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Coronavirus: जीवनरक्षक दवा बनाने में जुटीं 56 फार्मा कंपनियां, बाजार में था दवा संकट

सेलाकुई में जीवनरक्षक दवा बनाने वाली 56 कंपनियों में उत्पादन शुरू हो गया है। उत्पादन न होने के कारण बाजार में दवा का संकट खड़ा हो गया था।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 12:02 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 12:02 PM (IST)
Coronavirus: जीवनरक्षक दवा बनाने में जुटीं 56 फार्मा कंपनियां, बाजार में था दवा संकट
Coronavirus: जीवनरक्षक दवा बनाने में जुटीं 56 फार्मा कंपनियां, बाजार में था दवा संकट

देहरादून, सोबन सिंह गुसांई। लॉकडाउन के बीच राहत भरी खबर है। सेलाकुई में जीवनरक्षक दवा बनाने वाली 56 कंपनियों में उत्पादन शुरू हो गया है। इन जीवनरक्षक दवाओं का प्रयोग कोरोना सहित अन्य बीमारियों के उपचार में किया जा रहा है। उत्पादन न होने के कारण बाजार में दवा का संकट खड़ा हो गया था।

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कोरोना संक्रमण के बाद लागू किए गए लॉकडाउन से उद्योग-धंधे भी प्रभावित हुए हैं। इससे दून स्थित औद्योगिक क्षेत्र सेलाकुई भी शामिल है। यहां पर करीब छोटी-बढ़ी 56 फार्मा कंपनियां हैं। इन कंपनियों की दवा देश-विदेश में सप्लाई की जाती है। 

लॉकडाउन के चलते इन कंपनियों के श्रमिक काम छोड़कर जाने लगे, वहीं कच्चे माल की आपूर्ति भी बंद हो गई। जिससे इन फार्मा कंपनियों के समक्ष बंदी के बादल मंडराने लगे थे। साथ ही बाजार में दवा संकट भी गहराने लगा। फार्मा कंपनियों की उत्तराखंड इंडस्टियल वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष जितेंद्र कुमार, ड्रग मेन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कलानी, इंडस्टियल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड सचिव संजय सिकारिया ने डीआइजी अरुण मोहन जोशी से लॉकडाउन के दौरान दवा कंपनियों को छूट देने की मांग की। जिससे वह दवा का उत्पादन शुरू कर सकें। 

डीआइजी ने एसपी ग्रामीण परमिंदर सिंह डोबाल और सेलाकुई के एसओ विपिन बहुगुणा को क्षेत्र की दवा कंपनियां खुलवाने की जिम्मेदारी सौंपी। पुलिस ने दवा कंपनियों के संचालकों से वार्ता कर कोराना वायरस संक्रमण रोकने के नियमों का पालन कराते हुए इन दवा कंपनियों को शुरू करा दिया है। इन कंपनियों में जीवनरक्षक दवाओं का निर्माण किया जा रहा है जो कोरोना उपचार में भी काम आ रही है।

लॉकडाउन के बाद था लेबर का संकट

एसपी ग्रामीण परमिंदर डोबाल ने बताया कि लॉकडाउन के कारण इन कंपनियों में श्रमिकों का संकट भी छा गया था। अब इन फैक्टियों के 12000 श्रमिकों में से 5500 श्रमिकों को सूखा राशन और 6500 श्रमिकों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए श्रमिकों के बीच शरीरिक दूरी बनाने की व्यवस्था की है। इसलिए आधे से ज्यादा श्रमिकों को सेल्टर होम में रखा गया।

कच्चे माल की आपूर्ति शुरू

सेलाकुई में फैक्टियां शुरू होने के बाद अब दवा बनाने में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल की आपूर्ति सुचारू हो गई है। दवा फैक्टियों के लिए चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात आदि प्रदेशों से कच्चा माल आता है। पुलिस ने कच्चा माल लाने वाले वाहनों के पास बना दिए हैं ताकि बॉर्डर एरिया में उन्हें कोई परेशानी न हो। साथ ही पैकेजिंग के लिए गत्ता हिमाचल प्रदेश से मंगवाया जा रहा है।

कंपनी मालिकों से ली सहमति

एसओ विपिन बहुगुणा ने बताया कि सभी कंपनी संचालकों को निर्देश दिए हैं कि वह श्रमिकों को पूरा ध्यान रखेंगे। हर श्रमिक का थर्मल स्केनर होगा साथ ही मास्क और सेनिटाइजर की व्यवस्था की जाए। कंपनी संचालकों ने इसमें सहमति दे दी है जिसके बाद काम शुरू हो गया है।

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श्रमिकों के लिए व्यवस्था

-कंपनी संचालकों को श्रमिकों को आने-जाने के लिए बसों की व्यवस्था करनी होगी।

-श्रमिकों के मकान मालिकों से कहकर किराया कराया जाएगा माफ ।

-सूखा राशन और बने हुए भोजन की जाएगी व्यवस्था।

-सेलाकुई क्षेत्र से बाहर से आने वाले श्रमिकों के पास होंगे जारी।

-काम करने का समय होगा निर्धारित।

-कच्चे माल की आपूर्ति सुचारू कराई।

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