Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में आपदा से अब तक 59 लोगों की हुई मौत, 12 लोग हैं लापता

प्रदेश में अब तक 59 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है जबकि 55 घायल और 12 लापता हैं। वहीं उत्तरकाशी की तहसील मोरी के कोटीगाड़ क्षेत्र का 70 वर्ग किमी क्षेत्रफल प्रभावित है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 05:35 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 08:48 PM (IST)
उत्‍तराखंड में आपदा से अब तक 59 लोगों की हुई मौत, 12 लोग हैं लापता
उत्‍तराखंड में आपदा से अब तक 59 लोगों की हुई मौत, 12 लोग हैं लापता

देहरादून, राज्य ब्यूरो। आपदा से बेहाल प्रदेश में अब तक 59 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 55 घायल और 12 लापता हैं। वहीं आपदा से उत्तरकाशी जिले की तहसील मोरी के कोटीगाड़ क्षेत्र का करीब 70 वर्ग किमी क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गदेरों के किनारे आबादी की बसावट खतरे की जद में हैं। यह चिंता की बात है। इसके लिए जनता को जागरूक किया जाएगा।

loksabha election banner

मंगलवार को सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा से उत्तरकाशी जिले के साथ ही पूरे प्रदेश में हुए नुकसान का ब्योरा रखा। उन्होंने बताया कि राज्य में आपदा से 62 बड़े व 263 छोटे पशुओं की हानि हुई है। इसके अतिरिक्त 134 आवासीय भवन आंशिक व 115 पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील में आपदा से 17 भवन पूर्ण क्षतिग्रस्त, 115 आंशिक क्षतिग्रस्त, दो मोटरपुल, दो पैदल पुल, 14 किमी विद्युत लाइन, 12 किमी 11 केवी लाइन, आठ ट्रांसफार्मर खराब हो चुके हैं। 

कुल प्रभावित क्षेत्र में 51 गांवों और तोकों समेत 24 घाटी और 27 पहाड़ी शामिल हैं। करीब 130 करोड़ के नुकसान का आकलन किया गया है। उन्होंने कहा कि आपदा से सेब के बाग भी प्रभावित हुए हैं। जिन बागों में सेब की खेती पर असर पड़ा है, उसकी भरपाई सरकारी खर्च से की जाएगी। उन्होंने आपदा प्रभावित आराकोट, त्यूणी व मोरी से सेब की फसल को गांवों से सड़क तक लाने और फसल को नुकसान से बचाने की हिदायत दी। जिन गांवों में संचार व्यवस्था नहीं है, वहां सेटेलाइट फोन की व्यवस्था की जाएगी।

गदेरों के इर्द-गिर्द आबादी बसने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि यह स्थिति चिंताजनक है। इसे रोकने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसने के लिए जन जागरण का विशेष अभियान चलाया जाएगा। भू-वैज्ञानिकों से भी इस बारे में राय ली जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में आपदा के बारे में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री को विस्तार से जानकारी दी। गृह मंत्री ने आपदा से निपटने में पूरी मदद का भरोसा दिया। उधर, मुख्यमंत्री ने सचिवालय स्थित आपदा प्रबंधन केंद्र का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को आपदा के संबंध में जिलों से संपर्क और समन्वय बनाए रखने के निर्देश दिए। 

केंद्र में उन्होंने आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी, प्रभारी सचिव एसए मुरुगेशन, आइजी संजय गुंज्याल, डीआइजी राजीव रौतेला, डीआइजी एसटीएफ रिद्धिम अग्रवाल, एसडीआरएफ कमांडेंट तृप्ति भट्ट के साथ आपदा के संबंध में विस्तार से चर्चा की।

सीएम ने कीं प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण की घोषणाएं 

टिकोची, किराणु, दुचाणु के किमी एक से 84 मीटर सेतु का निर्माण, मुलाणा में 70 किमी झूला पुल का निर्माण, टिकोची में 90 मीटर सेतु का निर्माण, चिवां बालचा में 42 मीटर सेतु का निर्माण, आराकोट, चिवां, बालचा, बरनाली, माकुड़ी, बरनाडी-झोटाड़ी-गोकुल मोटर मार्गो के पुनर्निर्माण की घोषणा की। आराकोट में पुलिस चौकी, ग्राम पंचायत चिवां में प्राथमिक विद्यालय, जूनियर हाईस्कूल व माध्यमिक विद्यालय का पुनर्निर्माण, राजकीय इंटर कॉलेज किोची का पुनर्निर्माण, राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय टिकोची का पुनर्निर्माण व हेलीपैड का विस्तार करने की घोषणा की।

आपदा पीड़ि‍तों को नहीं मिला खाना, डॉक्टर ने बाहर से मंगवाया सामान

ये संवेदनहीनता की इन्तहा है। कुदरत के सताए आपदा पीड़ि‍तों को अब सिस्टम की बेरुखी भी झेलनी पड़ रही है। हद देखिए, प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में उन्हें रात का खाना तक नसीब नहीं हुआ। तीमारदारों ने हंगामा किया तो प्रशासन हरकत में आया। बात यहीं खत्म नहीं हुई। चिकित्सक ने पीड़ि‍त परिवार से निजी मेडिकल स्टोर से सामान मंगवा डाला। यह स्थिति तब है, जब सूबे के मुखिया आपदा प्रभावितों को मुफ्त उपचार देने की घोषणा कर चुके हैं। 

उत्तरकाशी के आराकोट एवं माकुड़ी में आई दैवीय आपदा के बाद सोमवार तक दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सात घायलों को भर्ती कराया गया था। मंगलवार को परिजनों ने हंगामा कर आरोप लगाया कि उन्हें रात में खाना ही नहीं दिया गया। बताया कि कुछ समाजसेवियों की मदद से परिजनों ने घायलों को खाना खिलाया। यहां तक की पानी भी वह बाहर से लाकर पी रहे हैं। वहीं, माकुड़ी से आए सेब काश्तकार उपेंद्र पुत्र ज्ञान सिंह के परिजनों ने आरोप लगाया कि हड्डी रोग के एक जेआर ने फ्रैक्चर सपोर्टर निजी मेडिकल स्टोर से मंगवाए। हंगामे की सूचना पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा और डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को समझा-बुझाकर शांत किया। डॉ. टम्टा ने कैंटीन कर्मियों को बुलाकर फटकार लगाई और खाना नहीं दिये जाने पर लिखित में जवाब तलब किया। वहीं, डिप्टी एमएस डॉ. खत्री ने अपनी जेब से परिजनों को सपोर्टर के 400 रुपये देकर मामले को शांत किया। उधर, प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि बाहर से सामान मंगाना और खाना नहीं दिया जाना बेहद गलत है। एमएस से इसकी रिपोर्ट तलब की गई है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

दून अस्पताल में भर्ती आपदा पीड़ि‍त

  • राधा (40) पत्नी अब्बल दास, आराकोट 
  • सोहन लाल (48) पुत्र रत्तु, आराकोट 
  • सक्षम (12) पुत्र किशन सिंह, माकुड़ी 
  • हितेश (16) पुत्र किशन, माकुड़ी 
  • उपेंद्र (28) पुत्र ज्ञान सिंह, माकुड़ी  
  • जालम सिंह (20) पुत्र माडू, चकराता 
  • राजेंद्र (24) पुत्र मोहर सिंह टिकोची त्यूणी, चकराता 
  • निशा (28) पुत्री मील बहादुर, आराकोट 
  • सागर (40) पुत्र राजपाल, आराकोट

गर्भवती को गांधी शताब्दी में कराया भर्ती 

आपदा प्रभावित आराकोट क्षेत्र से एक गर्भवती महिला को भी एयरलिफ्ट कर दून लाया गया है। महिला नौ माह की गर्भवती है। उसे गांधी शताब्दी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल के सीएमएस डॉ. बीसी रमोला ने बताया कि महिला की हालत सामान्य है। उसे हल्की चोटें भी आई हैं। महिला को समुचित उपचार दिया जा रहा है।

कुदरत के कहर ने छीना पूरा परिवार, भाई निकले मौत के मुंह बाहर

रविवार तड़के उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक के अंतर्गत माकुड़ी गांव में बादल फटने के बाद जो तबाही मची उसमें कई परिवार मलबे में दफन हो गए हैं। बताया जा रहा है कि इस गांव में दस लोगों की मौत हो गई और 15 अब भी लापता हैं। भयावह आपदा में मौत के मुंह से बचकर बाहर निकल कुछ लोग अस्पताल में भर्ती हैं। माकुड़ी के तीन घायल दून अस्पताल में भर्ती किये गए हैं। इनमें दो भाई ऐसे भी हैं जिनका पूरा परिवार मलबे में दफन हो गया है। अपनी आंखों के सामने परिवार के पांच लोगों को सैलाब में बहते देख दोनों भाईयों की आंखों में आंसूओं की धार थम नहीं रही है। दून अस्पताल में भर्ती 16 वर्षीय हितेश आपदा में गंभीर रूप से घायल हो गया था। वह कक्षा 12वीं में पढ़ता है। रविवार तड़के के उस खौफनाक मंजर को याद कर वह सहम जाता है। बताया कि सुबह साढ़े छह बजे परिवार के लोग सोकर उठ रहे थे। उसके पिता ने बताया कि घर के पीछे की तरफ से सैलाब आ रहा है। परिवार के सभी लोगों को जल्द सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए कहा। लेकिन इससे पहले परिवार के लोग संभल पाते कि सैलाब ने सभी को अपनी आगोश में ले लिया। देखते ही देखते हितेश की आंखों के सामने उसकी दादी, ताऊ-ताई, मां व बहन सैलाब की चपेट में आ गए और हमेशा के लिए मलबे में दफन हो गए। बताया कि छोटा भाई सक्षम भी मलबे की चपेट में आया था और कुछ दूर तक सैलाब में बहा भी। लेकिन कुदरत का कहर उसके आगे बेदम दिखा। बाद में आसपास के कुछ लोगों ने मलबे में फंसे सक्षम को बाहर निकाला। जिसका उपचार भी दून अस्पताल में चल रहा है। आपदा में अपना पूरा परिवार खो चुके इन दोनों भाईयों को अब नहीं मालूम कि उनका अपना भविष्य अब आगे कैसा होगा।

यह भी पढ़ें: कुदरत का कहरः मुरझाए चेहरे और उदास आंखें बयां कर रहे आपदा की दास्तान

आपदा पीड़ितों के लिए एम्स ने की विशेष तैयारी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान आपदा प्रबंधन के मद्देनजर सभी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस है। बड़ी आपदा में यहां डिजास्टर प्रोटोकोल एक्टिवेट हो जाएगा। एम्स प्रशासन एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के संपर्क में है। यह बात एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कही। उन्होंने बताया कि वर्षाकाल में बाढ़, आपदा में घायलों की संख्या में अत्यधिक बढ़ोत्तरी होने की स्थिति में एम्स ट्रामा इमरजेंसी में रेड जोन, येलो जोन व ग्रीन जोन में विस्तरों की संख्या को चार गुना तक बढ़ने का प्रावधान किया गया है,जिससे आपदा प्रभावित मरीजों को उपचार में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आएंगी।

निदेशक ने बताया कि वर्षाकाल में जगह जगह भूस्खलन, बाढ़ की विभीषिका के मद्देनजर संस्थान की डिजास्टर टीम एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के संपर्क में है। ऐसे में आपदा में यदि मरीजों की तादाद हद से अधिक बढ़ जाए तो हम अपना डिजॉस्टर प्रोटोकॉल एक्टीवेट कर देंगे। उन्होंने बताया कि संस्थान के ट्रामा सेंटर को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जा चुका है जो कि प्रो. कमर आजम की अगुवाई में कार्य करने लगा है, जिसमें 20 बेड डे-केयर व आपातकाल के लिए सुनिश्चित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान का आउटरीच सेल के चिकित्सक जो कि दूर दराज के इलाकों में मरीजों को नियमित चिकित्सा सेवाएं दे रहे हैं। उनकी बाढ़ ग्रस्त इलाकों पर भी पैनी नजर है। कुछ दिन पहले टिहरी में दुर्घटनाग्रस्त स्कूल वैन में घायल बच्चों को भी एयरलिफ्ट कर एम्स में उपचार के लिए भर्ती किया गया, जिन्हें चिकित्सकीय दल द्वारा मुकम्मल उपचार दिया गया।

यह भी पढ़ें: सीएम ने जाना आपदा पीड़ि‍तों का हाल, मृतक आश्रितों को मिलेंगे चार-चार लाख रुपये


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.