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    नंदा की जात से मजबूत होंगे 10 हजार हाथ

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    Updated: Wed, 16 May 2012 10:49 PM (IST)

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    देहरादून, जागरण संवाददाता: धार्मिक-सांस्कृतिक यात्राएं रोजगार का जरिया भी बनती हैं। अगले साल 29 अगस्त से नंदा राजजात यात्रा शुरू होने जा रही है। उत्तराखंड हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास परिषद का प्रयास 10 हजार ग्रामीणों को इस यात्रा से जोड़ने का है। इसके लिए उन्हें बाकायदा पारंपरिक उत्पादों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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    यह पहला मौका है जब स्थानीय लोग भी इससे लाभान्वित होंगे। यह पहाड़ की ध्याणी (विवाहित बेटी-बहन) भगवती राज राजेश्वरी नंदा की मैत (मायके) से सौरास (ससुराल) लौटने की यात्रा है। यात्रा के दौरान फोकस रिंगाल से जुड़े उन उत्पादों के प्रशिक्षण पर है, जो विदाई से भावनात्मक रूप में जुड़े हैं। इन उत्पादों को हिमाद्रि शिल्प इंपोरियम के माध्यम से बेचा जाएगा। इसके साथ ही स्थानीय व्यंजनों को भी यात्रा से जोड़ने का प्रयास है। जिससे किसैलानी एवं यात्री उत्तराखंडी परंपराओं से परिचित हो सकें। इस महत्वपूर्ण अभियान में नंदा राजजात समिति का सहयोग लेने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।

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    'यात्रा के दौरान यात्रियों को दिया जाने वाला प्रसाद भी स्थानीय उत्पादों से तैयार होगा। प्रयास स्थानीय फूलों को बढ़ावा देने का भी है। ताकि, इनकी बिक्री से जो आय हो, वह सीधे ग्रामीणों की झोली में जाए। प्रसाद व फूलों का पैकेज लगभग 70 रुपये का होगा।'

    -अनुपम द्विवेदी, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, रुद्रप्रयाग

    'स्थानीय लोगों को यात्रा से जोड़ने के पीछे ध्येय यह भी है कि बाहर से आने वाले लोग उत्तराखंड को बेहतर ढंग से जान सकें। ग्रामीणों द्वारा तैयार स्थानीय उत्पाद पर्वतीय क्षेत्र में स्वरोजगार का मजबूत आधार तैयार करेंगे। साथ ही इससे पंरपराओं के संरक्षण में भी मदद मिलेगी।'

    -शैली डबराल, सहायक निदेशक, उद्योग

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