की राह अब महिलाओं के लिए 12वीं के बाद खुल जाएगी।

    जागरण संवाददाता, देहरादून : महिला उम्मीदवारों को एनडीए परीक्षा में बैठने की अनुमति के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से समाज में एक सकारात्मक संदेश गया है। रक्षा विशेषज्ञों ने भी इस कदम का स्वागत किया है। इससे सेना में महिलाएं नई भूमिका (काम्बैट रोल) में दिखाई देंगी। पर वह यह भी मानते हैं कि रक्षा संबंधी मामलों में कोई लकीर नहीं खींची जानी चाहिए। क्योंकि बहुत सी चीजें वक्त और परिस्थिति पर भी निर्भर करती हैं। बहरहाल, यह आदेश आया है तो भविष्य में इसके अच्छे ही परिणाम दिखेंगे।

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    वायुसेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन की सूत्रधार रही दून निवासी सेवानिवृत्त विंग कमांडर अनुपमा जोशी ने कहा कि यह निर्णय कोर्ट की अपेक्षा सेना व सरकार के स्तर पर लिया जाता तो अधिक सहज व बेहतर रहता। उन्होंने कहा कि एनडीए के माध्यम से सेना की राह अब महिलाओं के लिए 12वीं कक्षा के बाद ही खुल जाएगी। इससे एक बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। पहला बदलाव यह होगा कि देश की रक्षा की चाह रखने वाली छात्रओं को स्नातक तक का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि कई दफा स्नातक तक इंतजार करने के चलते व्यक्तिगत व पारिवारिक कारणों से प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। लिहाजा, छात्राओं को 12वीं कक्षा पास करते ही करियर की स्पष्ट राह मिल जाएगी। साथ ही वह भी सेना में उसी पोजिशन और पदोन्नति की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगी। दूसरा बदलाव यह होगा कि युवतियां उसी प्रक्रिया से होकर सेना में आएंगी, जिस प्रक्रिया से युवक गुजरते हैं।

    एक साथ एनडीए में आने से युवतियों को साथी युवक कैडेट सहज भाव से लेंगे। उन्हें यह एहसास होगा कि जितनी मेहनत उन्होंने की है, युवतियां भी उसी मेहनत से देश की रक्षा की राह पर बढ़ी हैं। सेना में सेवा के दौरान भी एक सहकर्मी के रूप में इसके बेहतर परिणाम सामने होंगे। इधर, ले जनरल एमसी भंडारी (सेनि.) का कहना है कि वह व्यक्तिगत रूप से इस कदम के पक्ष में हैं। आज ऐसा कोई काम नहीं जो पुरुष कर रहे हैं और महिलाएं नहीं कर सकतीं। आज इजराइल, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका सहित कई देशों की सेनाओं में महिलाएं काम्बैट रोल में हैं। पर एक सच्चाई यह भी है कि हमारे यहां उस अनुरूप माहौल अभी नहीं बन सका है। इसमें तमाम तरह की कठिनाई हैं, जिनके सुधार में कुछ वक्त लगेगा। एनडीए के माध्यम से महिलाएं काम्बैट रोल में आएंगी। देखना होगा कि यह सब किस रूप में और कितनी जल्दी आगे बढ़ता है।

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    वहीं, ले. जनरल गंभीर सिंह नेगी (सेनि.) का कहना है कि महिलाओं ने आज हर क्षेत्र में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। उनकी मौजूदगी भी हर कहीं है। सेना में भी वह चिकित्सा, शिक्षा, कानून, सिग्नल, इंजीनियरिंग सहित विभिन्न शाखाओं में सेवा दे रही हैं। अब सेना पुलिस में भी महिलाओं की भर्ती की जा रही है। पर वह यह भी कहते हैं कि रक्षा संबंधी नीतिगत मसलों में बहुत ज्यादा हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। वक्त और परिस्थिति को भी ध्यान में रखना पड़ता है।

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